क्या गुड पेट से धूल मिट्टी और अशुद्धियाँ दूर करता है
क्या नियमित रूप से गुड़ खाने से शरीर की धूल मिट्टी और अशुद्धियाँ दूर होती हैं, यह प्रश्न कई बार लोगों के मन में आता है लेकिन इसका कोई सीधा जवाब नहीं है। जहाँ एक और कुछ कम्पनिया जो बड़े और कठोर धातुओं का निर्माण करती हैं, जिस फैक्ट्री में ज्यादा धूल मिटटी का काम हो, वे अपने कार्मिकों को गुड़ अनिवार्य रूप से भोजन के लिए देती हैं, शायद इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है की गुड़ अशुद्धियों को दूर करता हो। ऐसा शायद इसलिए होता हो क्योंकि गुड़ में कई प्रकार ओक्सीटोक्सिन होते हैं जो शरीर को बाहरी कणों से मुक्त रहते हों। बहरहाल, इसके विषय में कोई शोध उपरांत पुख्ता तथ्य तो नहीं है लेकिन ऐसा काफी समय से किया जाता रहा है। गुड़ खाने से कई अन्य लाभ जरूर होते हैं जो हमारे शरीर को कई प्रकार के लाभ पहुंचते हैं।
- गुड़ हमें इंस्टैंट एनर्जी देता है और यह पचने में भी अधिक सुगम होता है।
- गुड़ में प्राकृतिक रूप से कैल्शियम और फास्फोरस होते हैं जो हमारी हड्डियों और उसकी संरचना को बल देते हैं। पुराने जमाने में जहाँ लोगों को कमर दर्द के लिए अनिवार्य रूप से गुड़ खिलाया जाता था उसका एक कारन यह भी हो सकता है।
- गुड़ हमारे रक्त को साफ़ करने के अतिरिक्त आयरन की कमी को भी दूर करता है।
- गुड़ के सेवन से शरीर के सभी टॉक्सिक सब्सटेन्स आसानी से बाहर निकल जाते हैं।
- गुड़ के सेवन से सर्दी झुकाम और खांसी में भी आराम मिलता है।
- गुड़ के सेवन से महिलाओं को होने वाले पीरियड्स के दौरान दर्द में भी आराम मिलता है।
- गुड़ के सेवन से अस्थमा रोग और त्वचा विकारों में भी लाभ मिलता है।
- आयुर्वेदा में पुराने गुड़ की अधिक महिमा है, इसलिए यदि पुराना गुड़ मिलता है तो श्रेष्ठ होता है जो की कफ और दमा को नियंत्रित करता है।
गुड़ क्या होता है
गुड़ एक मीठा ठोस खाद्य पदार्थ है जो गन्ने, ताड़ आदि के रस को उबालकर कर सुखाने के बाद प्राप्त होता है। उबालने के बाद इसका रंग हल्के पीले से लेकर गाढ़े भूरे तक हो जाता है। भूरा रंग कभी-कभी काले रंग का भी आभास देता है। यह खाने में बहुत मीठा होता है। प्राकृतिक पदार्थों में सबसे अधिक मीठा कहा जा सकता है। अन्य वस्तुओं की मिठास की तुलना गुड़ से की जाती हैं। गुड़ कुछ सूखा, ठोस पदार्थ होता है, पर वर्षा ऋतु जब हवा में नमी अधिक रहती है तब पानी को अवशोषित कर अर्धतरल सा हो जाता है। यह पानी में अत्यधिक विलेय होता है और इसमें उपस्थित अपद्रव्य, जैसे कोयले, पत्ते, ईख के छोटे टुकड़े आदि, सरलता से अलग किए जा सकते हैं। अपद्रव्यों में कभी कभी मिट्टी का भी अंश रहता है, जिसके सूक्ष्म कणों को पूर्णत: अलग करना तो कठिन होता हैं किंतु बड़े बड़े कण विलयन में नीचे बैठ जाते हैं और इसे साफ़ कर लिया जाता है। गरम करने पर यह पहले पिघलने सा लगता है और अंत में जलने के पूर्व अत्यधिक भूरा काला सा हो जाता है। गुड़ को निम्न अन्य नामों से भी जाना जाता है।
- संस्कृत : गुड (शाब्दिक अर्थ : 'गेंद')
- बंगाली, असमिया, ओडिया, भोजपुरी, मैथिली, उर्दू, पंजाबी : गुड़
- सिन्धी : गुढ़ (ڳُڙ)
- कोंकनी : गोड
- मलयालम : शर्क्करा या चक्कर
- गुजराती : गोल (ગોળ)
- राजस्थानी : गोल गूल
- मराठी : गुळ
- कन्नड : बेल्ल (ಬೆಲ್ಲ)
- तेलुगु : बेल्लम् (బెల్లం)
- तमिल : वेल्लम् (வெல்லம்)
- सिंहल : हकुरु (හකුරු)
- नेपाली : भेली
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