प्रधानमत्री नरेन्द्र मोदी जी के राडार पर बयान

प्रधानमत्री नरेन्द्र मोदी जी के राडार पर बयान

प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने बालाकोट हमले के दौरान कहा की भारतीय सैनिको को बादलों का फायदा मिला और भारतीय विमान "मिराज" पाकिस्तान के राडार से बच पाया और हमला करने में कामयाब हो पाया।
प्रधनमंत्री जी का भाव था की बादलों के कारण पाकिस्तान की सेना/राडार को को भारतीय विमान नहीं दिखा जिससे वो हमला कर सके और कामयाबी से कार्य पूर्ण किया।
सोशल मीडिया पर कुछ लोग इस बात को सही ठहरा रहे हैं और उनका मानना है की भारतीय विमानों को बादलों का लाभ मिला है। इस विषय में जानकार लोगों का मानना है की छोटे मोटे बादलों के कारन राडार की फ्रेकवेन्सी पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता है लेकिन यदि बादल बहुत घने हो तो विमान की सटीक जानकारी प्राप्त कर पाना मुश्किल हो जाता है।

कुछ लोगों का मानना है की राडार की तरंगे बहुत ही सूक्ष्म होती हैं जो बादलों को भी भेद सकती हैं और खराब मौसम होने पर थोड़ा बहुत तो फर्क पड़ता है लेकिन ऐसा नहीं है की वो पूर्णतया बंद ही हो जाय। अब ये तो वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों को तय करना है की बादलों का फायदा भारतीय विमानों को मिला या नहीं लेकिन अब ये जानने की कोशिश करते हैं की राडार क्या होता, और कैसे काम करता है। प्रधानमत्री नरेन्द्र मोदी जी के राडार पर बयान राडार से तात्पर्य है Radio Detection And Ranging. वर्तमान समय में राडार का उपयोग विमानों के अलावा, पनडुब्बियों, गाड़ियों में भी उपयोग में लिया जा रहा है जिससे उनकी दूरी, गति, और ऊंचाई और दिशा के बारे में पता लगाया जाता है। मौसम के बारे में यथा, बारिश, हिमपात, आंधी अनुमान लगाने के लिए भी राडार का उपयोग होता है।

राडार का अविष्कार किसने किया : राडार का अविष्कार 1922 में Teller And Liyo Ying के द्वारा किया गया था। राडार मूल रूप से इलेक्ट्रो मेग्नेटिक सिस्टम है। राडार यूऐचएफ और माइक्रोवेव सिग्नल पर कार्य करता है। राडार पल्स राडार और कन्टीन्यूएस वेव पर आधारित होता है। द्वितीय विश्व युद्ध में सेनाओं के द्वारा इसे विकसित किया गया और सैनिक गतिविधियों के लिए इसका उपयोग लिया जाने लगा था। राडार को दो भागों में विभक्त किया जा सकता है

बेसिक पल्स राडार :
बेसिक पल्स राडार स्थिर टारगेट का पता लाने के लिए काम में लिया जाता है। यह राडार डुप्लेक्स के माध्यम से एक बेसिक एंटीना से सिग्नल प्राप्त करने और भेजने का काम करता है। यह राडार निश्चित अंतराल में एक वेव क्रिएट करता है।
कंटीनुयस वेव राडार : यह राडार मूविंग टारगेट की मैपिंग के लिए उपयोग में लिया जाता है।
राडार कैसे कार्य करता है : हम प्रकाश में किसी वस्तु को देख पाते हैं। होता यह है की प्रकाश जैसे सूर्य का प्रकाश या कृतिम प्रकाश, वह किसी वस्तु पर पड़ता है और वह वस्तु उस प्रकाश को पतिवर्तित कर देती है जो लौटकर आँखों तक पहुँचता है। परिवर्तित प्रकाश के हिसाब से हमारा मस्तिष्क यह अंदाजा लगता है की वह वस्तु क्या है। राडार इसी विधि पर कार्य करता है लेकिन वह प्रकाश के स्थान पर रेडिओ वेव के ऊपर कार्य करता है।
राडार में सूक्ष्म रेडियो तरंगों को ट्रांसमीटर से किसी दिशा में भेजा जाता है और ये किसी वस्तु से टकरा कर रिसेप्टर के पास लौट आती हैं। तरंगो के लौटकर आने में लगने वाले समय से किसी विमान की दिशा, गति और आकार का पता लगाया जा सकता है। 
 
टेक्नोलॉजी के विकास के साथ ऐसे कुछ पेंट और धातुओं का विकास हो रहा है जिससे विमान रडार की पकड़ में ही ना आ पाए। वर्तमान में राडार से बचने की तकनीक स्टेल्थ तकनीक है जो रूस और अमेरिका के पास ही है। स्टेल्थ तकनीक से राडार मैपिंग से बचा जा सकता है। यातायात पुलिस राडार गन से गाड़ियों की स्पीड का पता लगाया जाता है। राडार वस्तुतः इको Echo के सिद्धांत पर काम करता है। रेडिओ प्रसारण और राडार में अंतर होता है। राडार की तरंगों की आवृति अधिक होती है और तरंगे कम होती है। ये प्रकाश वेग से चलती हैं, यानी इनका वेग 1,86,000 मील प्रति सेकिंड होता है l पूर्व में राडार बहुत बड़े होते थे जिनको स्थापित करने में काफी प्रयत्न करने पड़ते थे लेकिन वर्तमान में राडार हथेली में समां जाय इंटने छोटे आकर के भी बनाये जा रहे हैं।

