में कोई भी काम बदनीयती से नहीं करूँगा

"में कोई भी काम बदनीयती से नहीं करूँगा" : प्रचंड जीत के बाद नरेंद्र मोदी के द्वारा दिए गए भाषण की समीक्षा

लोक सभा चुनाव २०१९ में सफलता के बाद नरेंद्र मोदी ने दिल्ली स्थित दफ्तर से पार्टी कार्यकर्ताओं और आम लोगों को सम्बोधित करते हुए उनका धन्यवाद ज्ञापित किया, जिसके कई मायने निकलते हैं। उनका यह कहना की"में कोई भी काम बदनीयती से नहीं करूँगा" आम लोगों में चर्चा का प्रमुख विषय है। विपक्षी पार्टियों की द्वारा यह भ्रम फैलाने में कोई कसर नहीं रखी गयी की नरेंद्र मोदी भेदभाव करते हैं और धर्म के नाम पर वोट बटोरते हैं। परिणामों का विश्लेषण करें तो साफ़ दिखाई पड़ता है की बीजेपी को मिला प्रचंड बहुमत किसी एक समुदाय और क्षेत्र विशेष का नहीं बल्कि सभी के द्वारा दिया गया है, इसे किसी एक जाती या धर्म का नहीं माना जाना चाहिए। 

नरेंद्र मोदी ने कहा की काम करते करते गलती हो सकती है लेकिन उनके द्वारा किये गए कार्य किसी बदनीयती से प्रेरित नहीं होंगे। मेरे समय का पल-पल, मेरे शरीर का कण-कण सिर्फ देशवासियों के लिए है. जनता जब भी मेरा मूल्यांकन करे इन तीन तराजुओं पर मुझे कसते रहना। कभी कोई कमी रह जाए तो मुझे कोसते रहना. लेकिन मैं विश्वास दिलाना चाहता हूं कि मैं सार्वजनिक रूप से जो बातें बताता हूं उसको जीने के लिए भरपूर प्रयास करूंगा।

विपक्ष पर नरेंद्र मोदी ने कहा की उनके लिए यह महत्वपूर्ण नहीं है की विपक्ष के लोगों ने उनके लिए क्या कहा, कौन क्या बोला उनके लिए कार्य ही महत्वपूर्ण है।

ये नरेंद्र मोदी की चारित्रिक विशेषता ही है की उन्हें विपक्ष के लोगों के द्वारा दिए गए बयान से कोई विशेष लेना देना नहीं है और वे अपने कार्यों पर ही ध्यान देना चाहते हैं। मेरे मुताबिक विपक्षी दलों का मोदी से जो विरोध था वो "द्वेष" में बदल गया जो शुभ संकेत नहीं है। किसी भी व्यक्ति में कमी हो सकती है जिसके लिए उसका विरोध किया जा सकता है लेकिन उसके द्वारा किये गए कार्यों को सदा कोसना भी ठीक नहीं है।

मोदी ने कहा की "मैं कोई भी कार्य बदनीयती से नहीं करूँगा" इसका भाव उन लोगों के लिए उत्तर है जो मोदी को किसी विशेष सांचे में बिठाना चाहते हैं। वे मोदी पर एक धर्म विशेष का लेबल लगाना चाहते हैं और चुनाव प्रचार में उन लोगों ने बार बार ये कहा भी है। तीन तलाक और राम मंदिर के निर्माण के मुद्दे पर मोदी को घेरने की कोशिश भी की गयी जबकि मोदी के द्वारा उठाये गए कदम किसी धर्म विशेष के प्रति विद्वेष के कारन नहीं बल्कि उन्ही के कल्याण के लिए उठाये गए कदम ही हैं। 

