कबीर कहते क्यों बनें अनमिलता को संग मीनिंग Kabir Kahate Kyo Bane Meaning

कबीर कहते क्यों बनें अनमिलता को संग मीनिंग Kabir Kahate Kyo Bane Meaning, Kabir Ke Dohe (Saakhi) Hindi Arth/Hindi Meaning

कबीर कहते क्यों बनें, अनमिलता को संग,
दीपक को भावे नहीं, जरी जरी मरे पतंग.
Kabir Kahate Kyon Bane, Anmilata Ko Sang,
Deepak Ko Bhave Nahin Jari Jari Mare Patang.

 
Kabir Kahate Kyon Bane, Anmilata Ko Sang

कबीर कहते क्यों बनें : कबीर साहेब के अनुसार बेमेल के व्यक्ति एक साथ नहीं रह सकते, उनकी वैचारिक समरसता नहीं हो सकती है.
अनमिलता को संग, बेमेल , जिनके गुण और स्वभाव आपस में मेल नहीं खाते हैं.
दीपक को भावे नहीं : दीपक को अच्छा नहीं लगता है.
जरी जरी मरे पतंग : पतंगा जल जल कर मर जाता है.

कबीर साहेब की वाणी है की बेमेल / अनमिलता का संग उचित नहीं होता है. जैसे दीपक की अग्नि में पतंगा तो अपनी जान की बाजी लगाकर समाप्त हो जाता है लेकिन दीपक को पतंगे का यह व्यवहार उचित नहीं लगता है. भाव है की हमें सदा ही अच्छे लोगों की संगती में रहना चाहिए. ऐसे व्यक्ति को सांसारिक विषय वासनाओं में लिप्त रहते हैं वे कभी भी भक्ति मार्ग को पसंद नहीं करते हैं. अतः हमें सदा ही समान स्वभाव के व्यक्ति के साथ रहना चाहिए. सांसारिकता में लिप्त व्यक्ति को भक्ति अच्छी नहीं लगती है क्योंकि उसे हर समय धन, भोग विलास, सांसारिक मान सम्मान को प्राप्त करने की ललक रहती है, यही कारण है की उसे हरी सुमिरन व्यर्थ लगता है. कबीर साहेब कहते की बेमेल के व्यक्ति एक साथ नहीं रह सकते, उनका कोई मेल नहीं है। उनकी वैचारिक समरसता नहीं हो सकती है, दोनों के विचार भिन्न हैं। जिनके गुण और स्वभाव आपस में मेल नहीं खाते हैं जैसे दीपक को अच्छा नहीं लगता है परन्तु पतंगा दीपक की अग्नि में ही जलकर मर जाता है। भाव है की हमें सदा ही संतजन की संगती में रहना चाहिए। ऐसे व्यक्ति जो सांसारिक विषय वासनाओं में लिप्त रहते हैं वे कभी भी भक्ति मार्ग को पसंद नहीं करते हैं ।
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1 टिप्पणी

  1. Dhanyawad aapka