मेरे गुरु श्री वल्लभ मेरे गुरु श्री वल्लभ लिरिक्स Mere Guru Shri Vallabh Lyrics

मेरे गुरु श्री वल्लभ मेरे गुरु श्री वल्लभ लिरिक्स Mere Guru Shri Vallabh Lyrics, Gurudev Bhajan

 
मेरे गुरु श्री वल्लभ मेरे गुरु श्री वल्लभ लिरिक्स Mere Guru Shri Vallabh Lyrics

मेरे गुरु श्री वल्लभ मेरे गुरु श्री वल्लभ
युग युग राज करो ॥
समरथ गुरु हमारे है, श्रीवल्लभ नाम है ।
ब्रजके चंद्र समान है ॥
दियो ब्रह्म संबंध, लियो शरणमें,
पधराई प्रभुकी सेवा, कृपादृष्टिकी खान है ॥
अति दयालु, अति कृपालु,
कियो पुष्टि प्रकाश, दैवी जीवके साथ है ॥
नंदालयके, बाल बिहारी, निकुंजके, युगल बिहारी,
सदा सेवामें रखियो, दासी तिहारी है ॥
मेरे गुरु श्री वल्लभ मेरे गुरु श्री वल्लभ
युग युग राज करो ॥
समरथ गुरु हमारे है, श्रीवल्लभ नाम है ।
ब्रजके चंद्र समान है ॥



मेरे गुरु श्री वल्लभ मेरे गुरु श्री वल्लभ लिरिक्स Mere Guru Shri Vallabh Lyrics

मेरे गुरु श्री वल्लभ मेरे गुरु श्री वल्लभ युग युग राज करो ॥

यह भजन श्री वल्लभाचार्य की स्तुति में है। श्री वल्लभाचार्य एक वैष्णव संत थे, जिन्होंने भक्ति योग के एक नए संप्रदाय की स्थापना की, जिसे पुष्टिमार्ग कहा जाता है। इस भजन में, भक्त श्री वल्लभाचार्य को अपने गुरु के रूप में स्वीकार करते हैं और उनके दीर्घ जीवन और समृद्धि की कामना करते हैं।

समरथ गुरु हमारे है, श्रीवल्लभ नाम है ।
ब्रजके चंद्र समान है ॥


श्री वल्लभाचार्य को एक समर्थ गुरु माना जाता है, जो अपने भक्तों को मोक्ष के मार्ग पर ले जा सकते हैं। वे ब्रज के चंद्र के समान हैं, जो अपनी सुंदरता और कृपा से सभी को मोहित करते हैं।

दियो ब्रह्म संबंध, लियो शरणमें,
पधराई प्रभुकी सेवा, कृपादृष्टिकी खान है ॥


श्री वल्लभाचार्य ने अपने भक्तों को ब्रह्म के साथ संबंध बनाने में मदद की है। उन्होंने उन्हें अपने शरण में लिया है और उन्हें भगवान की सेवा करने का अवसर दिया है। वे कृपा की खान हैं, जो अपने भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं।

अति दयालु, अति कृपालु,
कियो पुष्टि प्रकाश, दैवी जीवके साथ है ॥


श्री वल्लभाचार्य अत्यंत दयालु और कृपालु हैं। उन्होंने पुष्टि प्रकाश को प्रकट किया, जो भगवान की कृपा का प्रकाश है। यह प्रकाश सभी दैवी जीवों के साथ है।

नंदालयके, बाल बिहारी, निकुंजके, युगल बिहारी,
सदा सेवामें रखियो, दासी तिहारी है ॥


भक्त श्री वल्लभाचार्य से प्रार्थना करते हैं कि वे उन्हें हमेशा भगवान कृष्ण की सेवा करने में सक्षम बनाएं। वे भगवान कृष्ण के बाल रूप, नंदालय के बाल बिहारी, और उनके युगल रूप, निकुंज के युगल बिहारी की सेवा करना चाहते हैं। यह भजन श्री वल्लभाचार्य के प्रति भक्त की गहरी श्रद्धा और भक्ति को व्यक्त करता है। भक्त उन्हें अपने गुरु, मार्गदर्शक और प्रेरणा के रूप में स्वीकार करते हैं।


श्री वल्लभ (1479-1531 CE) एक हिंदू संत और दार्शनिक थे। वह कृष्ण भक्ति आंदोलन के पुष्टिमार्ग संप्रदाय के संस्थापक थे। श्री वल्लभ का जन्म चंपारण (आधुनिक बिहार) में हुआ था और उनका बचपन वृंदावन में बीता था, जो भगवान श्री कृष्ण के लीला स्थल के रूप में जाना जाता है।

श्री वल्लभ ने भगवान श्री कृष्ण को सर्वोच्च भगवान के रूप में मान्यता दी और उनके भक्तों के साथ प्रेम और भक्ति के रिश्ते को उजागर किया। उन्होंने शुद्ध अद्वैत (शुद्ध गैर-द्वैतवाद) का वेदांत दर्शन विकसित किया, जो भगवान श्री कृष्ण और उनकी भक्ति के महत्व को बताता है।

श्री वल्लभ ने भारत भर में कई यात्राएं कीं और अपने उपदेशों का प्रचार-प्रसार किया। उनके अनुयायियों में कई विद्वान और राजा शामिल थे। श्री वल्लभ ने कई धार्मिक ग्रंथों की रचना भी की, जिनमें प्रमुख हैं "अनुभाष्य", "सिद्धांत रहस्य" और "भवार्था दीपिका"।

श्री वल्लभ का पुष्टिमार्ग संप्रदाय आज भी भारत में प्रमुख वैष्णव संप्रदायों में से एक है। इस संप्रदाय के अनुयायी भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप "श्रीनाथजी" की पूजा करते हैं।

श्री वल्लभ को एक महान संत और दार्शनिक माना जाता है। उन्होंने भक्ति आंदोलन को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया और श्री कृष्ण भक्ति के सच्चे अर्थ को समझाया। श्री वल्लभ के उपदेश आज भी लाखों लोगों के जीवन को प्रेरित करते हैं।

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पुष्टिमार्ग एक वैष्णव भक्ति संप्रदाय है, जिसकी स्थापना 15वीं शताब्दी में श्री वल्लभाचार्य ने की थी। इस संप्रदाय के अनुसार, मोक्ष की प्राप्ति केवल भगवान की कृपा से ही संभव है। भगवान की कृपा को प्राप्त करने के लिए भक्त को भगवान के प्रति पूर्ण समर्पण और प्रेम होना चाहिए।
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