आयुर्वेदा के फायदे आयुर्वेद क्या है Aayurveda Ka Fayade (Benefits of Ayurveda)

हिताहितं सुखं दुःखमायुस्तास्य हिताहितं | मानं च तच्च यत्रोक्तमायुर्वेद: स उच्यते ||

आयुर्वेदा के फायदे आयुर्वेद क्या है Aayurveda Ka Fayade (Benefits of Ayurveda)

आयुर्वेदा सम्पूर्ण विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति है जो व्यक्ति आयु के अनुसार किस प्रकार का अचार, विचार, व्यवहार और जीवनशैली होनी चाहिए के ऊपर जोर देती है। आयुर्वेद विज्ञान दर्शन और जीवन कला का एक उत्तम मिश्रण है। स्वस्थ शरीर के साथ श्रेष्ठ जीवन जीने की कला ही आयुर्वेदा है।

आयुर्वेदा के फायदे आयुर्वेद क्या है Aayurveda Ka Fayade (Benefits of Ayurveda)

आयुर्वेद महज एक चिकित्सा पद्धति नहीं है जिसमे यह बताया गया हो की ये जड़ी बूटी खा लो, ये क्वाथ पी लो, बल्कि आयुर्वेदा तो मानव जीवन को आरोग्य के साथ सार्थक जीवन जीने का मार्ग दिखलाता है।

आयुर्वेद के माध्यम से हम बेहतर स्वास्थ्य के साथ उत्तम सामाजिक जीवन को भी प्राप्त करते हैं। जहाँ तक बात ओषधियों की है वे सभी ऋषि-मुनियों ने जंगलों में एकांतवास करके प्रत्येक जड़ी बूटी / पेड़ पौधों और धातुओं का सूक्ष्मता से अध्ययन करके बताया है। शाब्दिक रूप से आयुर्वेद दो शब्दों से मिलकर के बना है आयु और वेद, (आयुः + वेद = आयुर्वेद) जिसका तात्पर्य आयु के ज्ञान से है।

ऐसा ज्ञान जो शरीर की आयु और मन स्थिति के लिए उत्तम हो, वह चाहे आहार हो या फिर व्यवहार। आयुर्वेद एक तरीका है जिसके माध्यम से उत्तम और सेहतमंद जीवन की प्राप्ति होती है। आयुर्वेद में दिनचर्या, आहारचर्या और रितुचर्या शामिल हैं। आयु और ऋतु के अनुसार आहार का चयन आयुर्वेद में प्रथम वर्णित है। उदाहरण के रूप में हमारी सब्जियों में जीरा लहसुन मेथी हल्दी हींग आदि का छौंक लगाना मात्र उनका स्वाद बढ़ाना नहीं है, बल्कि इसमें भी औषधीय क्रिया का ध्यान रखकर इन मसालों को रसोई में स्थान दिया गया है।

आयुर्वेदा के फायदे Aayurveda Ka Fayade (Benefits of Ayurveda)

एलोपैथी में दवाइयों के निर्माण का आधार केमिकल्स हैं। अब ऐसा नहीं है कि केमिकल्स कोई आसमान से गिरते हो वह भी नेचुरल रिसोर्सेस से ही प्राप्त किए जाते हैं, पेड़ पौधों और मिनरल्स से प्राप्त किये जाते हैं। आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा पद्धति में भी जड़ी बूटियां और प्राकृतिक रिसोर्स का सूक्ष्मता से अध्ययन कर उनका उपयोग किया जाता है लेकिन एलोपैथी की भांति उसमें से कोई विशेष रसायन का निर्माण नहीं किया जाता है बल्कि उसकी मूल अवस्था से ही रोगों का उपचार किया जाता है। 

