अशोक व्रत कब करते है तथा इसका महत्व Ashok Vrat Kab Karte Hain Mahatv Fayde

अशोक व्रत कब करते है तथा इसका महत्व Ashok Vrat Kab Karte Hain Mahatv Fayde


अशोक व्रत आश्विन माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को किया जाता है। अशोक व्रत में अशोक के वृक्ष की पूजा की जाती है। इस पूजा में अशोक के वृक्ष को हल्दी, रोली, कलावा, घी तथा गुड़ आदि अर्पित किए जाते हैं। तथा जल से अर्घ्य दिया जाता है। अशोक व्रत को 12 वर्ष तक करना होता है। 12 वर्ष के बाद अशोक व्रत का उजमन किया जाता है। उजमन करते समय सोने का अशोक वृक्ष बनाकर कुल गुरु से पूजा करवा कर उन्हें समर्पित किया जाता है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि अशोक का व्रत करने से स्त्री पुरुष शिवलोक को प्राप्त करते हैं।
 
अशोक व्रत कब करते है तथा इसका महत्व Ashok Vrat Kab Karte Hain Mahatv Fayde

अशोक व्रत क्या है ? महत्त्व

अशोक व्रत एक बहुत ही महत्वपूर्ण व्रत है जो महिलाएं और पुरुष दोनों कर सकते हैं। यह व्रत आश्विन महीने की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को किया जाता है। इस व्रत में अशोक वृक्ष की पूजा की जाती है और भगवान शिव की आराधना की जाती है। 12 वर्षों तक लगातार अशोक व्रत रखने के बाद उद्यापन करना चाहिए। उद्यापन में अशोक वृक्ष की पूजा, भगवान शिव की पूजा, व्रत कथा और प्रसाद वितरण करना चाहिए। अशोक व्रत एक बहुत ही महत्वपूर्ण व्रत है। इस व्रत को करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। इस व्रत को करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस व्रत को करने से सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। 

अशोक व्रत पूजा सामग्री Ashok Vrat Puja in Hindi

अशोक व्रत पूजा सामग्री:
  • रौली-मौली
  • चावल
  • गंगाजल
  • गुड़
  • घी
  • हल्‍दी
  • कलावा, गंध
  • उसी मौसम के फल व पुष्‍प
  • धूप, दीप
  • तिल
  • श्रीफल, अनार, मोदक, ऋतुफल

अशोक व्रत पूजा विधि

  • प्रातःकाल उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर नए वस्त्र धारण करें।
  • भगवान सूर्य (सत्यनारायण) को पानी चढ़ाकर पीपल और तुलसी में पानी चढ़ाएं।
  • पूजा की सभी सामग्री लेकर अशोक के पेड़ के पास जाएं।
  • अशोक के पेड़ के चारों ओर सफाई करें और गंगा जल का छिड़काव करें।
  • अशोक के पेड़ को रंगीन कागज के पताकाओं से सजाएं और उस पर फूल अर्पित करें।
  • भगवान भोलेनाथ का ध्यान करते हुए पेड़ पर वस्त्र चढ़ाएं और पूरे विधि-विधान से पूजा करें।
  • पूजा के बाद पेड़ पर सप्तधान (सात प्रकार का अनाज), ऋतुफल, नारियल, अनार, लड्डू और अन्य समस्त सामग्री को अर्पित करके भोग लगाएं।

दोनों हाथ जोड़कर भगवान शंकर का ध्यान करके अपनी इच्छा मांगें और इस महामंत्र का तीन बार जाप करें:

पितृभ्रातपतिश्रूशुराना तथैव च,
अशोक शोकशमनो भव सर्वत्र न कुले।।
 
अर्थ: हे अशोक वृक्ष, आप मेरे कुल में पिता, भाई, पति, ससुर आदि का शोक शमन करें।

अशोक के पेड़ की चारों ओर परिक्रमा करें और ब्राह्मण को यथा शक्ति दान-दक्षिणा दें।
दूसरे दिन प्रातःकाल स्नान आदि से निवृत्त होकर अशोक का व्रत तोड़ें और फिर भोजन करें।
अशोक व्रत की कथा के अनुसार, एक बार एक राजा था जिसके कोई संतान नहीं थी। वह बहुत दुखी था। एक दिन, एक साधु ने उसे अशोक व्रत करने की सलाह दी। राजा ने साधु की सलाह मानकर अशोक व्रत किया। व्रत के प्रभाव से उसे एक पुत्र हुआ। राजा बहुत खुश हुआ।

