अखियाँ हरी दर्शन की प्यासी भजन लिरिक्स Akhiya Hari Darshn Ki Pyasi Bhajan Lyrics Meaning in Hindi
हरी दर्शन की प्यासी,
अखियाँ हरी दर्शन की प्यासी,
देखयो चाहत कमाल नयन को,
निसदीन रहेत उदासी,
अखियाँ हरी दर्शन की प्यासी,
केसर तिलक मोतिन की माला,
वृंदावन के वासी,
नेह लगाए त्याग गये त्रिन्सम,
डाल गये गाल फाँसी,
अखियाँ हरी दर्शन की प्यासी,
काहु के मन की को जानत,
लोगन के मन हासी,
सूरदास प्रभु तुम्हरे दरस बिन,
लेहो करवट काशी,
अखियाँ हरी दर्शन की प्यासी,
अखियाँ हरी दर्शन की प्यासी,
देखयो चाहत कमाल नयन को,
निसदीन रहेत उदासी,
अखियाँ हरी दर्शन की प्यासी,
केसर तिलक मोतिन की माला,
वृंदावन के वासी,
नेह लगाए त्याग गये त्रिन्सम,
डाल गये गाल फाँसी,
अखियाँ हरी दर्शन की प्यासी,
काहु के मन की को जानत,
लोगन के मन हासी,
सूरदास प्रभु तुम्हरे दरस बिन,
लेहो करवट काशी,
अखियाँ हरी दर्शन की प्यासी,
"अँखिया हरी दर्शन की प्यासी" मीनिंग इन हिंदी : Akhiya Hari Darshan Ki Pyasi Meaning : बृज और वृन्दावन साहित्य में सूरदास जी काव्य का अहम् स्थान है। सूरदास जी को वल्लभाचार्य ने गोवर्धन में श्रीनाथजी के हवेली में अष्ट-छप सखा की उपाधि से सम्मानित किया था। सूरदास जी द्वारा रचित इस भजन का मुख्य हिंदी रूपांतरण निम्न है।
अखियाँ हरी दर्शन की प्यासी,
देखयो चाहत कमाल नयन को,
निसदीन रहेत उदासी,
अखियाँ हरी दर्शन की प्यासी,
Meaning in Hindi : मेरी आँखें कृष्ण की एक झलक के लिए प्यासी हैं। मैं कमल के दर्शन करने वाले कृष्ण को देखना चाहता हूं। मैं उसे नहीं देखता, और इसी कारण से मेरा मन उदास रहता है। विशेष है की सूरदास जी जन्म से ही अंधे थे इसलिए वह प्रभु का आकार भी मूर्ति के रूप में नहीं देख सकते थे।
केसर तिलक मोतिन की माला,
वृंदावन के वासी,
नेह लगाए त्याग गये त्रिन्सम,
डाल गये गाल फाँसी,
अखियाँ हरी दर्शन की प्यासी,
Meaning in Hindi : हे श्री कृष्ण भगवान, आपके मस्तक पर केसर का तिलक शोभित है और गले में मोतियों की माला सुशोभित है। आप वृंदावन के वासी हैं और मैंने आपसे नेह लगाया है और यह व्यथा मेरे गले में फांस की भाँती है। आपसे मैंने नेह लगाया है और आप मुझे घास के ढेरी के समान (मूलयहीन ) छोङ कर चले गए हो।
काहु के मन की को जानत,
लोगन के मन हासी,
सूरदास प्रभु तुम्हरे दरस बिन,
लेहो करवट काशी,
अखियाँ हरी दर्शन की प्यासी,
Meaning in Hindi : कोई भी मेरे मन की व्यथा को नहीं जानता है, लोग मेरी स्थिति को देखकर हंसी उड़ाते हैं। सूरदास जी भक्ति में लीन रहते हैं और उन्हे देखकर लोग उनका मजाक उड़ाते हैं। हे प्रभु मेरे चित्त को आपको देखे बगैर चैन नहीं मिलने वाला है।
Who Wrote "Akhiya Hari Darshan Ki Pyasi" : संत कवि सूरदास 15 वीं सदी के एक अंधे संत, कवि और संगीतकार थे, जो भगवान कृष्ण को समर्पित अपने भक्ति गीतों के लिए जाने जाते थे। सूरदास के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने हजारों गीतों को लिखा और संगीतबद्ध किया है, जो सूर्य सागर में स्थित है। वास्तव में, उनके नाम का शाब्दिक अर्थ "माधुर्य का दास" है। अखियां हरी दर्शन की प्यासी" भजन को सूरदास जी द्वारा लिखा गया है जो कृष्ण भक्ति मार्ग के अहम् कवि और रचनाकार हैं। श्री कृष्णा भगवान् की स्तुति में सूरदास जी के द्वारा बहुत से दिव्य भजन लिखे गए हैं। एक बार सूरदास जी कुएं में गिर गए और लगातार छः दिनों तक वे उसी कुए में रहे क्योंकि किसी की भी उन पर नजर नहीं पड़ी। सूरदास जी ने लगातार भगवान् को याद किया और उन्हें आखिर में एक आवाज सुनाई दी जो एक बच्चे की थी और उसने कहा की मेरा हाथ पकड़ लो मैं तुम्हे इस संकट से