मत देरे बीरा मायड न दोष करमा री रेखा न्यारी न्यारी Mat Dere Bira

मत देरे बीरा मायड न दोष करमा री रेखा न्यारी न्यारी लिरिक्स Bhai Re Mat Dijyo Maidali Ne Dosh Lyrics

 
Bhai Re Mat Dijyo Maidali Ne Dosh Lyrics

यह एक राजस्थानी भाषा का लोकगीत है जिसमे चेतावनी के माध्यम से सन्देश है की भाई, तुम अपनी माता को दोष मत दो। सभी व्यक्तियों की कर्मों की रेखाएं (कर्म फल) अलग अलग होते हैं और इसी के अनुसार ही तुमको उसके परिणाम भोगने होंगे। कर्मों के मुताबिक़ ही हम परिणाम के भागी बनते हैं। जैसे एक माँ के चार बेटे हैं उनमे से एक तो थानेदार, एक चोर, एक कृषक और चौथा गद्दी पर राज करता है। यह कर्मों का ही फल है।

मत देरे बीरा मायड न दोष,
करमा की रेखा न्यारी न्यारी रे,
एक माई के बेटा चार चारो की रेखा न्यारी न्यारी रे,
एक तो बणियो रे थानादार, दुजो तो हल हॉकतो फिरे,
तीज्यो बणियो रे चरवादार ,चौथो तो गद्दी राज करे,
मत देरे बीरा मायड न दोष,
करमा की रेखा न्यारी न्यारी रे,

एक गाई के बछडा चार चारो की रेखा न्यारी न्यारी रे,
एक तो बणियो रे बढीया ,सांड दुजो तो हल हॉकतो फिरे,
तीज्यो गयो रे घाणी माही ,चौथो तो शंकर नाडीयो बणियो,
मत देरे बीरा मायड न दोष,
करमा की रेखा न्यारी न्यारी रे,
 
इन पंक्तियों में कहा है की एक गाय के चार बछड़े हैं और चारों की गति भिन्न होती है। पहला सांड़ (बैल) बनकर फिरता है और दूसरा हल जोतता है। तीसरा बछड़ा घाणी (तेल निकालने का यंत्र) में फिरता है और चौथा शंकर जी का नंदी बन जाता है जो कर्मों की रेखाओं के परिणाम को दर्शाते हैं।
 
एक बेली के तुम्मा चार चारो की रेखा न्यारी न्यारी रे,
एक तो बणियो रे बढीया, साज दुजो तो बस्ती मागतो फिरे,
तीज्यो गयो रे साधु संग ,चौथो तो गंगा स्नान करे
मत देरे बीरा मायड न दोष,
करमा की रेखा न्यारी न्यारी रे,
एक माटी का घडवा चार चारो की रेखा न्यारी न्यारी रे,
एक तो गयो रे पनघट माही ,दुजो तो छाणा थेपतो फिरे,
तीज्यो गयो रे श्मशान ,चौथो तो शंकर शीश चढे,
मत देरे बीरा मायड न दोष,
करमा की रेखा न्यारी न्यारी रे,

राजस्थानी संगीत : राजस्थानी संगीत की एक अलग पहचान है, इसमें मरुधरा की महक है। नायक नायिका गीतों के अलावा लोक गीत और भजन भी प्रमुख गायन विधाओं में से एक हैं। लोक वाद्य यंत्रों के साथ स्थानीय स्तर पर विकसित लोक गीतों के लिए राजस्थान विख्यात है। लोक कलाओं में लोक नृत्य, लोक नाट्यों का महत्वपूर्ण स्थान है। राजस्थान का परिवेश संघर्ष मय रहा है। यहाँ जीवन अन्य स्थानों जैसा सुगम नहीं था यही काऱण रहा है की स्थानीय स्तर पर लोक देवी देवताओं के भजन विकसित हुए जो सहारा देते थे कठिन जीवन में। 
 
चेतावनी भजनों का विकास स्थानीय स्तर पर व्यक्ति को सदाचरण के पथ पर चलने के लिए प्रेरित करने के लिए हुआ है। स्थानीय स्तर पर लंगा, सपेरा, मांगणियार, भोपा और जोगी समाज के लोगों के लोग गीत और इस्वर स्तुति भजनों को आज भी जीवित रखा है। झोरावा गीत, सुवटिया, पीपली गीत , सेंजा गीत, कुरजां गीत प्रमुख गीत हैं। राजस्थानी गीत प्रमुखतया तीन भागों में विभक्त किये जा सकते हैं। एक शैली राजाओं के सानिध्य में विकसित हुयी और एक जनसाधारण के गीत हैं। तीसरे वे गीत हैं जो क्षेत्रीय स्तर पर विकसित हुए हैं। 
 
राजस्थानी गायन शैली मांड ( Mand ), मांगणियार ( Manganiyar ), लंगा ( Langa ), और तालबंदी प्रमुख हैं। राजस्थान के प्रमुख लोकगीत :
मोरिया - मोरिया नायिका का विरह गीत है जिसके विवाह में देरी हो रही हैं।
औल्यू - नायिका को नायक की याद आती है एंव इस गीत में वो अपनी व्यथा बताती है।
घूमर - नायिका अपने प्रियतम से श्रृंगार की मांग करती है।
गोरबंध - शेखावाटी का प्रसिद्ध गीत है जिसमे ऊंट के श्रृंगार का वर्णन है।

मत दिजो माँवडली ने दोष.....HD| Prakash Gandhi| Rajasthani ! Chetavani Bhajan

Mat Dere Bira Maayad Na Dosh,
Karama Ki Rekha Nyaari Nyaari Re,
Ek Mai Ke Beta Chaar Chaaro Ki Rekha Nyaari Nyaari Re,
Ek To Baniyo Re Thaanaadaar, Dujo To Hal Hokato Phire,
Tijyo Baniyo Re Charavaadaar ,chautho To Gaddi Raaj Kare,
Mat Dere Bira Maayad Na Dosh,
Karama Ki Rekha Nyaari Nyaari Re,
Ek Gai Ke Bachhada Chaar Chaaro Ki Rekha Nyaari Nyaari Re,
Ek To Baniyo Re Badhiya ,saand Dujo To Hal Hokato Phire,
Tijyo Gayo Re Ghaani Maahi ,chautho To Shankar Naadiyo Baniyo,
Mat Dere Bira Maayad Na Dosh,
Karama Ki Rekha Nyaari Nyaari Re,
Ek Beli Ke Tumma Chaar Chaaro Ki Rekha Nyaari Nyaari Re,
Ek To Baniyo Re Badhiya, Saaj Dujo To Basti Maagato Phire,
Tijyo Gayo Re Saadhu Sang ,chautho To Ganga Snaan Kare
Mat Dere Bira Maayad Na Dosh,
Karama Ki Rekha Nyaari Nyaari Re,
Ek Maati Ka Ghadava Chaar Chaaro Ki Rekha Nyaari Nyaari Re,
Ek To Gayo Re Panaghat Maahi ,dujo To Chhaana Thepato Phire,
Tijyo Gayo Re Shmashaan ,chautho To Shankar Shish Chadhe,
Mat Dere Bira Maayad Na Dosh,
Karama Ki Rekha Nyaari Nyaari Re, 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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