श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी लिरिक्स Shri Krishna Govind Hare Murari Lyrics
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी लिरिक्स Shri Krishna Govind Hare Murari Lyrics
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी,श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा।
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा।
पितु मात स्वामी सखा हमारे,
पितु मात स्वामी सखा हमारे,
हे नाथ नारायण वासुदेवा।
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा।
बंदी गृह के तुम अवतारी,
कही जन्मे कही पले मुरारी,
किसी के जाये किसी के कहाये,
है अद्भुत हर बात तिहारी।
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी,
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा।
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा।
Shri Krishna Govind Hare Murari | Ravindra Jain's Krishna Bhajans
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी एक कृष्ण भक्ति गीत है जो हिंदू धर्म में बहुत लोकप्रिय है। यह गीत भगवान कृष्ण की महिमा का वर्णन करता है।
श्लोक 1
"श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा।"
इस श्लोक में, भक्त भगवान कृष्ण को "गोविन्द" और "मुरारी" कहकर पुकारते हैं। "गोविन्द" का अर्थ है "गायों का रक्षक" और "मुरारी" का अर्थ है "राक्षसों का वध करने वाला"। भक्त भगवान कृष्ण से प्रार्थना करते हैं कि वे उन्हें "हे नाथ नारायण वासुदेवा" कहकर आशीर्वाद दें। "नाथ" का अर्थ है "प्रभु", "नारायण" का अर्थ है "विष्णु" और "वासुदेवा" का अर्थ है "वासुदेव के पुत्र"।
श्लोक 2
"पितु मात स्वामी सखा हमारे,
हे नाथ नारायण वासुदेवा।"
इस श्लोक में, भक्त भगवान कृष्ण को अपने पिता, माता, स्वामी और सखा कहते हैं। वे भगवान कृष्ण से प्रार्थना करते हैं कि वे उन्हें हमेशा अपने मार्गदर्शन और संरक्षण प्रदान करें।
श्लोक 3
"बंदी गृह के तुम अवतारी,
कही जन्मे कही पले मुरारी,
किसी के जाये किसी के कहाये,
है अद्भुत हर बात तिहारी।"
इस श्लोक में, भक्त भगवान कृष्ण के अवतार के बारे में गाते हैं। वे कहते हैं कि भगवान कृष्ण ने एक बंदी गृह में जन्म लिया था, फिर वे गोकुल में पले बढ़े। वे कहीं भी जाते थे और किसी भी रूप में प्रकट होते थे। भक्त कहते हैं कि भगवान कृष्ण की हर बात अद्भुत है।
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी एक बहुत ही भावपूर्ण और भक्तिपूर्ण गीत है। यह गीत भगवान कृष्ण के प्रति भक्तों के प्रेम और समर्पण को दर्शाता है। यह गीत हिंदू धर्म में बहुत लोकप्रिय है और इसे अक्सर भजनों और समारोहों में गाया जाता है।
श्लोक 1
"श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा।"
इस श्लोक में, भक्त भगवान कृष्ण को "गोविन्द" और "मुरारी" कहकर पुकारते हैं। "गोविन्द" का अर्थ है "गायों का रक्षक" और "मुरारी" का अर्थ है "राक्षसों का वध करने वाला"। भक्त भगवान कृष्ण से प्रार्थना करते हैं कि वे उन्हें "हे नाथ नारायण वासुदेवा" कहकर आशीर्वाद दें। "नाथ" का अर्थ है "प्रभु", "नारायण" का अर्थ है "विष्णु" और "वासुदेवा" का अर्थ है "वासुदेव के पुत्र"।
श्लोक 2
"पितु मात स्वामी सखा हमारे,
हे नाथ नारायण वासुदेवा।"
इस श्लोक में, भक्त भगवान कृष्ण को अपने पिता, माता, स्वामी और सखा कहते हैं। वे भगवान कृष्ण से प्रार्थना करते हैं कि वे उन्हें हमेशा अपने मार्गदर्शन और संरक्षण प्रदान करें।
श्लोक 3
"बंदी गृह के तुम अवतारी,
कही जन्मे कही पले मुरारी,
किसी के जाये किसी के कहाये,
है अद्भुत हर बात तिहारी।"
इस श्लोक में, भक्त भगवान कृष्ण के अवतार के बारे में गाते हैं। वे कहते हैं कि भगवान कृष्ण ने एक बंदी गृह में जन्म लिया था, फिर वे गोकुल में पले बढ़े। वे कहीं भी जाते थे और किसी भी रूप में प्रकट होते थे। भक्त कहते हैं कि भगवान कृष्ण की हर बात अद्भुत है।
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी एक बहुत ही भावपूर्ण और भक्तिपूर्ण गीत है। यह गीत भगवान कृष्ण के प्रति भक्तों के प्रेम और समर्पण को दर्शाता है। यह गीत हिंदू धर्म में बहुत लोकप्रिय है और इसे अक्सर भजनों और समारोहों में गाया जाता है।