अशोक व्रत को सुहागिन महिलाएं भी करती हैं। इस व्रत को करने से पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।

अशोक के पेड़ को घर में लगाने के कई फायदे हैं। इनमें से कुछ फायदे निम्नलिखित हैं:
  • वास्तु दोष दूर करता है: अशोक का पेड़ वास्तु दोष दूर करने में बहुत प्रभावी माना जाता है। इसे घर के उत्तर दिशा में लगाने से वास्तु दोष दूर होते हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है।
  • नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है: अशोक का पेड़ नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में भी बहुत प्रभावी माना जाता है। इसे घर में लगाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और घर के लोग खुश रहते हैं।
  • शत्रुओं को दूर करता है: अशोक के पेड़ को घर में लगाने से शत्रुओं का भय दूर होता है। इसे घर के मुख्य द्वार के पास लगाने से शत्रु घर से दूर रहते हैं।
  • आर्थिक स्थिति मजबूत होती है: अशोक के पेड़ को घर में लगाने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। इसे घर के दक्षिण दिशा में लगाने से धन की प्राप्ति होती है।
  • स्वास्थ्य लाभ मिलता है: अशोक के पेड़ के पत्तों का काढ़ा पीने से कई स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। यह सर्दी-खांसी, बुखार, और पेट के रोगों को दूर करने में मदद करता है।

अशोक का पेड़ घर में लगाने की दिशा

अशोक का पेड़ घर में लगाने के लिए उत्तर दिशा सबसे अच्छी दिशा मानी जाती है। इसे घर के मुख्य द्वार के पास भी लगाया जा सकता है। अशोक का पेड़ कभी भी घर के अंदर नहीं लगाना चाहिए। अशोक का पेड़ एक पवित्र और लाभदायक पेड़ है, और इसे घर के उत्तर दिशा में लगाने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।

अशोक का पेड़ घर के मुख्य द्वार के पास भी लगाया जा सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि घर का मुख्य द्वार घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश द्वार होता है। अशोक का पेड़ घर के मुख्य द्वार के पास लगाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है, और इससे घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है। अशोक का पेड़ कभी भी घर के अंदर नहीं लगाना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि अशोक का पेड़ एक बड़ा पेड़ है, और इसे घर के अंदर लगाने से घर में जगह की कमी हो सकती है। इसके अलावा, अशोक का पेड़ एक सदाबहार पेड़ है, और इसका तना सीधा और मोटा होता है।

अशोक का पेड़ लगाते समय ध्यान रखने योग्य बातें

अशोक का पेड़ लगाते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:
  1. अशोक का पेड़ हमेशा स्वस्थ पौधा होना चाहिए।
  2. अशोक का पेड़ लगाने के लिए अच्छी मिट्टी का चुनाव करना चाहिए।
  3. अशोक का पेड़ लगाने के बाद उसे नियमित रूप से पानी देना चाहिए।
  4. अशोक के पेड़ के आसपास की जगह को साफ रखना चाहिए।
अशोक का पेड़ एक बहुत ही लाभकारी पेड़ है। इसे घर में लगाने से कई फायदे मिलते हैं।

अशोक अष्टमी का महत्त्व औरपूजन विधि

हिन्दू धर्म में अशोक अष्टमी के व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि अशोक अष्टमी का व्रत करने से सभी प्रकार के शोक, दुःख और कष्ट दूर हो जाते हैं। साथ ही, इस व्रत को करने से मनुष्य को धन, संपत्ति, सुख-समृद्धि और आरोग्य की प्राप्ति होती है।

अशोक अष्टमी के दिन अशोक के वृक्ष की पूजा की जाती है। अशोक का वृक्ष शुभता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस दिन अशोक के वृक्ष के नीचे बैठकर व्रत कथा सुनने से भी विशेष लाभ मिलता है।

