प्रीति न काहु की कानि बिचारै
प्रीति न काहु की कानि बिचारै
प्रीति न काहु की कानि बिचारै,मारग अपमारग विथकित,
मन को अनुसरत निवारै।
ज्यौं सरिता साँवन जल,
उमगत सनमुख सिंधु सिधारै,
ज्यौं नादहि मन दियें,
कुरंगनि प्रगट पारधी मारै।
जै श्री हित हरिवंश हिलग सारँग,
ज्यौं सलभ सरीरहि जारै,
नाइक निपून नवल मोहन,
बिनु कौन अपनपौ हारै।
प्रीति न काहु की कानि बिचारै ।हित चौरासी पद 42।समाज गायन।द्वारा राकेश दुबे मुखियाजी राधावल्लभ मंदिर
राधा कृष्णा हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के आठवें अवतार कृष्ण और उनकी प्रेमिका राधा की एक पौराणिक जोड़ी हैं। वे हिंदू धर्म में सबसे लोकप्रिय और पूजनीय देवताओं में से एक हैं, और उनकी कहानियाँ और लीलाएँ हिंदू संस्कृति और साहित्य में व्यापक रूप से प्रचलित हैं। राधा कृष्ण की कहानी का सबसे प्रसिद्ध संस्करण महाभारत महाकाव्य में पाया जाता है। महाकाव्य के अनुसार, कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था, और उन्हें बचपन में ही उनके मामा कंस से बचाने के लिए गोकुल में ले जाया गया था। गोकुल में, कृष्ण ने अपने बचपन की दोस्त राधा के साथ खेलना शुरू किया। राधा कृष्ण के खेल और प्रेम की कहानियाँ हिंदू धर्म में बहुत लोकप्रिय हैं।