समझिये राडार की कार्य प्रणाली को -
  • मैग्नेट्रॉन शक्तिशाली चुंबकीय आवृति को पैदा करता है।
  • डुपलेसर शक्तिशाली चुम्बकीय किरणों को एंटीना तक प्रसारित करता है।
  • एंटीना इन किरणों को टारगेट एरिया तक प्रसारित करता है।
  • रेडियो वेव्स टारगेट से टकरा कर वापस लौटती हैं।
  • एंटीना जब रेडिओ वेव प्रसारित नहीं कर रहा होता है उस अंतराल में लौटकर आने वाले सिग्नल्स को प्राप्त करता है। एंटीना एक ही होता है वही वेव्स को भेजता है और प्राप्त करता है।
  • ड्यूपलेसर एंटीना से प्राप्त संदेशों को रिसीवर को भेजता है।
कंप्यूटर के माध्यम से डाटा को प्रोसेस करके स्क्रीन पर दिखता है, जिसमे दुरी, आकृति का ब्यौरा प्राप्त होता है। क्या राडार से बचा जा सकता है : राडार से बचने के लिए तकनीक मौजूद हैं। फिलहाल ये तकनीक रूस और अमेरिका के पास है। यह तकनीक काफी उन्नत और नवीनतम है। इस तकनीक के माध्यम से विमान या किसी उपकरण में रेडियो वेव्स को क्रॉस छोड़ा जाता है जिससे रेसेप्टर को यह जानकारी नहीं मिलती है की वास्तव में किस चीज से टकरा कर लौट रहे हैं जिससे मैपिंग नहीं होती है।
क्या राडार से पूर्ण फोटो प्राप्त की जा सकती है : वर्तमान में राडार इतने विकसित नहीं हुए हैं और मानव आँख की तरह फोटो को प्राप्त नहीं कर सकते हैं। वर्तमान में उपलब्ध तकनीक के माध्यम से किसी वस्तु के आकार का मोटा मोटा अंदाजा ही लगाया जा सकता है। सामान्य कोहरा, धुंध, बादल, बरसात में राडार काम करता है। वस्तु के रंग और पूर्ण ब्यौरा प्राप्त नहीं होता है।
राडार की गति क्या होती है : राडार की गति उसकी तरंगो पर आधारित होती है जो की लगभग तीन लाख किमी प्रतिसेकंड(1,86,999 मील प्रति सेकंड) होती है

राडार के अवयव / Parts of Radar
ट्रांसमीटर : राडार में ट्रांसमीटर ही अल्प काल की शक्तिशाली तरंगे पैदा करता है जिसे एंटीना के माध्यम से आकाश या किसी दिशा विशेष में भेजा जाता है।
ड्यूप्लेक्सर : यह एक तरह से स्विच का कार्य करता है। इसका कार्य एंटीना को सन्देश भेजने वाले और सन्देश प्राप्त करने वाले रिसेप्टर में बदलना होता है, जिससे एक समय में एक एंटीना कार्य में लिया जा सके। इस स्विच का उपयोग प्रमुख होता है क्योंकि उच्च बल की किरणे रिसीवर को बर्बाद कर सकती है।
वैव गाइड्स : वेवगाइड्स राडार सिग्नलों के प्रसारण के लिए ट्रांसमिशन तरंगे होती हैं।
थ्रेसहोल्ड डिसीज़न : किसी भी वस्तु की उपस्थिति का पता लगाने के लिए रिसीवर के आउटपुट की तुलना थ्रेशोल्ड के साथ की जाती है।
रिसीवर : रिसीवर प्राप्त आरएफ सिग्नल्स को डेमॉडयूलेट करता है और वीडियो सिग्नल में परिवर्तित करता है।
राडार एंटीना : ट्रांसमीटर से प्राप्त सिग्नल्स को एंटीना एनर्जी में बदलकर स्पेस में भेजता है। इसका कार्य रिसेप्टर के ऊपर आधारित रहता है।
इंडिकेटर : इंडिकेटर का कार्य प्राप्त सिग्नल्स को ग्राफ़िक्स में समझने लायक बताता है।
राडार स्क्रीन : राडार स्क्रीन पर प्राप्त सिग्नल्स को ऑब्जेक्ट के रूप में दिशा और दूरी के अनुसार पदर्शित किया जाता है।
भारत का राडार : तकनीक के विकास के साथ साथ विदेशों से आयत किये जाने वाले महंगे राडार के स्थान पर अब भारत में भी राडार का निर्माण होने लगा है। भारतीय वैज्ञानिकों के द्वारा विकसित इस राडार का नाम सीयूसैट-एसटी-205 रखा गया है जिसे मौसम सबंधी जानकारी हासिल करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इससे मानसून सबंधी भविष्यवाणी करने में मदद मिलेगी। भारत में निर्मित राजेंद्र राडार एक थ्रीडी रडार है जिसे मिसाइलों के लिए उपयोग में लिया जाता है।
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