सुनो राधा रानी मेरी भी कहानी भजन

सुनो राधा रानी मेरी भी कहानी भजन

सुनो राधा रानी मेरी भी कहानी,
किसको सुनाऊ हे महारानी,

लगी डूबने जब मिला न किनारा,
तुम्ही को पुकारा मुझको तुम ही ने उबारा ,
कही डूब जाये न कश्ती पुरानी,
किसको सुनाऊ हे महारानी,

जो विशियो की सूक्ष्म पिटारि है अंदर,
हो तेरा इशारा तो बन जाये मन्दिर,
आओ पधारो बडी मेहरबानी,
किसको सुनाऊ हे महारानी,

ये आंसू नही है मेरी प्यास है ये,
तेरे आने का लाडो एहसास है ये,
चली आओ श्यामा प्यारी बीती जिन्दगानी,
किसको सुनाऊ हे महारानी,

नाम की माला निरंतर चला दो,
हृदय निकुन्जन मे कुन्ज बना दो,
सेवा मे लेलो हरिदासी पुरानी,
किसको सुनाऊ हे महारानी,


सुंदर भजन में भक्त की भावनात्मक पुकार और राधारानी की कृपा की याचना प्रदर्शित की गई है। यह भाव दर्शाता है कि जब मनुष्य जीवन की कठिनाइयों से घिर जाता है, तब वह राधारानी को पुकारता है, क्योंकि उनकी करुणा ही उसे समस्त संकटों से मुक्त कर सकती है।

यह अनुभूति भक्ति के उस स्तर को दर्शाती है, जहाँ व्यक्ति अपनी समस्त पीड़ा, अशांति और इच्छाओं को प्रभु की प्रिय राधाजी के चरणों में अर्पित कर देता है। जब भक्त अपनी कथा उन्हें सुनाना चाहता है, तब उसका मन केवल एक विनती करता है—राधारानी उसे अपने प्रेम में अपनाएँ और उसकी भक्ति को स्वीकार करें।

श्रद्धा की इस गहराई में समर्पण का भाव उजागर होता है—जब भक्त अपनी अश्रु धारा को केवल पीड़ा नहीं, बल्कि ईश्वर की प्रतीक्षा का प्रतीक मानता है। यह प्रेम सांसारिक मोह से ऊपर उठकर पूर्ण आत्मसमर्पण की अवस्था में पहुँच जाता है, जहाँ भक्त अपनी भक्ति को राधाजी के नाम में अर्पित करता है।
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