मनमोहन गिरिवरधारी लिरिक्स Manmohan Girivardhari Lyrics

मनमोहन गिरिवरधारी लिरिक्स Manmohan Girivardhari Lyrics मीरा बाई पदावली Padawali Meera Bai Meera Bhajan Hindi Lyrics

 मनमोहन गिरिवरधारी
मनमोहन गिरिवरधारी॥टेक॥
मोर मुकुट पीतांबरधारी। मुरली बजावे कुंजबिहारी॥१॥
हात लियो गोवर्धन धारी। लिला नाटकी बांकी गत है न्यारी॥२॥
ग्वाल बाल सब देखन आयो। संग लिनी राधा प्यारी॥३॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। आजी आईजी हमारी फेरी॥४॥
 
करुणा सुणो स्याम मेरी, मैं तो होय रही चेरी तेरी॥
दरसण कारण भई बावरी बिरह-बिथा तन घेरी।
तेरे कारण जोगण हूंगी, दूंगी नग्र बिच फेरी॥
कुंज बन हेरी-हेरी॥
अंग भभूत गले मृगछाला, यो तप भसम करूं री।
अजहुं न मिल्या राम अबिनासी बन-बन बीच फिरूं री॥
रोऊं नित टेरी-टेरी॥
जन मीरा कूं गिरधर मिलिया दुख मेटण सुख भेरी।
रूम रूम साता भइ उर में, मिट गई फेरा-फेरी॥
रहूं चरननि तर चेरी॥

सखी मेरी नींद नसानी हो।
पिवको पंथ निहारत सिगरी, रैण बिहानी हो।
सखियन मिलकर सीख दई मन, एक न मानी हो।
बिन देख्यां कल नाहिं पड़त जिय, ऐसी ठानी हो।
अंग-अंग ब्याकुल भई मुख, पिय पिय बानी हो।
अंतर बेदन बिरहकी कोई, पीर न जानी हो।
ज्यूं चातक घनकूं रटै, मछली जिमि पानी हो।
मीरा ब्याकुल बिरहणी, सुध बुध बिसरानी हो।

कहां गयोरे पेलो मुरलीवाळो, अमने रास रमाडीरे॥ध्रु०॥
रास रमाडवानें वनमां तेड्या मोहन मुरली सुनावीरे॥१॥
माता जसोदा शाख पुरावे केशव छांट्या धोळीरे॥२॥
हमणां वेण समारी सुती प्रेहरी कसुंबळ चोळीरे॥३॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर चरणकमल चित्त चोरीरे॥४॥

कागळ कोण लेई जायरे मथुरामां वसे रेवासी मेरा प्राण पियाजी॥ध्रु०॥
ए कागळमां झांझु शूं लखिये। थोडे थोडे हेत जणायरे॥१॥
मित्र तमारा मळवाने इच्छे। जशोमती अन्न न खाय रे॥२॥
सेजलडी तो मुने सुनी रे लागे। रडतां तो रजनी न जायरे॥३॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरनकमल तारूं त्यां जायरे॥४॥

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