हातीं घोडा महाल खजीना लिरिक्स
हातीं घोडा महाल खजीना दे दवलतपर लातरे।
करीयो प्रभुजीकी बात सबदीन करीयो प्रभूजीकी बात॥टेक॥
मा बाप और बेहेन भाईं कोई नही आयो सातरे॥१॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर भजन करो दिन रातरे॥२॥ पद का भावार्थ:मीराबाई कहती हैं कि उन्होंने हाथी, घोड़े, महल, खजाना और धन-दौलत जैसी सभी सांसारिक संपत्तियों को त्याग दिया है। वह केवल प्रभु श्रीकृष्ण की बात करती हैं और दिन-रात उनके भजन में लीन रहती हैं। माता-पिता, बहन-भाई जैसे संबंध भी अंततः साथ नहीं देते। इसलिए, मीराबाई अपने प्रभु गिरिधर नागर के भजन में दिन-रात मग्न रहने की सलाह देती हैं।
पद की व्याख्या:इस पद में मीराबाई ने सांसारिक संपत्तियों और संबंधों की अस्थिरता को उजागर किया है। वह बताती हैं कि हाथी, घोड़े, महल, खजाना और धन-दौलत जैसी वस्तुएं जीवन में स्थायी नहीं हैं और उन्होंने इन सभी को त्याग दिया है। मीराबाई का मानना है कि माता-पिता, बहन-भाई जैसे संबंध भी जीवन के अंतिम क्षणों में साथ नहीं देते। इसलिए, वह केवल प्रभु श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन रहती हैं और दूसरों को भी दिन-रात उनके भजन करने की प्रेरणा देती हैं।
इस प्रकार, यह पद मीराबाई की भगवान श्रीकृष्ण के प्रति अटूट भक्ति, संसारिक मोह-माया से वैराग्य और आध्यात्मिक मार्ग पर चलने की प्रेरणा को दर्शाता है।
meera Bai Bhajan Lyrics Hindi