अशोक अष्टमी के व्रत की विधि इस प्रकार है:
  • प्रातःकाल उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें।
  • अशोक के वृक्ष के नीचे जाएँ और उसे प्रणाम करें।
  • अशोक के वृक्ष को गंगाजल से स्नान कराएं।
  • अशोक के वृक्ष के नीचे माता सीता और हनुमानजी की मूर्ति स्थापित करें।
  • माता सीता और हनुमानजी की पूजा करें।
  • अशोक के वृक्ष की कलियों का प्रसाद ग्रहण करें।
  • व्रत कथा सुनें।
अशोक अष्टमी का व्रत सभी के लिए लाभकारी होता है। यह व्रत विशेष रूप से महिलाओं के लिए लाभकारी माना जाता है। इस व्रत को करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। अशोक अष्टमी का व्रत चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है। यदि इस दिन पुनर्वसु नक्षत्र भी हो तो यह व्रत और भी अधिक शुभ माना जाता है। शास्त्रों में अशोक अष्टमी के दिन अशोक वृक्ष की पूजा करने का विधान बताया गया है। इस व्रत में अशोक के वृक्ष की कलियों का सेवन करना विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है। इसी वजह से इस व्रत को अशोक अष्टमी कहा जाता है।

गरुण पुराण के अनुसार अशोक अष्टमी व्रत का वर्णन भगवान ब्रह्मा जी के मुखारविन्द से हुआ है। इस व्रत को करने से मनुष्य को सभी प्रकार के शोक, दुःख और कष्ट दूर हो जाते हैं। साथ ही, इस व्रत को करने से मनुष्य को धन, संपत्ति, सुख-समृद्धि और आरोग्य की प्राप्ति होती है। अशोक अष्टमी का व्रत सभी के लिए लाभकारी होता है। यह व्रत विशेष रूप से महिलाओं के लिए लाभकारी माना जाता है। इस व्रत को करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
 

अशोक अष्टमी व्रत विधि Ashok Ashtami fasting method

अशोक अष्टमी का व्रत चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है। इस दिन अशोक के वृक्ष की पूजा करने से मनुष्य के सभी दुःख दूर हो जाते हैं। अशोक अष्टमी व्रत की विधि इस प्रकार है:
  • प्रातःकाल उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें।
  • अशोक के वृक्ष के नीचे जाएँ और उसे प्रणाम करें।
  • अशोक के वृक्ष को गंगाजल से स्नान कराएं।
  • अशोक के वृक्ष के नीचे माता सीता और हनुमानजी की मूर्ति स्थापित करें।
  • माता सीता और हनुमानजी की पूजा करें।
  • अशोक के वृक्ष की कलियों का प्रसाद ग्रहण करें।
  • व्रत कथा सुनें।
अशोक अष्टमी के व्रत से जुड़ी कुछ मान्यताएँ इस प्रकार हैं:

अशोक अष्टमी का व्रत करने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।
अशोक अष्टमी का व्रत करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
अशोक अष्टमी का व्रत करने से मनुष्य के जीवन में सुख, समृद्धि और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
अशोक अष्टमी का व्रत एक महत्वपूर्ण हिन्दू व्रत है। इस व्रत को करने से मनुष्य को सभी प्रकार के लाभ मिलते हैं।

त्वामशोक हराभीष्ट मधुमाससमुद्भव। 
पिबामि शोकसन्तप्तो मामशोकं सदा कुरु।। 
 
"हे अशोक वृक्ष, तुम शोक को दूर करने वाले हो। मैं तुम्हारी पत्तियों का सेवन कर रहा हूँ। मुझे हमेशा शोक से दूर रखना।" अशोक अष्टमी का व्रत करने वाले व्यक्ति को इस मन्त्र का जाप करते हुए अशोक की पत्तियों का सेवन करना चाहिए। इससे मनुष्य के सभी दुःख दूर हो जाते हैं और उसे सुख, समृद्धि और आरोग्य की प्राप्ति होती है।  अशोक वृक्ष को हिंदू धर्म में बहुत ही पवित्र माना जाता है। इस वृक्ष को भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है। अशोक वृक्ष को सुख, शांति और समृद्धि का प्रतीक भी माना जाता है। अशोक वृक्ष के नीचे बैठकर भगवान शिव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

अशोक वृक्ष के कुछ अन्य लाभ भी हैं। अशोक वृक्ष की छाल का उपयोग औषधीय कार्य के लिए किया जाता है। अशोक वृक्ष की छाल का उपयोग बुखार, दस्त, और अन्य बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। अशोक वृक्ष की पत्तियों का उपयोग सुगंध के लिए किया जाता है। अशोक वृक्ष की लकड़ी का उपयोग फर्नीचर और अन्य घरेलू सामान बनाने के लिए किया जाता है।

