खाटू मंदिर खुलने एवं आरती समय Khatu Mandir Khulane Ka Samay Aarti Samay

खाटू मंदिर खुलने एवं आरती समय Khatu Mandir Khulane Ka Samay Aarti Samay

खाटू मंदिर खुलने एवं आरती समय
खाटू मंदिर खुलने का समय
शीतकाल:  सुबह 5:30 AM. से दोपहर 1:00P.M.
संध्या 5:00 P.M. से रात्रि 9:00 P.M.
ग्रीष्मकाल:  सुबह 4:30 AM. से दोपहर 12:30P.M.
संध्या 4:00 P.M. से रात्रि 10:00 P.M.


ईश्वर की भक्ति : सामाजिक जीवन में रहते हुए भी ईश्वर का सुमिरन किया जा सकता है। भजन के लिए जरुरी नहीं की सब नाते रिश्ते तोड़ कर व्यक्ति किसी पहाड़ पर जाकर ही मालिक को याद करें। ईश्वर को किसी स्थान विशेष में ढूढ़ने की भी आवश्यकता नहीं है, वो तो घट घट में निवास करता है। स्वंय के अंदर ना झाँक कर उसे बाहर ढूंढने पर कबीर साहब की वाणी है -
ना तीरथ में ना मूरत में ना एकांत निवास में
ना मंदिर में ना मस्जिद में ना काबे कैलाश में
ना मैं जप में ना मैं तप में ना मैं व्रत उपास में
ना मैं क्रिया क्रम में रहता ना ही योग संन्यास में
नहीं प्राण में नहीं पिंड में ना ब्रह्माण्ड आकाश में
ना मैं त्रिकुटी भवर में सब स्वांसो के स्वास में
खोजी होए तुरत मिल जाऊं एक पल की ही तलाश में
कहे कबीर सुनो भाई साधो मैं तो हूँ विशवास में 
 
सद्कार्य करते हुए जितना भी वक़्त मिले ईश्वर की भक्ति ही काफी है। वस्तुतः सद्कार्यों में जीवन बिताते हुए ईश्वर का स्मरण ही काफी है। पुरे दिन मंदिर में बैठकर पूजा पाठ करने से कोई विशेष लाभ नहीं होगा यदि मन में लोगों के प्रति कल्याण की भावना ही ना हो। असहाय की मदद करे, निर्धन की सहायता करें, बुजुर्गों का ख़याल रखें तो ईश्वर की भक्ति स्वतः ही हो जाती है। मानवता की सेवा ही सच्ची भक्ति है। मंदिर में दान पुण्य करने का अपना महत्त्व है लेकिन यह कहाँ तक उचित है की कोई व्यक्ति समर्थ होने पर सिर्फ मंदिरों में चढ़ावा दे और उसके आस पास बढ़ते हाथों को नजर अंदाज करता रहे। दोनों का अपने स्थान पर महत्त्व है।
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