मुखड़ा देख ले प्राणी जरा दर्पण में लिरिक्स Mukhada Dekh Le Prani Lyrics, Pradeep Ke Bhajan
मुखड़ा देख ले प्राणीजरा दर्पण में हो
देख ले कितना पुण्य है कितना
पाप तेरे जीवन में
देख ले दर्पण में,
मुखडा देख ले प्राणी
जरा दर्पण में।।
कभी तो पल भर सोच ले प्राणी
क्या है तेरी करम कहानी
पता लगा ले
पता लगा ले पड़े हैं कितने
दाग तेरे दामन में
देख ले दर्पण में
मुखडा देख ले प्राणी
जरा दर्पण में।।
ख़ुद को धोखा दे मत बन्दे
अच्छे ना होते कपट के धंधे
सदा न चलता
सदा न चलता किसी का नाटक
दुनिया के आँगन में
देख ले दर्पण में
मुखड़ा देख ले प्राणी
जरा दर्पण में।।
मुखड़ा देख ले प्राणी
जरा दर्पण में हो
देख ले कितना पुण्य है कितना
पाप तेरे जीवन में
देख ले दर्पण में
मुखडा देख ले प्राणी
जरा दर्पण में।।
Mukhda Dekh Le Prani Zara Darpan Mein | Kavi Pradeep | Do Behnen @ Rajendra Kumar, Shyama
इस भजन का अर्थ यह है कि हमें अपने जीवन के बारे में आत्मनिरीक्षण करना चाहिए। हमें अपने कर्मों का लेखा-जोखा लेना चाहिए। हमें यह देखना चाहिए कि हमने कितने अच्छे कर्म किए हैं और कितने बुरे कर्म किए हैं। भजन का पहला लाइन कहता है कि हमें अपने चेहरे को आईने में देखना चाहिए। इसका मतलब है कि हमें अपने जीवन को अंदर से देखना चाहिए। हमें अपने विचारों, शब्दों और कार्यों पर ध्यान देना चाहिए।
भजन का दूसरा लाइन कहता है कि हमें अपने कर्मों का लेखा-जोखा लेना चाहिए। इसका मतलब है कि हमें यह देखना चाहिए कि हमने कितने अच्छे कर्म किए हैं और कितने बुरे कर्म किए हैं। अच्छे कर्मों से हमें पुण्य मिलता है और बुरे कर्मों से हमें पाप मिलता है। भजन का तीसरा लाइन कहता है कि हमें अपने आप को धोखा नहीं देना चाहिए। इसका मतलब है कि हमें अपने कर्मों के लिए सचेत होना चाहिए। हमें अपने कर्मों के बारे में झूठ नहीं बोलना चाहिए।
भजन का चौथा लाइन कहता है कि दुनिया में हमेशा अच्छे और बुरे का संघर्ष होता रहता है। इसका मतलब है कि हमें हमेशा अच्छे कर्म करने चाहिए। हमें बुरे कर्मों से बचना चाहिए। कुल मिलाकर, इस भजन का अर्थ यह है कि हमें अपने जीवन के बारे में आत्मनिरीक्षण करना चाहिए। हमें अच्छे कर्म करने चाहिए और बुरे कर्मों से बचना चाहिए।
भजन का दूसरा लाइन कहता है कि हमें अपने कर्मों का लेखा-जोखा लेना चाहिए। इसका मतलब है कि हमें यह देखना चाहिए कि हमने कितने अच्छे कर्म किए हैं और कितने बुरे कर्म किए हैं। अच्छे कर्मों से हमें पुण्य मिलता है और बुरे कर्मों से हमें पाप मिलता है। भजन का तीसरा लाइन कहता है कि हमें अपने आप को धोखा नहीं देना चाहिए। इसका मतलब है कि हमें अपने कर्मों के लिए सचेत होना चाहिए। हमें अपने कर्मों के बारे में झूठ नहीं बोलना चाहिए।
भजन का चौथा लाइन कहता है कि दुनिया में हमेशा अच्छे और बुरे का संघर्ष होता रहता है। इसका मतलब है कि हमें हमेशा अच्छे कर्म करने चाहिए। हमें बुरे कर्मों से बचना चाहिए। कुल मिलाकर, इस भजन का अर्थ यह है कि हमें अपने जीवन के बारे में आत्मनिरीक्षण करना चाहिए। हमें अच्छे कर्म करने चाहिए और बुरे कर्मों से बचना चाहिए।