अशोक की व्रत कथा/कहानी Ashoka's fast story

रामायण में माता सीता लंका में जहां रहीं, उस स्थान पर अशोक का वृक्ष भी था। माता सीता का अशोक वृक्ष के नीचे बैठे होना और हनुमान द्वारा उन्हें मुद्रिका दिखाकर कहना कि “वह श्री राम की ओर से उनके लिए संदेश लेकर आए हैं”। यह सुन कर माता सीता का सारा शोक समाप्त होता है। ऎसे में इस वृक्ष के नीचे बैठ कर ही माता सीता के दुख का वो क्षण तब समाप्त हो जाता है जब उन्हें अपने पति श्री राम के संदेश के बारे में पता चलता है।
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एक बार ब्रह्माजी ने कहा कि चैत्र माह में पुनर्वसु नक्षत्र से युक्त अशोकाष्टमी का व्रत होता है। इस दिन अशोकमंजरी की आठ कलियों का पान जो जन भी करते हैं वे कभी दुःख को प्राप्त नहीं होते हैं। अशोकाष्टमी के महत्व से जुड़ी कथा कहानी रामायण में भी मिलती है जिसके अनुसार रावण की लंका में सीताजी अशोक के वृक्ष के नीचे बैठी थी और वही उन्हें हनुमानजी मिले थे और भगवान श्रीराम की मुद्रिका और उनका संदेश उन्हें यही प्राप्त हुआ था।

अशोक व्रत का माहात्म्य Importance of Ashoka Vrat

रावण की नगरी लंका में, माता सीता अशोक वाटिका में रह रही थीं। एक दिन, हनुमानजी ने श्रीराम के संदेश और मुद्रिका लेकर माता सीता से मिलने पहुंचे। माता सीता को यह जानकर बहुत खुशी हुई कि श्रीराम जीवित हैं और वे उनकी खोज में हैं। हनुमानजी द्वारा माता सीता की खोज की कथा सुनकर स्त्रियों का सौभाग्य अचल होता है। इस दिन अशोक वृक्ष की कलिकाओं का रस निकालकर पीने से शरीर के रोगों का नाश होता है।

अशोक के पेड़ से मिल सकती है अपार सफलता Ashoka can yield immense success

शुभता और समृद्धि का प्रतीक: अशोक के पेड़ को हिंदू धर्म में शुभता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। कहा जाता है कि जिस घर में अशोक का पेड़ होता है वहां सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। वास्तु दोषों को दूर करता है: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अशोक के पेड़ को घर में लगाने से वास्तु दोषों को दूर किया जा सकता है। नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है: अशोक के पेड़ को घर में लगाने से नकारात्मक ऊर्जा को दूर किया जा सकता है। स्वास्थ्य लाभ: अशोक के पेड़ के पत्तों, छाल और फूलों का औषधीय उपयोग किया जाता है। इनसे कई तरह की बीमारियों का इलाज किया जा सकता है।

अशोक व्रत एक महत्वपूर्ण हिंदू व्रत है जो अशोक वृक्ष की पूजा के लिए किया जाता है। इस व्रत को करने से मनुष्य के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। 
अशोक का पेड़ हिंदू धर्म में एक पवित्र पेड़ माना जाता है। इस पेड़ को देवी लक्ष्मी का वास स्थान माना जाता है। अशोक के पेड़ के कई लाभ हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:
  • सुख-शांति और समृद्धि: अशोक के पेड़ को घर में लगाने से सुख-शांति और समृद्धि आती है। माना जाता है कि जिस घर में अशोक का पेड़ होता है, वहां मां लक्ष्मी का वास होता है।
  • वैवाहिक जीवन में सुख: अशोक के पेड़ को वैवाहिक जीवन में सुख के लिए भी लाभदायक माना जाता है। माना जाता है कि अशोक के पेड़ में जल चढ़ाने से वैवाहिक जीवन में सुख-शांति रहती है।
  • नकारात्मक ऊर्जा का नाश: अशोक के पेड़ को नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए भी लाभदायक माना जाता है। माना जाता है कि अशोक के पेड़ की जड़ को पूजा स्थल पर रखने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
  • स्वास्थ्य लाभ: अशोक के पेड़ के पत्तों और छाल में कई औषधीय गुण होते हैं। इनका उपयोग कई तरह की बीमारियों के इलाज के लिए किया जा सकता है।

क्या होता है अशोक का पेड़ ? What is Ashoka tree?

