मिट गया जब मिटने वाला फिर सलाम आया तो क्या ! दिल की बर्वादी के बाद उनका पयाम आया तो क्या !
मिट गईं जब सब उम्मीदें मिट गए जब सब ख़याल, उस घड़ी गर नामावर लेकर पयाम आया तो क्या !
ऐ दिले-नादान मिट जा तू भी कू-ए-यार में, फिर मेरी नाकामियों के बाद काम आया तो क्या !
काश! अपनी जिंदगी में हम वो मंजर देखते, यूँ सरे-तुर्बत कोई महशर-खिराम आया तो क्या !
Desh Bhakti Geet Lyrics in Hindi,Patriotic Songs Lyrics in Hindi
आख़िरी शब दीद के काबिल थी 'बिस्मिल' की तड़प, सुब्ह-दम कोई अगर बाला-ए-बाम आया तो क्या !
जब अस्थिरता और मोह का नाश हो जाता है, तब शुद्ध आत्मा की अनुभूति होती है। सांसारिक पहचान मिटने के पश्चात आने वाली किसी भी प्रतिक्रिया का कोई विशेष अर्थ नहीं रह जाता, क्योंकि तब आत्मा परम सत्य की ओर बढ़ चुकी होती है।
जब सभी आशाएँ समाप्त हो जाती हैं और समस्त विचार लुप्त हो जाते हैं, तब यदि संसार किसी संदेश को लेकर आता भी है, तो उसकी कोई गहरी सार्थकता नहीं रह जाती। जो मन सहजता से अपने प्रियतम के सान्निध्य में समर्पित होता है, वह किसी सफलता या असफलता के गणना में नहीं बंधता।
मानव जीवन का सार इसी त्याग और समर्पण में है। जब यह संपूर्णता से स्वीकार किया जाता है, तब परमशांति की प्राप्ति होती है। इस यात्रा में अंततः जो संदेश आता है, वह मात्र बाह्य स्वरूप है, वास्तविकता तो आत्मा के भीतर प्रकट होती है।