कांकर पाथर जोरि के मस्जिद लई मीनिंग
कांकर पाथर जोरि के मस्जिद लई चुनाय मीनिंग
कबीर के दोहे हिंदी में
कांकर पाथर जोरि के ,मस्जिद लई चुनाय।
ता उपर मुल्ला बांग दे, क्या बहरा हुआ खुदाय।।
ता उपर मुल्ला बांग दे, क्या बहरा हुआ खुदाय।।
Or
कंकर-पत्थर जोरि के मस्जिद लई बनाय,
ता चढ़ि मुल्ला बांग दे का बहरा भया खुदाय|
ता चढ़ि मुल्ला बांग दे का बहरा भया खुदाय|
Kaankar Paathar Jori Ke ,masjid Laee Chunaay.
Ta Upar Mulla Baang De, Kya Bahara Hua Khudaay
Ta Upar Mulla Baang De, Kya Bahara Hua Khudaay
Or
Kankar-patthar Jori Ke Masjid Laee Banaay,
Ta Chadhi Mulla Baang De Ka Bahara Bhaya Khudaay
Ta Chadhi Mulla Baang De Ka Bahara Bhaya Khudaay
कंकर पत्थर जोड़ के शब्दार्थ
मस्जिद लिनी बनाय : मस्जिद बना ली है।
ता ते ऊपर मुल्ला बांग दे : मौलवी के द्वारा जोर जोर से घोषणा करना।
क्या बहरा हुआ खुदाय : क्या खुदा बहरा हो गया है (जोर जोर से घोषणा करने पर )
दोहे का हिंदी मीनिंग: यह दोहा प्रतीकात्मक भक्ति पर व्यंग्य है, जिसका मर्म समझना आवश्यक है। ऐसा नहीं है की कबीर अजान (अज़ान (उर्दू: أَذَان) या अदान। इस्लाम में मुस्लिम समुदाय अपने दिन भर की पांचों नमाज़ों के लिए बुलाने के लिए ऊँचे स्वर में जो शब्द कहते हैं, उसे अज़ान कहते है, अज़ान कह कर लोगों को मस्ज़िद की तरफ़ बुलाने वाले को मुअज़्ज़िन कहते हैं। ) के विरोधी थे। कबीर साहेब का दृढ रूप से मानना था की इश्वर / खुदा, उसे किसी भी नाम से पुकारा जाय, वह जीव के संग सदैव रहता है। उसे किसी मंदिर और मस्जिद में ढूँढना मूर्खता है, लेकिन कबीर साहेब ने ऐसा भी नहीं कहा की मंदिर और मस्जिद में ईश्वर है ही नहीं ! उनका स्पष्ट मत है की ईश्वर कण कण में निवास करता है।
अजान में हम खुदा के प्रति अपनी निष्ठा प्रदर्शित करते हुए कहते हैं की "मैं गवाही देता हूं कि अल्लाह के सिवा कोई दूसरा इबादत के काबिल नहीं है" . कबीर साहेब के मतानुसार जब ईश्वर सर्वज्ञाता है तो रोज रोज इस पंक्ति को दोहराने के बजाये सच्चे हृदय से खुदा के बताये नेक राह पर चलना चाहिए। यदि आप अपने दिल से सच्ची प्रार्थना करते हैं तो उसे जोर से बोलने की आवश्यकता नहीं है क्यों की खुदा ख़ामोशी से की गयी इबादत को भी स्वीकार करता है। लोग इबादत तो करते हैं लेकिन नेकी की राह पर नहीं चलते हैं यही इस दोहे का मूल भाव है।
सुबह के समय दी जाने वाली अजान का हिंदी में अर्थ
अल्ला हु अकबर-अल्लाह सब से महान है
अश-हदू अल्ला-इलाहा इल्लल्लाह-मैं गवाही देता हूं कि अल्लाह के सिवा कोई दूसरा इबादत के काबिल नहीं है।
ह़य्य 'अलस्सलाह -आओ इबादत की ओर
ह़य्य 'अलल्फलाह -आओ सफलता की ओर
अस्सलातु खैरूं मिनन नउम-नमाज़ नींद से बेहतर है।
अल्लाहु अकबर -अल्लाह सब से महान है
ला-इलाहा इल्लल्लाह -अल्लाह के सिवा कोई इबादत के काबिल नहीं।
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