बाहर निकाल दूंगा। उस बच्चे ने सूरदास जी को बाहर निकाल दिया और जैसे ही सूरदास जी ने उन्हें उन्हें महसूस करने के लिए (क्योंकि सूरदास जी जन्म से ही अंधे थे) उसकी और मुंह किया वह बालक गायब हो चूका था। बाल मन पर इस घटना का इतना गहरा असर पड़ा की सूरदास जी तभी से "भगवान श्री कृष्णा" की भक्ति में लींन हो गए और स्तुति के लिए भजन और काव्य लिखने लगे। "अखियाँ हरी दर्शन की प्यासी" भजन उनके बाल्य काल की ही रचना है जिसमे ईश्वर से प्रार्थना की गई है की " मेरी आँखें आपके दर्शन के लिए प्यासी हैं" क्योंकि सूरदास जी जन्म से ही अंधे थे।
अखियाँ हरी दर्शन की प्यासी,
देखयो चाहत कमाल नयन को,
निसदीन रहेत उदासी,
अखियाँ हरी दर्शन की प्यासी,
Meaning in Hindi : मेरी आँखें कृष्ण की एक झलक के लिए प्यासी हैं। मैं कमल के दर्शन करने वाले कृष्ण को देखना चाहता हूं। मैं उसे नहीं देखता, और इसी कारण से मेरा मन उदास रहता है। विशेष है की सूरदास जी जन्म से ही अंधे थे इसलिए वह प्रभु का आकार भी मूर्ति के रूप में नहीं देख सकते थे।
केसर तिलक मोतिन की माला,
वृंदावन के वासी,
नेह लगाए त्याग गये त्रिन्सम,
डाल गये गाल फाँसी,
अखियाँ हरी दर्शन की प्यासी,
Meaning in Hindi : हे श्री कृष्ण भगवान, आपके मस्तक पर केसर का तिलक शोभित है और गले में मोतियों की माला सुशोभित है। आप वृंदावन के वासी हैं और मैंने आपसे नेह लगाया है और यह व्यथा मेरे गले में फांस की भाँती है। आपसे मैंने नेह लगाया है और आप मुझे घास के ढेरी के समान (मूलयहीन ) छोङ कर चले गए हो।
काहु के मन की को जानत,
लोगन के मन हासी,
सूरदास प्रभु तुम्हरे दरस बिन,
लेहो करवट काशी,
अखियाँ हरी दर्शन की प्यासी,
Meaning in Hindi : कोई भी मेरे मन की व्यथा को नहीं जानता है, लोग मेरी स्थिति को देखकर हंसी उड़ाते हैं। सूरदास जी भक्ति में लीन रहते हैं और उन्हे देखकर लोग उनका मजाक उड़ाते हैं। हे प्रभु मेरे चित्त को आपको देखे बगैर चैन नहीं मिलने वाला है।
Who Wrote "Akhiya Hari Darshan Ki Pyasi" : संत कवि सूरदास 15 वीं सदी के एक अंधे संत, कवि और संगीतकार थे, जो भगवान कृष्ण को समर्पित अपने भक्ति गीतों के लिए जाने जाते थे। सूरदास के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने हजारों गीतों को लिखा और संगीतबद्ध किया है, जो सूर्य सागर में स्थित है। वास्तव में, उनके नाम का शाब्दिक अर्थ "माधुर्य का दास" है। अखियां हरी दर्शन की प्यासी" भजन को सूरदास जी द्वारा लिखा गया है जो कृष्ण भक्ति मार्ग के अहम् कवि और रचनाकार हैं। श्री कृष्णा भगवान् की स्तुति में सूरदास जी के द्वारा बहुत से दिव्य भजन लिखे गए हैं। एक बार सूरदास जी कुएं में गिर गए और लगातार छः दिनों तक वे उसी कुए में रहे क्योंकि किसी की भी उन पर नजर नहीं पड़ी। सूरदास जी ने लगातार भगवान् को याद किया और उन्हें आखिर में एक आवाज सुनाई दी जो एक बच्चे की थी और उसने कहा की मेरा हाथ पकड़ लो मैं तुम्हे इस संकट से बाहर निकाल दूंगा। उस बच्चे ने सूरदास जी को बाहर निकाल दिया और जैसे ही सूरदास जी ने उन्हें उन्हें महसूस करने के लिए (क्योंकि सूरदास जी जन्म से ही अंधे थे) उसकी और मुंह किया वह बालक गायब हो चूका था। बाल मन पर इस घटना का इतना गहरा असर पड़ा की सूरदास जी तभी से "भगवान श्री कृष्णा" की भक्ति में लींन हो गए और स्तुति के लिए भजन और काव्य लिखने लगे। "अखियाँ हरी दर्शन की प्यासी" भजन उनके बाल्य काल की ही रचना है जिसमे ईश्वर से प्रार्थना की गई है की " मेरी आँखें आपके दर्शन के लिए प्यासी हैं" क्योंकि सूरदास जी जन्म से ही अंधे थे।
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