एलोपैथी और आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में यही एक मूल अंतर है जबकि दोनों का ही सोर्स प्रकृति ही है। आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में वानस्पतिक जड़ी बूटियों से लेकर के खनिज पदार्थ और जैविक पदार्थ का भी उपयोग स्वास्थ्य लाभ के लिए विभिन्न दवा बनाने के उद्देश्य से किया जाता है। आयुर्वेद की तुलना यदि यूनानी चिकित्सा पद्धति से की जाए तो आप पाएंगे कि यूनानी चिकित्सा पद्धति में ज्यादातर दवाइयों का सोर्स खनिज और ठोस प्रदार्थ हैं क्योंकि यूनानी चिकित्सा पद्धति जिन इलाकों से आई है उनमे पहाड़िया रेगिस्तान ज्यादा रहे हैं, ज्यादातर मरुस्थल। जबकि भारत में सदा से ही जंगलों की प्रचुरता रही है जिनमें अनमोल गुणों वाली वनस्पतियों होती थी और इसीलिए आयुर्वेद में खनिज पदार्थों की तुलना में वनस्पतियों से ज्यादा उपयोग किया जाता है।

जब आयुर्वेद और एलोपैथी का सोर्स एक ही है तो फिर इनके परिणामों में भिन्नता कैसे हो सकती है। यहाँ एक बात गौर करने लायक है कि एलोपैथी चिकित्सा पद्धति का निरंतर शोध हुआ है, उसमें नए-नए प्रयोग हुए हैं और पुरानी दवाइयों का स्थान उन्नत दवाइयों ने लिया है। जबकि आयुर्वेद का कोई नीतिगत और ठोस रिसर्च का कार्य नहीं हुआ है। हमारे देश में भी आयुर्वेदा का कोई विकास नहीं किया गया जो है वह वही है जो हमें पूर्व से प्राप्त हुआ, हमने उस में उतना जोड़ा नहीं जिसकी आवश्यकता थी। 

यही कारण है की बदलते समय के अनुसार आयुर्वेद वह स्थान प्राप्त नहीं कर पाया जिसका वह हकदार है। क्या हमने हमारे परंपरागत वैद्य और चिकित्स्कों को आधुनिक ज्ञान प्रदान किया, क्या उनके रिसर्च के लिए उन्हें कोई प्लेटफॉर्म उपलब्ध करवाया और यदि किया तो किस स्तर तक किया, यह विचारणीय है। भारत ने जहां साहित्यिक रूप से कबीर को हल्के में लिया वैसे ही आयुर्वेद का महत्व भी कम करके ही आँका। इस विषय में चीन का उदाहरण देना सटीक है कि किस प्रकार उन्होंने सिर्फ पाश्चात्य चिकित्सा पद्धति को ही महत्व नहीं दिया बल्कि अपने देश की परंपरागत चिकित्सा पद्धति का विकास भी किया। परम्परागत वैद्य और चिकित्सकों के लिए नए नए रिसर्च सेंटर बनाए और उनमे आधुनिकता को जोड़ा।

आयुर्वेद और एलोपैथिक आपस में कोई झगड़ा नहीं लेकिन यह बात तो सत्य है कि आयुर्वेद किसी भी रोग को जड़ से समाप्त करने की क्षमता है। आयुर्वेदा के क्षेत्र में अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी ही रह गया है।

आयुर्वेदा चिकित्सा के कुछ लाभ Ayurveda Ke Laabh/Fayade

  • आयुर्वेदीय चिकित्सा विधि सर्वांगीण है। आयुर्वेदिक चिकित्सा के उपरान्त व्यक्ति की शारीरिक तथा मानसिक दोनों में सुधार होता है।
  • आयुर्वेदिक औषधियों के अधिकांश घटक जड़ी-बुटियों, पौधों, फूलों एवं फलों आदि से प्राप्त की जातीं हैं। अतः यह चिकित्सा प्रकृति के निकट है।
  • व्यावहारिक रूप से आयुर्वेदिक औषधियों के कोई दुष्प्रभाव (साइड-इफेक्ट) देखने को नहीं मिलते।
  • अनेकों जीर्ण रोगों के लिए आयुर्वेद विशेष रूप से प्रभावी है।
  • आयुर्वेद न केवल रोगों की चिकित्सा करता है बल्कि रोगों को रोकता भी है।
  • आयुर्वेद भोजन तथा जीवनशैली में सरल परिवर्तनों के द्वारा रोगों को दूर रखने के उपाय सुझाता है।
  • आयुर्वेदिक औषधियाँ स्वस्थ लोगों के लिए भी उपयोगी हैं।
  • आयुर्वेदिक चिकित्सा अपेक्षाकृत सस्ती है क्योंकि आयुर्वेद चिकित्सा में सरलता से उपलब्ध जड़ी-बूटियाँ एवं मसाले काम में लाये जाते हैं।

