हर हर नारायणी भजन

हर हर नारायणी

हर हर नारायणी
नमो नमो नारायणी…
जय नमो नमो नारायणी…
जय नमो नमो नारायणी…

नमो नमो नारायणी…
जय नमो नमो नारायणी…
जय नमो नमो नारायणी…

हर हर नारायणी,घर घर नारायणी,- २
दुर्गे भवानी नमो नारायणी,
राणी सती माँ शरणम् नमामि,
हर हर नारायणी,घर घर नारायणी,- २
हर हर नारायणी,घर घर नारायणी,- २

कण कण में नारायणी,हर मन में नारायणी,
चारों दिशाओं में जन-जन में नारायणी,
धरती में नारायणी,अम्बर में नारायणी,
झुंझनु,डोकवा ,देवसर में नारायणी,

दुर्गे भवानी , मोटी सेठानी,
राणी सती माँ शरणम् नमामि,

हर हर नारायणी,घर घर नारायणी ,
हर हर नारायणी,घर घर नारायणी ||

जानिये रानी शक्ति के बारे में :
राजस्थान के सीकर जिले से लगभग ८० किलोमीटर दूर झुंझुनू में रानी सती का मंदिर है जो लगभग ४०० वर्ष पुराना है। श्रद्धालुओं के लिए यह एक प्रमुख आस्था का केंद्र है। पुरे राजस्थान से श्रद्धालु शनिवार और रविवार को मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। भाद्रपक्ष की अमावश्या में आयोजित होने वाले धार्मिक अनुष्ठान का बहुत ही मतत्व है। इसके लिये दूर दूर से लोग आगे हैं। रानी सती का एक मुख्य मंदिर और १२ अन्य छोटे मंदिर यहाँ स्थापित है। यूँ तो पुरे मंदिर में कई देवी देवताओं की मूर्तियां लगी हुयी हैं जैसे शिव जी हनुमान जी आदि लेकिन मंदिर में प्रमुख आकर्षण का केंद्र षोडश माता की मूर्ति है जिसमें १६ देविओं की मूर्ति लगी स्थापित है। लोगों की दृढ मान्यता है की रानी सतीजी ने अपने पति के हत्यारे को समाप्त कर अपना बदला लिया जो की स्त्री शक्ति का प्रतीक है इसलिए सती को दुर्गा माता का अवतार भी कहा जाता है। 

  • प्यारी दादी का लाड लड़ाओ Pyari Daadi Ka Laad Ladao
  • दादी चरणों में तेरे पड़ी Daadi Charanon Me Tere Padi
  • राणी सती माँ आई आंगणे Rani Sati Maa Aayi Angane
  • तेरे सहारे थे दादी जी तेरे सहारे हैं Tere Sahare The Dadiji
  • चालो दादी का लाड लडाओ माँ ने हाथां सूं सगळा सजाओ Dadi Ka Laad

  • मंदिर सुबह 5 बजे से दोपहर एक बजे तक और शाम 3 बजे से रात्रि 10 बजे तक खुला रहता है। मंदिर के गर्भ गृह में निकर और बरमुडा पहने लोगों का प्रवेश वर्जित है। मंदिर का दफ्तर सुबह 9 बजे से शाम 8 बजे तक खुला रहता है। राजस्थान के झुंझुनू में स्थित है रानी सती का मंदिर। शहर के बीचों-बीच स्थित मंदिर झुंझुनू शहर का प्रमुख दर्शनीय स्थल है। बाहर से देखने में ये मंदिर किसी राजमहल सा दिखाई देता है। पूरा मंदिर संगमरमर से निर्मित है। इसकी बाहरी दीवारों पर शानदार रंगीन चित्रकारी की गई है। मंदिर में शनिवार और रविवार को खास तौर पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। 

    इस मंदिर का मुख्य कारण यह है कि वहाँ कोई देवता की प्रतिमा या चित्र नहीं है। रानी सती की एक तस्वीर बस मंदिर के मुख्य हॉल में रखी गई है और दूसरे मंदिर की सभी दीवारों को रंगीन तरीके से चित्रित किया गया है। पूरे मंदिर में संगमरमर के पत्थर हैं। 

