जगत में कोई ना परमानेंट लिरिक्स
जगत में कोई ना परमानेंट,
तेल चमेली या फिर साबुन,
तेल चमेली चन्दन साबुन,
चाहे लगा लो सेंट,
जगत में कोई ना परमानेंट।
आवागमन लगी दुनिया में,
जगत है रेस्टोरेंट,
अंत समय में उखड़ जाएंगे,
तेरे तम्बू टेंट,
जगत में कोई ना परमानेंट।
हरिद्वार चाहे काशी मथुरा,
घूमो दिल्ली केंट,
रे प्यारे घूमो दिल्ली केंट,
मन में नाम गुरु का राखो,
धोती पहरो या पेंट,
जगत में कोई ना परमानेंट।
राष्ट्रपति हो कर्नल जनरल,
या हो लेफ्टिडेंट,
काल सभी को खा जायेगा,
लेडीज हो या जेंट्स,
जगत में कोई ना परमानेंट।
साधू संत की संगत कर लो,
ये है सच्ची गोरमेंट,
लाल सिंह कहे इस दफ्तर से,
लाल सिंह कहे इस दफ्तर से,
मत होना एबसेंट,
जगत में कोई ना परमानेंट।
जगत में कोई ना परमानेन्ट | Prakash Gandhi | Jagat Mein Koi Na Permanent | Chetavani Bhajan
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