वरदान अहाँ सं की मांगी भजन
वरदान अहाँ सं की मांगी भजन
नमामि काली, नमामि दुर्गे,
नमामि देवी महेश्वरी,
नमामि साक्षात् परब्रह्म,
नमामि तू सर्वेश्वरी।।
वरदान अहाँ सँ की माँगी,
आशीष के आश किया ने धरी।।
यदि पूत कपूत भए जग में,
कहूँ माता कुमाता कतऊ ने सुनी,
यदि पूत कपूत भए जग में,
कहूँ माता कुमाता कतऊ ने सुनी,
जँ माता कुमाता भए जग में,
त ममता नाम कियाक धरी।।
वरदान अहाँ सँ की माँगी,
आशीष के आश किया ने धरी।।
हम निर्बल अधम अज्ञानी छी,
पर माता एक अहिं पर छी,
हम निर्बल अधम अज्ञानी छी,
पर माता एक अहिं पर छी,
तैइयो यदि हाथ पसार परै,
अनुरोध कहू ककरा सँ करी।।
वरदान अहाँ सँ की माँगी,
आशीष के आश किया ने धरी।।
नहि कियो जग में भेट रहल,
ककरा मोनक हम बात कही,
नहि कियो जग में भेट रहल,
ककरा मोनक हम बात कही,
हम भक्त जनों के विनती,
निज पुत्र बुझि स्वीकार करी।।
वरदान अहाँ सँ की माँगी,
आशीष के आश किया ने धरी।।
नमामि देवी महेश्वरी,
नमामि साक्षात् परब्रह्म,
नमामि तू सर्वेश्वरी।।
वरदान अहाँ सँ की माँगी,
आशीष के आश किया ने धरी।।
यदि पूत कपूत भए जग में,
कहूँ माता कुमाता कतऊ ने सुनी,
यदि पूत कपूत भए जग में,
कहूँ माता कुमाता कतऊ ने सुनी,
जँ माता कुमाता भए जग में,
त ममता नाम कियाक धरी।।
वरदान अहाँ सँ की माँगी,
आशीष के आश किया ने धरी।।
हम निर्बल अधम अज्ञानी छी,
पर माता एक अहिं पर छी,
हम निर्बल अधम अज्ञानी छी,
पर माता एक अहिं पर छी,
तैइयो यदि हाथ पसार परै,
अनुरोध कहू ककरा सँ करी।।
वरदान अहाँ सँ की माँगी,
आशीष के आश किया ने धरी।।
नहि कियो जग में भेट रहल,
ककरा मोनक हम बात कही,
नहि कियो जग में भेट रहल,
ककरा मोनक हम बात कही,
हम भक्त जनों के विनती,
निज पुत्र बुझि स्वीकार करी।।
वरदान अहाँ सँ की माँगी,
आशीष के आश किया ने धरी।।
Maithili Devi Geet - वरदान अहाँ सँ की मांगी - Dilip Darbhangiya Songs | Maithili Song 2023
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Album - Darshan Diya Maa
Singer - Dilip Darbhangiya
Label – Ganga Cassette
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Singer - Dilip Darbhangiya
Label – Ganga Cassette
"नमामि काली" से मां काली की वंदना की जाती है, जो अंधकार और अज्ञान को नष्ट करने वाली शक्ति हैं। "नमामि दुर्गे" द्वारा मां दुर्गा को नमन किया जाता है, जो दुष्टों का संहार करने वाली और भक्तों की रक्षा करने वाली हैं। "नमामि देवी महेश्वरी" में मां को महेश्वर की शक्ति, यानी शिव की पराशक्ति के रूप में पूजा जाता है। "नमामि साक्षात् परब्रह्म" से मां को साक्षात परम ब्रह्म, यानी सर्वोच्च सत्य और विश्व की मूल शक्ति के रूप में स्वीकार किया जाता है। अंत में, "नमामि तू सर्वेश्वरी" से मां को समस्त सृष्टि की स्वामिनी और सर्वोच्च नियंत्रक के रूप में प्रणाम किया जाता है। यह श्लोक मां की असीम शक्ति, करुणा और दिव्यता का गुणगान करता है।
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Admin - Saroj Jangir
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