 
आयुर्वेद (Ayurved) क्या है ? | Swami Ramdev

आयुर्वेद स्वास्थ्य और वैयक्तिकृत चिकित्सा के लिए एक समग्र दृष्टिकोण के साथ जीवन का विज्ञान है। यह सबसे पुरानी चिकित्सा प्रणालियों में से एक है, जिसमें हजारों चिकित्सा अवधारणाएं और परिकल्पना शामिल हैं। दिलचस्प है, आयुर्वेद में कैंसर, मधुमेह, गठिया और अस्थमा जैसी कई पुरानी बीमारियों का इलाज करने की क्षमता है, जो आधुनिक चिकित्सा में अनुपयोगी हैं। दुर्भाग्य से, विभिन्न अवधारणाओं में वैज्ञानिक मान्यता की कमी के कारण, हमारे पूर्वजों का यह कीमती उपहार पीछे चल रहा है। इसलिए, वैश्विक मान्यता और आयुर्वेद की स्वीकृति के लिए साक्ष्य-आधारित अनुसंधान की अत्यधिक आवश्यकता है, जिसे अनुसंधान पद्धति में और प्रगति की आवश्यकता है।

वर्तमान समीक्षा में आयुर्वेद में साहित्यिक, मौलिक, दवा, दवा और नैदानिक ​​अनुसंधान सहित अनुसंधान के विभिन्न क्षेत्रों पर प्रकाश डाला गया है। मौलिक अनुसंधान पर मुख्य जोर देने के साथ समीक्षा आयुर्वेद के लिए अनुसंधान पद्धति को बेहतर बनाने पर केंद्रित है। यह प्रयास निश्चित रूप से युवा शोधकर्ताओं को आयुर्वेद के विकास और संवर्धन के लिए अनुसंधान के विभिन्न क्षेत्रों में काम करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।

आयुर्वेदिक उपचार हालांकि अत्यधिक प्रभावी है; कई महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक दवाओं की उचित क्रिया, फार्माकोलॉजी, फार्माकोकाइनेटिक्स और फार्माकोविजिलेंस अभी भी पूरी तरह से नहीं खोजा गया है। इसके अलावा, आयुर्वेद की बुनियादी विचारधाराओं का व्यापक ज्ञान प्रमाणों की कमी के कारण वैज्ञानिक रूप से स्वीकार्य नहीं है। आधुनिक समय में, जब मान्य अनुसंधान और उन्नत तकनीकों के कारण पश्चिमी औषधीय प्रणाली लगभग शीर्ष पर पहुंच गई है, तो उन्नत अनुसंधानों की मदद से चिकित्सा के आयुर्वेदिक प्रणाली में उपयोग किए जाने वाले बुनियादी सिद्धांतों के साथ-साथ दवाओं को मान्य करने की तत्काल आवश्यकता है। कार्यप्रणाली। इसलिए, आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार के लिए चल रही अनुसंधान पद्धति में प्रगति की अत्यधिक आवश्यकता है।
हालाँकि, आयुर्वेद को भारत में चिकित्सा की एक पूरी प्रणाली के रूप में माना जाता है, वैश्विक स्तर पर इसका फैलाव बहुत सीमित है, शायद इसका कारण पश्चिमी विद्वानों का मानना है, "आयुर्वेदिक विज्ञान का कोई वैज्ञानिक सिद्धांत या दृष्टिकोण नहीं है।"

लेकिन वास्तव में, जब हम।
आयुर्वेद के मूल सिद्धांतों के माध्यम से जाओ यह इतना स्पष्ट और समझदार है कि यह पूरी तरह से एक बहुत ही वैज्ञानिक विज्ञान है, जिसे भौतिक विज्ञान, जीवन विज्ञान, बॉयोमीटोरोलॉजी, नृविज्ञान, और कई जैसे मौलिक विज्ञानों को खूबसूरती से समाहित किया गया है। लोगों के कल्याण के एकमात्र उद्देश्य के साथ आयुर्वेद और पश्चिमी चिकित्सा को बिना किसी घर्षण के एक ही मंच पर लाना निश्चित रूप से संभव है।
उसी समय, आयुर्वेद बिरादरी के लिए वैश्विक रूप से स्वीकार्य भाषा या प्रारूप में आयुर्वेद के वास्तविक विज्ञान की खोज करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है, वास्तव में, आयुर्वेद दुनिया की पूरी तरह से विकसित प्राचीन वैज्ञानिक चिकित्सा प्रणाली है।
आयुर्वेद एक प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रणाली है जो स्वास्थ्य और कल्याण के लिए एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करती है। आयुर्वेद के कई फायदे हैं, जिनमें शामिल हैं:

