चालो रे चालो चालो झुंझुनू धाम
धोरा माहि राज करें हैं पूरण सबका काज करें हैं
पल पल दिखावै चमत्कार, तो चलो रे राणी सती दादी के दरबार,
चालो रे चालो चालो झुंझुनू धाम रे राणी सती दादी के दरबार
गुर्सामल घर जन्म लियों माँ भगतां को उद्धार कियों,
तंधन जी की बनके सुहागन सत् की जय-जयकार कियों,
सतियाँ की सिरमोर कूहाई झुंझुनू में धाम बनाई
पल में करें माँ बेड़ा पार, तो चालो रे राणी सती दादी के दरबार,
चालो रे चालो चालो झुंझुनू धाम रे राणी सती दादी के दरबार
भगती-भाव सुराजी होवे महिमा बड़ी निराली जी,
पल में सुने भगत की अर्जी दादी झुंझन वाली जी,
सुनो साथिरा आयो बुलावों अब थे मत ना देर लगावों
लेकर के चालो परिवार, तो चालो रे राणी सती दादी के दरबार,
चालो रे चालो चालो झुंझुनू धाम रे राणी सती दादी के दरबार
बनो विशाल दादी को मंदिर लाल ध्वजा लहरावें है,
संख नगाड़ा बजे मंजीरा जगमग ज्योत जगावै है,
माह भादुआ भरे है मेलों भगतां को आवे है रेलों
होवे है जय-जयकार, तो चालो रे राणी सती दादी के दरबार,
चालो रे चालो चालो झुंझुनू धाम रे राणी सती दादी के दरबार
जानिये रानी शक्ति के बारे में :
राजस्थान के सीकर जिले से लगभग ८० किलोमीटर दूर झुंझुनू में रानी सती का मंदिर है जो लगभग ४०० वर्ष पुराना है। श्रद्धालुओं के लिए यह एक प्रमुख आस्था का केंद्र है। पुरे राजस्थान से श्रद्धालु शनिवार और रविवार को मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। भाद्रपक्ष की अमावश्या में आयोजित होने वाले धार्मिक अनुष्ठान का बहुत ही मतत्व है। इसके लिये दूर दूर से लोग आगे हैं। रानी सती का एक मुख्य मंदिर और १२ अन्य छोटे मंदिर यहाँ स्थापित है। यूँ तो पुरे मंदिर में कई देवी देवताओं की मूर्तियां लगी हुयी हैं जैसे शिव जी हनुमान जी आदि लेकिन मंदिर में प्रमुख आकर्षण का केंद्र षोडश माता की मूर्ति है जिसमें १६ देविओं की मूर्ति लगी स्थापित है। लोगों की दृढ मान्यता है की रानी सतीजी ने अपने पति के हत्यारे को समाप्त कर अपना बदला लिया जो की स्त्री शक्ति का प्रतीक है इसलिए सती को दुर्गा माता का अवतार भी कहा जाता है।
रानी सती आरती Sati Aarti Hindi Dadi Sati Aaratiदादी का सांचा दरबार Dadi Ka Sancha Darbarहर भगत पे हर वक़्त मेहरबान रहेगी (कलयुग में मेहरबान दादी ) Kalyug Me Mehrban Dadiइक बार उढ़ा कर तो देख चुनड़ी बदलेगी किस्मत की लेख Ek Baar Udha Kar To Dekhदादी गूंजे जय जयकार थारे देवरिय के माहीं Dadi Gunje Jay Jaykar मंदिर सुबह 5 बजे से दोपहर एक बजे तक और शाम 3 बजे से रात्रि 10 बजे तक खुला रहता है। मंदिर के गर्भ गृह में निकर और बरमुडा पहने लोगों का प्रवेश वर्जित है। मंदिर का दफ्तर सुबह 9 बजे से शाम 8 बजे तक खुला रहता है। राजस्थान के झुंझुनू में स्थित है रानी सती का मंदिर। शहर के बीचों-बीच स्थित मंदिर झुंझुनू शहर का प्रमुख दर्शनीय स्थल है। बाहर से देखने में ये मंदिर किसी राजमहल सा दिखाई देता है। पूरा मंदिर संगमरमर से निर्मित है। इसकी बाहरी दीवारों पर शानदार रंगीन चित्रकारी की गई है। मंदिर में शनिवार और रविवार को खास तौर पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।
