फागुन आने वाला है भजन लिरिक्स Fagun Aane Wala Hai Bhajan Lyrics

फागुन आने वाला है भजन लिरिक्स Fagun Aane Wala Hai Bhajan Lyrics

 
फागुन आने वाला है भजन लिरिक्स Fagun Aane Wala Hai Bhajan Lyrics

लगे जब मिश्री सी कड़वी भी हर बात,
करे दिल नाचण का जब तेरा दिन रात ,
सपनों में आये जानों, जब खाटू वाला है,
तो समझो के फागुन, तब आने वाला है,

खेत सरसों के लहलहाते हैं फूल मपुरझायें भी मुस्काते हैं,
तान सुनाई देती मुरली की, पंछी जब मन में चह चहाते हैं,
केसरियाँ दिखलाई दे जब, ये जग सारा है,
केसरियाँ दिखलाई दे जब, ये जग सारा है,
तो समझो के फागुन, तब आने वाला है,
तो समझो के फागुन, तब आने वाला है,

मस्तियाँ हद से ज्यादा बढ़ जाएँ, नींद रातों की जब उड़ जाएँ,
छोड़ के काम सारी दुनियाँ के, चाव खाटू जाने का चढ़ जाएँ,
श्याम प्रेम में झूमें जब से दिल मतवाला है,
तो समझो के फागुन, तब आने वाला है,
तो समझो के फागुन, तब आने वाला है,
श्याम का जादू सिर पे चढ़ जाएँ, दिल ये दीवाना "सोनू" (सुनील गुप्ता लेखक) हो जाएँ,
जहाँ भी जाती है नजर अपनी, श्याम की सूरत ही नजर आएँ,
श्याम नाम जपती जब ये सांसो की माला है,
तो समझो के फागुन, तब आने वाला है,
तो समझो के फागुन, तब आने वाला है,
 
श्री खाटू श्याम जी फाल्गुन मेला खाटू श्याम जी में बड़ी ही धूम धाम से श्री श्याम भक्तों के द्वारा मनाया जाता है।

फाल्गुन मेला फाल्गुन (फरवरी-मार्च) के महीने में भरता है।
फाल्गुन मेला में सम्पूर्ण खाटू नगरी में रोशनी, फूलों से सजावट की जाती है और बाबा श्याम जी की झांकियां भी निकाली जाती हैं, चारों तरफ बाबा के भजनों से भक्तों के जयकारे गूंजते हैं।
फाल्गुन मेला में पूरे भारत से भक्त श्री खाटू श्याम जी के मंदिर में आते हैं।
फाल्गुन मेला में खाटू श्याम जी मूर्ति को रथ पर सजाकर झांकी निकाली जाती है।
नारियल, फूल और बाबा को चूरमा अर्पित किया जाता है।
खाटू श्याम जी फाल्गुन मेला एक जीवंत और रंगीन मेला है जो राजस्थान और भारत की समृद्ध धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपराओं को दर्शाता है।

खाटू श्याम जी, जिन्हें खाटू श्याम बाबा, हारे का सहारा, तीन बाण धारी के नाम से भी जाना जाता है, श्याम भक्तों में सर्वोच्च आस्था का स्थान रखते हैं। श्री खाटू श्याम जी को श्री कृष्ण का अवतार माना जाता है
खाटू श्याम जी की कथा महाभारत, एक प्राचीन भारतीय महाकाव्य से जुड़ी हुई है। किंवदंती के अनुसार, बर्बरीक एक युवा राजकुमार और कुशल योद्धा थे, जो महाभारत के महान युद्ध में पांडवों की तरफ से लड़ना चाहता थे। भगवान कृष्ण, जो पांडवों के नेता अर्जुन के सारथी और मार्गदर्शक थे, बर्बरीक के कौशल और भक्ति से प्रभावित थे। हालाँकि, कृष्ण युद्ध में शामिल होने की अनुमति देने से पहले बर्बरीक की वफादारी और भक्ति का परीक्षण करना चाहते थे।
कृष्ण ने एक ब्राह्मण का रूप धारण किया और बर्बरीक को उसकी इच्छा पूरी करने के लिए बलिदान के रूप में अपना शीश दान करने के लिए कहा। बर्बरीक सहमत हो गए लेकिन अपना सिर काटने से पहले उसने युद्ध देखने की इच्छा व्यक्त की। श्री कृष्ण ने उनकी इच्छा को स्वीकार किया और उनका शीश एक पहाड़ी के ऊपर रख दिया, जहाँ से बर्बरीक पूरी लड़ाई देख सकते थे। युद्ध समाप्त होने के बाद, कृष्ण ने बर्बरीक को सिर लौटा दिया और उसे दिव्य शक्तियों का आशीर्वाद दिया।


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