    यह रानी सती जी मंदिर 400 साल पुराना है। महिलाओं के लिए सम्मान, प्रेम और शक्ति का प्रतीक यह मंदिर है। श्रद्धालु देशभर से रानी सती के मंदिर में दर्शन करने आते हैं। भाद्रपद की अमावस्या पर आयोजित धार्मिक अनुष्ठानों में भक्त विशेष प्रार्थना के साथ भाग लेते हैं। 

    रानी सती का इतिहास महाभारत काल में शुरू हुआ था। रानी सती उत्तरा, अभिमन्यु की पत्नी (अर्जुन का पुत्र) माना जाता है। उत्तरायन ने युद्ध के मैदान में अभिमन्यु के मारे जाने के बाद अभिमन्यु के अंतिम संस्कार के साथ सती होने का फैसला किया। लेकिन भगवान कृष्ण उसके बचाव में आए और इस सब के बीच उसके फैसले के खिलाफ उसका पीछा किया। उन्होंने अभिमन्यु को अपनी शादी की इच्छा, और अपने अगले जीवन के लिए सती होने के लिए भी दिया। 

    मंदिर सुबह 5 बजे के आसपास खुलता है और दोपहर 1 बजे तक खुला रहता है। दोपहर 1 से 3 बजे तक मंदिर बंद रहता है। दोपहर 3 बजे मंदिर खुलता है और रात 10:30 बजे के करीब बंद होता है।  राजस्थान का झुनझुनु क्षेत्र अन्य मुख्य शहरों जैसे, दिल्ली, जयपुर,जोधपुर और बीकानरे के सड़क मार्गों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। शहरों से झुनझुनु तक के लिए कई ट्रेन सुविधाएं भी उपलब्ध हैं। यहाँ का सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा जयपुर में है जो यहाँ से लगभग 184 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। 

    हर हर नारायणी के उद्घोष में स्त्री शक्ति का अद्भुत स्वरूप समाया हुआ है। नारायणी, जो जगत की पालनहार और सृष्टि की आधारशिला हैं, हर कण, हर मन और हर दिशा में व्याप्त हैं। उनका अस्तित्व केवल एक देवी के रूप में नहीं, बल्कि सम्पूर्ण ब्रह्मांड में व्याप्त ऊर्जा और शक्ति के रूप में महसूस किया जाता है। यह शक्ति न केवल सृजन की है, बल्कि संरक्षण और संहार की भी है, जो जीवन के संतुलन को बनाए रखती है।

    जब हर घर, हर मन में नारायणी का वास होता है, तब समाज में एकता, साहस और धर्म की स्थिरता बनी रहती है। दुर्गे भवानी का नाम लेते हुए, यह उद्घोष उस अटल शक्ति को याद दिलाता है जो अंधकार और अधर्म के विरुद्ध सदैव खड़ी रहती है। रानी सती माँ का स्मरण स्त्री शक्ति की उस अनमोल मिसाल को दर्शाता है, जिसने अपने साहस और दृढ़ निश्चय से अन्याय का नाश किया। उनकी कथा में न केवल व्यक्तिगत बलिदान और न्याय की गाथा है, बल्कि यह समाज में नारी सशक्तिकरण और धर्म की रक्षा का प्रतीक भी है।

    शक्ति की यह अनुभूति केवल बाहरी रूप में नहीं, बल्कि आंतरिक चेतना के रूप में भी विकसित होती है। जब मनुष्य अपने भीतर की नारायणी को जागृत करता है, तब वह न केवल स्वयं के लिए, बल्कि समाज और जगत के लिए भी एक सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत बनता है। यह ऊर्जा अंधकार को दूर कर प्रकाश फैलाती है, भय को साहस में बदलती है और असहाय को समर्थ बनाती है।

    रानी सती के मंदिर का महत्व इस बात का द्योतक है कि श्रद्धा और विश्वास की शक्ति किसी भी भौतिक बाधा को पार कर सकती है। यह स्थल न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि एक ऐसी प्रेरणा का स्रोत भी है जो हर व्यक्ति को अपने भीतर की शक्ति पहचानने और उसे जागृत करने के लिए प्रोत्साहित करता है। स्त्री शक्ति का यह स्वरूप समाज में न्याय, सम्मान और समरसता की भावना को बढ़ावा देता है।
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