इस मंदिर का मुख्य कारण यह है कि वहाँ कोई देवता की प्रतिमा या चित्र नहीं है। रानी सती की एक तस्वीर बस मंदिर के मुख्य हॉल में रखी गई है और दूसरे मंदिर की सभी दीवारों को रंगीन तरीके से चित्रित किया गया है। पूरे मंदिर में संगमरमर के पत्थर हैं।
यह रानी सती जी मंदिर 400 साल पुराना है। महिलाओं के लिए सम्मान, प्रेम और शक्ति का प्रतीक यह मंदिर है। श्रद्धालु देशभर से रानी सती के मंदिर में दर्शन करने आते हैं। भाद्रपद की अमावस्या पर आयोजित धार्मिक अनुष्ठानों में भक्त विशेष प्रार्थना के साथ भाग लेते हैं।
रानी सती का इतिहास महाभारत काल में शुरू हुआ था। रानी सती उत्तरा, अभिमन्यु की पत्नी (अर्जुन का पुत्र) माना जाता है। उत्तरायन ने युद्ध के मैदान में अभिमन्यु के मारे जाने के बाद अभिमन्यु के अंतिम संस्कार के साथ सती होने का फैसला किया। लेकिन भगवान कृष्ण उसके बचाव में आए और इस सब के बीच उसके फैसले के खिलाफ उसका पीछा किया। उन्होंने अभिमन्यु को अपनी शादी की इच्छा, और अपने अगले जीवन के लिए सती होने के लिए भी दिया।
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मंदिर सुबह 5 बजे के आसपास खुलता है और दोपहर 1 बजे तक खुला रहता है। दोपहर 1 से 3 बजे तक मंदिर बंद रहता है। दोपहर 3 बजे मंदिर खुलता है और रात 10:30 बजे के करीब बंद होता है।
राजस्थान का झुनझुनु क्षेत्र अन्य मुख्य शहरों जैसे, दिल्ली, जयपुर,जोधपुर और बीकानरे के सड़क मार्गों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। शहरों से झुनझुनु तक के लिए कई ट्रेन सुविधाएं भी उपलब्ध हैं। यहाँ का सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा जयपुर में है जो यहाँ से लगभग 184 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
सुन्दर भजन में श्रद्धा और भक्ति की गहन अनुभूति स्पष्ट होती है। माँ राणी सती का दरबार भक्तों के लिए एक दिव्य स्थान है, जहाँ उनकी कृपा हर क्षण प्रकट होती है। झुंझुनू धाम केवल एक स्थान नहीं, बल्कि विश्वास और समर्पण का प्रतीक है, जहाँ हर भक्त माँ की शक्ति का अनुभव करता है।
माँ के आशीर्वाद से जीवन की हर बाधा सरल हो जाती है। वे अपने भक्तों के कष्टों को दूर करने वाली, उनके जीवन में सुख-शांति प्रदान करने वाली और हर संकट में मार्गदर्शन देने वाली देवी हैं। उनका मंदिर विशाल है, जहाँ लाल ध्वजा लहराती है और संख-नगाड़े की गूंज भक्तों के मन को आनंद और भक्ति से भर देती है।
जब भक्त माँ के दरबार में प्रवेश करता है, तब उसे एक अनोखी ऊर्जा और आत्मिक संतोष की प्राप्ति होती है। यह स्थान केवल पूजा का केंद्र नहीं, बल्कि आत्मा की शुद्धि और आस्था की अभिव्यक्ति का स्थान है। माँ के आशीर्वाद से जीवन धन्य हो जाता है, और भक्त का हृदय श्रद्धा और प्रेम से भर उठता है।
यह भजन माँ की महिमा, उनकी कृपा और भक्तों की अटूट निष्ठा को दर्शाता है। जब मनुष्य श्रद्धा और भक्ति के साथ माँ की शरण में जाता है, तब उसे असीम सुख, शांति और आश्रय प्राप्त होता है। झुंझुनू धाम आस्था और शक्ति का जीवंत प्रतीक है, जहाँ भक्त अपनी आत्मा को माँ के चरणों में समर्पित करता है।
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Author - Saroj Jangir
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