आज काल के बीच में जंगल होगा वास हिंदी मीनिंग Aaj Kal Ke Beech Me Meaning

आज काल के बीच में जंगल होगा वास हिंदी मीनिंग Aaj Kal Ke Beech Me Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth Hindi Me

आज काल के बीच में, जंगल होगा वास |
ऊपर ऊपर हल फिरै, ढोर चरेंगे घास ||
 
आज काल के बीच में जंगल होगा वास हिंदी मीनिंग Aaj Kal Ke Beech Me Lyrics : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth Hindi Me
 

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

इस दोहे में कबीर साहेब का कथन है की एक रोज मृत्यु अवश्य ही आनी है। आज कल में तुम्हारा वास जंगल में होगा। तुम्हारी देह को जला दिया जाएगा और ऊपर से हल चलेंगे,  फसल उगेगी और उसे ढोर/पशु चरेंगे। आशय है की एक रोज समाप्त हो जाना है। सांसारिक और भौतिक वस्तुएं यहीं पर रह जानी हैं, इसलिए ईश्वर के नाम का नित्य सुमिरन ही मुक्ति का आधार है। इस दोहे में कबीर दास जी संसार की नश्वरता और परिवर्तनशीलता का वर्णन कर रहे हैं। वे कहते हैं कि यह संसार एक दिन नष्ट हो जाएगा। आज-कल के बीच में यह शहर जंगल में जला या गाड़ दिया जाएगा। 
 
रात गँवाई सोयेकर, दिवस गँवाये खाये |
हीरा जनम अमोल था, कौड़ी बदले जाय ||

इस दोहे में कबीर साहेब संदेश देते हैं की तुमने (साधक) ने अपने जीवन को व्यर्थ में ही गँवा दिया है, तुमने रात को अज्ञानत की नींद में सोकर गया है। तुमने हीरे जैसे अनमोल जीवन को सांसारिक क्रियाओं में  खो दिया है नष्ट कर दिया है, हीरे जैसे मानुष जनम को कौड़ी में बदल दिया है। अतः हरी के नाम का सुमिरन करो, यही मुक्ति का आधार है।

कहा चुनावै भेड़िया, चूना माटी लाय |
मीच सुनेगी पापिनी, दौरी के लेगी आप ||

इस दोहे में कबीर साहेब सन्देश देते हैं की तुम कहाँ बड़े बड़े महल मेडी बना रहे हो और इसे चूना मिटटी से बना रहे हो ? एक रोज पापिनी मृत्यु सुन लेगी और तुम्हे अपना शिकार बना लेगी।
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