नवरात्रि महत्त्व क्या है नवरात्रि का अर्थ और महत्व Significance of Navratri

नवरात्रि महत्त्व Significance of Navratra क्या है नवरात्रि का अर्थ और महत्व

नवरात्रि हमारे हिंदुओं का बहुत महत्वपूर्ण त्यौहार है यह 9 दिन का होता है यह वर्ष में दो बार आते हैं एक चैत्र के महीने में दूसरा आश्विन के महीने में इसे शारदीय नवरात्र भी कहते हैं शारदीय नवरात्रि की अपनी ही महिमा है इसीलिए इन्हें महानवरात्र भी कहा जाता है इसके अलावा दो गुप्त नवरात्रि भी आते हैं शारदीय नवरात्रों की महिमा बहुत ही अलग है क्योंकि इसके अंत में दशहरा आता है और वह बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है इस बार शारदीय नवरात्र 29 सितंबर से शुरू हो रहे हैं और यह 7 अक्टूबर तक चलेंगे सभी नौ दिनों में नौ देवियों की पूजा की जाती हैं.
 
नवरात्रि महत्त्व क्या है नवरात्रि का अर्थ और महत्व Significance of Navratri

हर दिन की अलग देवी होती हैं लेकिन यही यह सभी देवी के स्वरूप हैं नवरात्र स्थापना के समय प्रतिपदा तिथि को कलश की स्थापना की जाती है तथा माताजी के रूपों की पूजा की जाती है सुबह है और शाम को नियमित रूप से उनकी जोत् ली जाती है और उनकी भजन आरती किये जाते हैं 8 दिन पश्चात में नवमी तिथि को कन्याओं की पूजा की जाती है और कन्या की पूजा करने के पश्चात को तिलक लगाकर के प्रसाद दिया जाता है उन्हें खाने में हलवा पूरी दिया जाता है जो कि दुर्गा माता का पसंदीदा पकवान है छोटी-छोटी कन्याओं को चुनरी और चूड़ियां दी जाती है जो कि सुहागन स्त्रियों के लिए वरदान माने जाते हैं ऐसा माना जाता है कि कन्याओं की पूजा करने से उनके घर में किसी प्रकार की विपदा नहीं आती हैं और सुख संपत्ति का विस्तार होता है कन्याओं को हरी चूड़ियां देने का प्रावधान है फल के रूप में केले या अनार दिया जाता है।

नवरात्रि में कलश स्थापना का महत्व Importance of Navratri 

नवरात्रि में कलश स्थापना का एक विशेष महत्व है इसके लिए सर्वप्रथम एक चौकी ली जाती हैं और उस चौकी पर लाल वस्त्र बिछाया जाता है  इसके पश्चात नो जगह पर चावल के छोटे -छोटे ढेर बनाये जाते है यह चावल के ढेर नौ देवियों के स्वरूप का प्रतीक होते हैं अनेक रंगों से भी चौकी पर डिजाइन बनाई जाती है अब कलश के लिए तांबे   का कलश लिया जाता है उसको साफ करके पानी से भरने के पश्चात आम के 5 पत्तों से उसको ढक दिया जाता है और उसके ऊपर श्रीफल अथार्थ नारियल रखा जाता है और  अंतिम नवरात्रि को इस नारियल को पधारकर छोटी कन्याओं में प्रसाद के रूप में दिया जाता है या फिर पानी में बहा दिया जाता है.
 
यह माना जाता है कि नौ देवियों के साथ श्रीफल की पूजा का भी अपना ही महत्व होता है इससे मनोकामना पूर्ण होती है और इस कलश के पानी को अंतिम नवरात्रि के दिन घर में छिड़काव किया जाता है तथा पूजा घर में रखा जाता है माना जाता है मां का आशीर्वाद होता है और यह हमें सभी रोगों से हमें मुक्त रखता है कन्याओं के साथ एक छोटे बच्चे  की भी पूजा की जाती है और उसको  बजरंगबली का अवतार माना जाता है कहा जाता है कन्याओं के साथ एक छोटे बालक का होना भी अनिवार्य होता है इससे हमारी सभी मनोकामनाएँ  पूर्ण होती हैं।
 

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नवरात्रि में कलश स्थापना के समय ज्वारे उगाने का भी प्रावधान है इसके लिए एक मिट्टी का कलश लिया जाता है तथा  उसमें बालू मिट्टी  डाली जाती है  फिर एक मुट्ठी  जौ डालकर प्रत्येक दिन पानी डाला जाता है नौवें दिन तक यह  ज्वारे 6 से 7 इंच तक लंबे हो जाते हैं कन्या पूजन के पश्चात  कन्याओं को प्रसाद के साथ ज्वारे देने का विधान है
 

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