दादी का सांचा दरबार महिमा मां की अपरंपार

दादी का सांचा दरबार महिमा मां की अपरंपार


दादी का सांचा दरबार,
महिमा मां की अपरंपार।
मां की शरण जो आन पड़ा,
दादी जी ने किया उपकार।
उसके खुले करम ओ… (2 बार)
ये मेरी दादी की दया,
संकट हुए सब खत्म।
ये मेरी दादी की दया।

दादी ने जब थाम लिया,
उसका हर एक काम किया… (2 बार)
दुनिया से उम्मीद नहीं,
खाता है दादी का दिया।
मिट गए सभी भरम,
ये मेरी दादी की दया।

नींदों में मां आती है,
सिर पे हाथ फिराती है… (2 बार)
कहने की दरकार नहीं,
बिन मांगे दे जाती है… (2 बार)
भर गए सभी ज़ख्म,
ये मेरी दादी की दया।

कृपा मां की सदा रहे,
आना-जाना लगा रहे।
स्वाति का अरमान यही,
मैं उनकी, वे मेरी रहें।
हर्ष रुके ना कदम,
ये मेरी दादी की कृपा।


दादी का सच्चा दरबार महिमा मां की अपरंपार

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