बहे सत्संग का दरिया नहा लो जिस का जी चाहे भजन लिरिक्स

बहे सत्संग का दरिया नहा लो जिस का जी चाहे भजन लिरिक्स

बहे सत्संग का दरिया, नहा लो जिस का जी चाहे,
करो हिमत लगा डुबकी, नहा लो जितना जी चाहे,
बहे सत्संग का दरिया, नहा लो जिस का जी चाहे।

हज़ारो रतन है इसमें इक से इक बड़याला,
नहीं कोई दर बीमारी का लगा लो जितना जी चाहे,
बहे सत्संग का दरिया, नहा लो जिस का जी चाहे।

खजाना वो मिले इसमें नहीं मुंकिन ज़माने में,
किसी का डर नहीं कुछ भी उठा लो जितना जी चाहे,
बहे सत्संग का दरिया, नहा लो जिस का जी चाहे।

मिटे संसार का चकर लगे नहीं मौत की टकर,
करे है भव सागर करा लो जिसका जी चाहे,
बहे सत्संग का दरिया, नहा लो जिस का जी चाहे।

बना दे चोर से साधु मिटावे दुष्ट मन की,
कटे जड़ मूल पापो का कटा लो जिसका जी चाहे,
बहे सत्संग का दरिया, नहा लो जिस का जी चाहे। 
 

बहे सत्संग का दरिया नहा लो जिस का जी चाहे

Bahe Satsang Ka Dariya, Naha Lo Jis Ka Jee Chaahe,
Karo Himat Laga Dubakee, Naha Lo Jitana Jee Chaahe,
Bahe Satsang Ka Dariya, Naha Lo Jis Ka Jee Chaahe. 

चेतावनी भजन : चेतावनी भजन का का मूल विषय व्यक्ति को उसके अवगुणों के बारे में सचेत करना और सत्य की राह पर अग्रसर करना होता है। राजस्थानी चेतावनी भजनो का मूल विषय यही है। गुरु की शरण में जाकर जीवन के उद्देश्य के प्रति व्यक्ति को सचेत करना ही इनका भाव है। चेतावनी भजनों में कबीर के भजनो को क्षेत्रीय भाषा में गया जाता है या इनका कुछ अंश काम में लिया जाता है।


विनम्र निवेदन: वेबसाइट को और बेहतर बनाने हेतु अपने कीमती सुझाव नीचे कॉमेंट बॉक्स में लिखें व इस ज्ञानवर्धक ख़जाने को अपनें मित्रों के साथ अवश्य शेयर करें। यदि कोई त्रुटि / सुधार हो तो आप मुझे यहाँ क्लिक करके ई मेल के माध्यम से भी सम्पर्क कर सकते हैं। धन्यवाद।
Next Post Previous Post