श्री कृष्ण महा मंत्र होंगे पूर्ण सब काम Krishna Mantras Meaning
“कृं कृष्णाय नमः”
यह श्री कृष्णा भगवन का मूल मंत्र है, इससे अटका हुआ धन प्राप्त होता है और परिवार से कस्ट दूर होते हैं सुख सुविधाएं आती है, उन्नंती होती हैं । इसे श्री कृष्ण का मूल मंत्र कहा जाता है | यदि आपका धन कहीं ऐसी जगह फस गया है और आने की सम्भावना नहीं बन रही है तो इस मंत्र का जाप नियमित रूप से करें, शीघ्रे ही धन के वापिस आने के द्वार खुलने लगेंगे | इसके साथ – साथ घर में सुख -शांति के लिए भी इस मंत्र का जाप करना चाहिए | व्यापार और रोजगार में आने वाली सभी रुकवाटे इस मंत्र के जाप से शीघ्र दूर होती है।
हरे कृष्ण (मंत्र) Hare Krishna Mantra
हरे कृष्ण हरे कृष्ण
कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम
कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम
राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण मन्त्र अत्यंत ही शुभ मन्त्र है जिसका वर्णन हमें यजुर्वेद से प्राप्त होता है। इसे भी श्री कृष्णा जी का महामंत्र कहा जाता है। यह मन्त्र अत्यंत ही पावन और पवित्र मन्त्र है जिसमे ईश्वर के नाम यथा राम, कृष्ण नारायण, शिव और हरी एक साथ आ जाते हैं।
भगवान श्रीकृष्ण के मंत्र और उनके अर्थ
भगवान श्रीकृष्ण को उनकी अनंत लीलाओं, गुणों और उपदेशों के लिए पूजनीय माना जाता है। उनके मंत्र न केवल भक्ति को गहराई देते हैं, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और संतुलन भी लाते हैं। यहां भगवान श्रीकृष्ण के प्रमुख मंत्र और उनके सरल हिंदी अर्थ दिए गए हैं।वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम्।
देवकी परमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम।।
अर्थ: यह मंत्र भगवान श्रीकृष्ण की स्तुति करता है। इसमें उन्हें वसुदेव और देवकी के पुत्र, कंस और चाणूर जैसे दुष्टों का विनाशक और पूरे संसार के गुरु के रूप में संबोधित किया गया है। यह मंत्र उनके दिव्य रूप और शक्ति की महिमा गाता है।
वृन्दावनेश्वरी राधा कृष्णो वृन्दावनेश्वर:।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम।।
अर्थ: श्री राधारानी को वृन्दावन की रानी और श्रीकृष्ण को वृन्दावन का स्वामी मानते हुए इस मंत्र में यह प्रार्थना की जाती है कि जीवन का हर क्षण राधा-कृष्ण के चरणों में समर्पित हो।
महामायाजालं विमलवनमालं मलहरं,
सुभालं गोपालं निहतशिशुपालं शशिमुखम्।
कलातीतं कालं गतिहतमरालं मुररिपुं।
अर्थ: इस मंत्र में भगवान श्रीकृष्ण को उस दिव्य शक्ति के रूप में वर्णित किया गया है जो माया का नाश करते हैं। वे निर्मल वनमाला धारण करते हैं, सुंदर भाल वाले हैं, गोपाल हैं, शिशुपाल का वध करने वाले हैं और चंद्रमा के समान मुख वाले हैं। यह मंत्र उनकी अजेय शक्ति और सुंदरता का वर्णन करता है।
कृष्ण गोविंद हे राम नारायण,
श्रीपते वासुदेवाजित श्रीनिधे।
अच्युतानन्त हे माधवाधोक्षज,
द्वारकानायक द्रौपदीरक्षक।।
अर्थ: यह मंत्र भगवान के विभिन्न नामों को पुकारते हुए उनकी कृपा की कामना करता है। उन्हें गोविंद, राम, नारायण, वासुदेव, अच्युत, माधव और द्रौपदी की रक्षा करने वाले के रूप में याद किया जाता है। इस मंत्र में उनके नामों की महिमा और कृपा को स्वीकार किया गया है।
अधरं मधुरं वदनं मधुरं
नयनं मधुरं हसितं मधुरं।
हृदयं मधुरं गमनं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्।।
अर्थ: भगवान श्रीकृष्ण के इस मंत्र में उनकी मधुरता का गुणगान किया गया है। उनके अधर, मुख, नेत्र, हास्य, हृदय और चाल-ढाल, सब कुछ अत्यंत मधुर हैं। यह मंत्र भक्त को भगवान के प्रेम में सराबोर कर देता है।
देवकी परमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम।।
अर्थ: यह मंत्र भगवान श्रीकृष्ण की स्तुति करता है। इसमें उन्हें वसुदेव और देवकी के पुत्र, कंस और चाणूर जैसे दुष्टों का विनाशक और पूरे संसार के गुरु के रूप में संबोधित किया गया है। यह मंत्र उनके दिव्य रूप और शक्ति की महिमा गाता है।
वृन्दावनेश्वरी राधा कृष्णो वृन्दावनेश्वर:।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम।।
अर्थ: श्री राधारानी को वृन्दावन की रानी और श्रीकृष्ण को वृन्दावन का स्वामी मानते हुए इस मंत्र में यह प्रार्थना की जाती है कि जीवन का हर क्षण राधा-कृष्ण के चरणों में समर्पित हो।
महामायाजालं विमलवनमालं मलहरं,
सुभालं गोपालं निहतशिशुपालं शशिमुखम्।
कलातीतं कालं गतिहतमरालं मुररिपुं।
अर्थ: इस मंत्र में भगवान श्रीकृष्ण को उस दिव्य शक्ति के रूप में वर्णित किया गया है जो माया का नाश करते हैं। वे निर्मल वनमाला धारण करते हैं, सुंदर भाल वाले हैं, गोपाल हैं, शिशुपाल का वध करने वाले हैं और चंद्रमा के समान मुख वाले हैं। यह मंत्र उनकी अजेय शक्ति और सुंदरता का वर्णन करता है।
कृष्ण गोविंद हे राम नारायण,
श्रीपते वासुदेवाजित श्रीनिधे।
अच्युतानन्त हे माधवाधोक्षज,
द्वारकानायक द्रौपदीरक्षक।।
अर्थ: यह मंत्र भगवान के विभिन्न नामों को पुकारते हुए उनकी कृपा की कामना करता है। उन्हें गोविंद, राम, नारायण, वासुदेव, अच्युत, माधव और द्रौपदी की रक्षा करने वाले के रूप में याद किया जाता है। इस मंत्र में उनके नामों की महिमा और कृपा को स्वीकार किया गया है।
अधरं मधुरं वदनं मधुरं
नयनं मधुरं हसितं मधुरं।
हृदयं मधुरं गमनं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्।।
अर्थ: भगवान श्रीकृष्ण के इस मंत्र में उनकी मधुरता का गुणगान किया गया है। उनके अधर, मुख, नेत्र, हास्य, हृदय और चाल-ढाल, सब कुछ अत्यंत मधुर हैं। यह मंत्र भक्त को भगवान के प्रेम में सराबोर कर देता है।
कष्ट ,दुःख,दरिद्र नाश करने वाले कृष्ण मंत्र को शास्त्रों ने माना सर्वश्रेष्ठ
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Author - Saroj Jangir
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