अशोक का पेड़ भारत का एक पवित्र और लोकप्रिय पेड़ है। यह पेड़ पूरे भारत में पाया जाता है, लेकिन यह विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल में अधिक आम है। अशोक का पेड़ एक बड़ा, सदाबहार पेड़ है, जो 10 से 20 मीटर तक ऊंचा हो सकता है। इसका तना सीधा और मोटा होता है, और इसकी शाखाएँ फैली हुई होती हैं। अशोक के पेड़ की पत्तियों में तीन से पाँच पत्तीयाँ होती हैं, जो गहरे हरे रंग की होती हैं। अशोक के पेड़ के फूल गुलाबी या लाल रंग के होते हैं, और ये मई से जून तक खिलते हैं। अशोक के पेड़ के फल छोटे, गोल और भूरे रंग के होते हैं।

अशोक का धार्मिक महत्व Religious importance of Ashoka

अशोक का पेड़ हिंदू धर्म में एक पवित्र पेड़ माना जाता है। यह पेड़ देवी लक्ष्मी का वास स्थान माना जाता है। अशोक के पेड़ को सुख-शांति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। अशोक के पेड़ को घर में लगाने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।

अशोक का औषधीय महत्व Medicinal importance of Ashoka

अशोक के पेड़ के पत्तों, छाल, फूल और बीजों में कई औषधीय गुण होते हैं। इनका उपयोग कई तरह की बीमारियों के इलाज के लिए किया जा सकता है। अशोक के पेड़ के औषधीय गुण निम्नलिखित हैं:

सूजन को कम करना: अशोक के पत्तों का काढ़ा सूजन को कम करने में मदद करता है।
दस्त को रोकना: अशोक के बीजों का चूर्ण दस्त को रोकने में मदद करता है।
मूत्र रोगों का इलाज: अशोक के फूलों का काढ़ा मूत्र रोगों के इलाज में मदद करता है।
खांसी और जुकाम का इलाज: अशोक के पत्तों का काढ़ा खांसी और जुकाम का इलाज करने में मदद करता है।
कब्ज को दूर करना: अशोक के बीजों का चूर्ण कब्ज को दूर करने में मदद करता है।
रक्तचाप को नियंत्रित करना: अशोक के फूलों का काढ़ा रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है।
मधुमेह को नियंत्रित करना: अशोक के पत्तों का काढ़ा मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद करता है।
कैंसर को रोकना: अशोक के फूलों में कैंसर को रोकने वाले गुण होते हैं।

अशोक के पेड़ की खेती Ashoka tree cultivation

अशोक के पेड़ की खेती बीजों या कलम द्वारा की जा सकती है। बीजों द्वारा खेती करने के लिए, बीजों को अक्टूबर से दिसंबर के बीच बोया जा सकता है। कलम द्वारा खेती करने के लिए, मार्च से अप्रैल के बीच कलम लगाई जा सकती हैं। अशोक के पेड़ को अच्छी तरह से सूखा मिट्टी की आवश्यकता होती है। अशोक के पेड़ को गर्म और आर्द्र जलवायु में उगाया जा सकता है। अशोक के पेड़ को प्रति वर्ष दो बार पानी दिया जाना चाहिए। अशोक का पेड़ 5 से 6 साल में फल देने लगता है।

अशोक के पेड़ से जुड़ी कुछ मान्यताएँ Some beliefs related to Ashoka tree

अशोक के पेड़ में रोजाना जल चढ़ाने से सभी इच्छाएं पूरी हो सकती हैं तथा वैवाहिक जीवन में शांति रहती है।
अशोक के पेड़ की जड़ को तकिये के नीचे रखकर सोने से वैवाहिक जीवन में हमेशा सुख-शांति बनी रहती है।
किसी भी शुभ मुहूर्त में अशोक के पेड़ की जड़ निकाल लें। उसे गंगाजल से साफ करके पूजा स्थल पर रखें। कहा जाता है ऐसा करने से समस्त वास्तु दोष खत्म हो जाते हैं। अशोक का पेड़ एक पवित्र, लाभदायक और खूबसूरत पेड़ है। इस पेड़ को घर में लगाने से कई तरह के लाभ मिल सकते हैं।
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