आयो फागणियों भजन लिरिक्स Aayo Faganiyo Bhajan Lyrics

आयो फागणियों भजन लिरिक्स Aayo Faganiyo Bhajan Lyrics

आयो फागणियों भजन लिरिक्स Aayo Faganiyo Bhajan Lyrics

मांड्यो श्याम को रंगीलो फागण सग़ळा (सभी) आईज्यो रे,
आयो फागणियों, (होली का त्यौंहार)
आयो फागणियों थे श्याम धणी के सग़ळा आईज्यो रे,
आयो फागणियों,
खाटू श्याम के रंग लगाइज्यों, खाटू श्याम के रंग लगाइज्यों,
होळी खेला रे,
आयो फागणियों,
आयो फागणियों थे श्याम धणी के सग़ळा आईज्यो रे,
आयो फागणियों,
 
एक तो संदेशो जाइके (जाके), गणपत जी ने दीज्यो रे,
एक तो संदेशो जाइके, गजानंद जी ने दीज्यो रे,
उत्सव माहीं रिद्धि सागे ( साथ में ),
फागण माहीं रिद्धि सिद्धि सागे, आता रहीज्यो रे,
आयो फागणियों,
आयो फागणियों थे श्याम धणी के सग़ळा आईज्यो रे,
आयो फागणियों,

दुसरो संदेशो जाके भोळा जी (शिव) ने दीज्यो रे,
दुसरो संदेशो जाके, शिव शंकर ने दीज्यो रे,
गौरा गण और नंदी सागे, पारवता गण नंदी सागे,
आता रहीज्यो रे,
आयो फागणियों,
आयो फागणियों थे श्याम धणी के सग़ळा आईज्यो रे,
आयो फागणियों,

तीसरों संदेशो जाके रघुनन्दन ने दीज्यो रे,
तीसरों संदेशो जाके राम चंद्र जी ने दीज्यो रे,
लक्ष्मण सीता हनुमंत सागे, लक्ष्मण सीता हनुमंत सागे,
आता रहीज्यो रे,
आयो फागणियों,
आयो फागणियों थे श्याम धणी के सग़ळा आईज्यो रे,
आयो फागणियों,
चोथोड़ो (चौथा -फोर्थ ) संदेशो जाके, अटल छत्र पे दीज्यो रे,
चोथोड़ो संदेशो जाके, अटल छत्र पे दीज्यो रे,
दुर्गा काली, उमा शारदा,  दुर्गा काली, उमा शारदा,
आता रहीज्यो रे,
आयो फागणियों,
आयो फागणियों थे श्याम धणी के सग़ळा आईज्यो रे,
आयो फागणियों,
आखरी संदेशों जाके सब देवा ने दीज्यो रे,
आखरी संदेशों जाके सब देवा ने दीज्यो रे,
"हर्ष" श्याम के उत्सव माहीं, "हर्ष" श्याम के फागण माहीं,
आता रहीज्यो रे,
आयो फागणियों,
आयो फागणियों थे श्याम धणी के सग़ळा आईज्यो रे,
आयो फागणियों, 
 
आप सभी श्याम भक्तों को फाल्गुन शुक्ला द्वादशी की हार्दिक शुभकामनाएं और बाबा से अरदास है की वह आपके जीवन में यूँ ही खुशियाँ भरता रहे। फागण के इस पवित्र उत्सव पर सभी श्याम भक्त श्री खाटू श्याम जी में खुशियां मना रहे हैं। इस अवसर पर सम्पूर्ण खाटू नगरी श्याममय हो जाती है। चारों तरफ चंग और भजनों का दिव्य माहौल है। फाल्गुन शुक्ला द्वादशी को रंगभरी एकादशी एवं आमलकी एकादशी के नाम से भी पहचाना जाता है। इस द्वादशी का महत्त्व अत्यंत ही अधिक है। इसी रोज भगवान शिव शादी के उपरान्त काशी आये थे। द्वितीय इसी रोज भगवान् विष्णु जी ने ब्रह्मा जी को श्रष्टि की रचना हेतु "आँवला" वृक्ष दिया था। सबसे महत्वपूर्ण है की इसी रोज "बाबा श्याम" श्याम कुंड में प्रकट हुए थे (बाबा का मस्तक ) . श्री खाटू श्याम जी में पाण्डव महाबली भीम के पौत्र एवम् घटोत्कच के पुत्र वीर बर्बरीक का शीश विग्रह रूप में विराजमान है जो अपने भक्तों पर सदा ही दया करता है। भगवान् श्री कृष्णा जी ने स्वंय बर्बरीक जी को आशीर्वाद दिया की कलयुग में वे कृष्ण अवतार के रूप में पूजें जाएंगे। इस अवसर पर बाबा के दरबार में विशाल मेला लगता है जो फाल्गुन शुक्ल दशमी से द्वादशी तक तीन रोज तक जन आकर्षण का केंद्र बना रहता है। इस मेले में करोड़ों भक्त पैदल ही बाबा का निशाँन लेकर खाटू नगरी की ओर बढ़ते हैं जिसे बाबा की निशान यात्रा कहा जाता है। - जय हो बाबा श्याम की, बाबो सबकी भली करे।


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