रोगों की रोकथाम: आयुर्वेद का उद्देश्य स्वास्थ्य को बनाए रखना और रोगों को रोकना है। आयुर्वेदिक चिकित्सक रोग के कारणों को समझने और उन्हें दूर करने के लिए एक व्यक्तिगत उपचार योजना विकसित करते हैं।
प्राकृतिक उपचार: आयुर्वेद प्राकृतिक उपचारों का उपयोग करता है, जैसे कि जड़ी-बूटियाँ, आहार, और योग। ये उपचार आमतौर पर सुरक्षित और प्रभावी होते हैं।
व्यक्तिगत उपचार: आयुर्वेद प्रत्येक व्यक्ति को एक अनूठा व्यक्ति मानता है। आयुर्वेदिक चिकित्सक एक व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक, और भावनात्मक स्थिति को ध्यान में रखते हुए एक उपचार योजना विकसित करते हैं।
पूरक चिकित्सा: आयुर्वेद को पारंपरिक चिकित्सा के साथ सुरक्षित रूप से जोड़ा जा सकता है। आयुर्वेदिक उपचार अक्सर पारंपरिक उपचारों के प्रभाव को बढ़ा सकते हैं।

आयुर्वेद क्या है

आयुर्वेद एक प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रणाली है जो लगभग 5,000 साल पुरानी है। आयुर्वेद का अर्थ है "आयु का विज्ञान"। आयुर्वेद का उद्देश्य स्वास्थ्य और कल्याण के लिए एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करना है।

आयुर्वेद तीन मूल सिद्धांतों पर आधारित है:
त्रिदोष: आयुर्वेद में, शरीर को तीन दोषों से बना माना जाता है: वात, पित्त, और कफ। ये दोष संतुलन में होने पर स्वास्थ्य को बनाए रखते हैं।
धातुएँ: आयुर्वेद में, शरीर को सात धातुओं से बना माना जाता है: रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा, शुक्र, और श्लेष्मा। ये धातुएँ संतुलन में होने पर शरीर को स्वस्थ रखती हैं।
सप्तधातु चक्र: आयुर्वेद में, सात धातुओं को एक चक्र में जोड़ा जाता है। इस चक्र को स्वस्थ रखने से शरीर को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है।

आयुर्वेद विभिन्न प्रकार के उपचारों का उपयोग करता है, जिनमें शामिल हैं:
जड़ी-बूटियाँ: आयुर्वेद में, जड़ी-बूटियों का उपयोग विभिन्न प्रकार के स्वास्थ्य स्थितियों के इलाज के लिए किया जाता है।
आहार: आयुर्वेद आहार को स्वास्थ्य और कल्याण के लिए महत्वपूर्ण मानता है। आयुर्वेदिक चिकित्सक रोगी के व्यक्तिगत जरूरतों के आधार पर एक आहार योजना विकसित करते हैं।
योग: योग एक प्राचीन भारतीय अभ्यास है जो शारीरिक, मानसिक, और भावनात्मक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद करता है। आयुर्वेद योग को स्वास्थ्य और कल्याण के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण मानता है।
प्राणायाम: प्राणायाम एक प्रकार का योग है जो सांस पर ध्यान केंद्रित करता है। प्राणायाम तनाव को कम करने, ध्यान केंद्रित करने में सुधार करने, और ऊर्जा के स्तर को बढ़ाने में मदद कर सकता है।
उपचार: आयुर्वेद में, विभिन्न प्रकार के उपचारों का उपयोग किया जाता है, जिनमें शामिल हैं:
आयुर्वेद एक सुरक्षित और प्रभावी चिकित्सा प्रणाली है जो स्वास्थ्य और कल्याण के लिए एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करती है।

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