मोदी ने कहा की जब हम हम दो थे, तब भी निराश नहीं हुए। अब दोबारा आए हैं तब भी न नम्रता छोड़ेगे, न विवेक को छोड़ेंगे, न हमारे आदर्शों को छोड़ेंगे, न हमारे संस्कारों को छोड़ेंगे। ये 21वीं सदी है, ये नया भारत है। ये चुनाव की विजय मोदी की विजय नहीं है। ये देश में ईमानदारी के लिए तड़पते हुए नागरिक की आशा-आकांक्षा की विजय है। यह 21वीं सदी के सपनों को लेकर चल पड़े नौजवान की विजय है। इससे मोदी जी बीजेपी के पदाधिकारियों को सन्देश देना चाहते थे की उनके अंदर अहम् की भावना नहीं आये। वे उसी भावना से कार्य करेंगे जिस भावना से करते आएं हैं। यह सन्देश था बीजेपी आम कार्यकर्ता और मंत्रियों के लिए भी की कर्म ही महत्वपूर्ण है। कार्य करने की भावना को नरेंद्र मोदी ने बल दिया। 

"जो उम्मीदवार विजयी हुए हैं, उन सभी को मैं ह्रदयपूर्वक बधाई देता हूं। वो किसी भी दल से आए हों, लेकिन देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए कंधे से कंधा मिलाकर ये सभी विजयी उम्मीदवार देश की सेवा करेंगे, इस विश्वास के साथ मैं उन्हें शुभकामना देता हूं" इस सन्देश से नरेंद्र मोदी जीतकर आये लोगों को कार्य के प्रति ईमानदार होने का सन्देश दिया। २००४ में भी नरेंद्र मोदी ने इसी सन्देश को प्रसारित किया था।

"महाभारत के युद्ध के बाद श्रीकृष्ण से पूछा गया था कि वो किसके पक्ष में थे। जो जवाब तब श्रीकृष्ण ने दिया था, वही जवाब आज देश की जनता ने दिया है। श्रीकृष्ण ने तब कहा था कि मैं किसी के पक्ष में नहीं था, मैं सिर्फ हस्तीनापुर के पक्ष में खड़ा था। आज भारत के 130 करोड़ नागरिक भारत के पक्ष में खड़े थे, भारत के पक्ष में उन्होंने मतदान किया " इस सन्देश के माध्यम से नरेंद्र मोदी को यह सन्देश दिया की उनके लिए देश प्रधान है कोई जाती और धर्म प्रमुख नहीं हैं। देश विदेश में नरेंद्र मोदी ने जो सन्देश दिया है वो आम लोगों के लिए गर्व का विषय है।

भारत को विश्व में कूटनीति के स्तर पर स्थापित करने का कार्य नरेंद्र मोदी ने किया है। जब बालाकोट में सर्जिकल स्ट्राइक हुयी तो किसी भी देश ने पाकिस्तान के इस बात की तरफ ध्यान नहीं दिया की भारत ने पाकिस्तान की सीमा का उल्लंघन किया है। सभी ने भारत के साथ खड़े होकर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का विरोध किया।

देश में ही नहीं विदेशों में भी मोदी सरकार की साफ़ नियत, भ्रष्टाचार मुक्त शासन की एक छवि नरेंद्र मोदी सरकार ने स्थापित की है। कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ नीति हो या देश में सुशासन दोनों क्षेत्रों में नरेंद्र मोदी ने एक विशेष पहचान भारत को दी है। लगातार कार्य करते रहने के कारण मोदी की छवि एक कर्मठ व्यक्ति की है जिसका फायदा बीजेपी को अवश्य मिला है।

चुनाव परिणाम आने के बाद पुरे देश में ख़ुशी की लहर है वही दूसरी तरफ बुरी तरह से हार का सामना करने के कारन विपक्षी पार्टियों के दफ्तरों में सन्नाटा पसरा पड़ा है। कांग्रेस को समझना होगा की अब उसका भविष्य गाँधी परिवार में नहीं रहा है। राहुल गाँधी के नेतृत्व से कांग्रेस को लाभ कम नुक्सान ज्यादा हो रहा है। जहाँ एक तरफ बीजेपी ने प्रचंड बहुमत प्राप्त किया है वही दूसरी तरफ कांग्रेस कई राज्यों में खाता तक नहीं खोल पायी है। अब कांग्रेस के लिए सवाल है की वो स्वयं का असितत्व कैसे बचा पायेगी। क्या राहुल गाँधी इस्तीफा देंगे या फिर दुबारा नए जोश से मैदान में उतरेंगे। राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी के नेतृत्व का फायदा कांग्रेस को मिलता नजर नहीं आ रहा है।


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