सतगुरु की महिमा अनँत हिंदी मीनिंग Satguru Ki Mahima Anant Hindi Meaning Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit

सतगुरु की महिमा अनँत हिंदी मीनिंग Satguru Ki Mahima Anant Hindi Meaning Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit

सतगुरु की महिमा अनँत, अनँत किया उपगार।
लोचन अनँत उघारिया, अनँत दिखावनहार॥ 
 
Sataguru Kee Mahima Anant, Anant Kiya Upaarjan.
Lochan Anant Ughaariya, Anant Dikhaavanahaar.
 
सतगुरु की महिमा अनँत हिंदी मीनिंग Satguru Ki Mahima Anant Hindi Meaning Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit
 

सतगुरु की महिमा अनंत, अनंत किया उपकार।
लोचन अनंत उघाडिया, अनंत दिखावन्हार।।
 
Sataguru Kee Mahima Anant, Anant Kiya Upakaar.
Lochan Anant Ughaadiya, Anant Dikhaavanhaar.
कबीर की साखी/दोहे का हिंदी मीनिंग Hindi Meaning of Kabir Sakhi/Doha
सतगुरु की महिमा का वर्णन करते हुए कबीर साहेब की वाणी है की सतगुरु की महिमा अनंत है और उन्होंने अनंत ही उपकार किया है. सतगुरु देव जी ने साधक के आँखों/लोचन को खोल दिया है और अनंत (पूर्ण परम ब्रह्म ) के दर्शन करवाएं हैं. साधक विषय वासनाओं में लिप्त होकर माया के भ्रम में फंसा हुआ था लेकिन सतगुरु देव की कृपा से ही उसकी आँखे खुली हैं और उसे वास्तविकता का बोध हुआ है. गुरु के मार्गदर्शन में ही उसे अनंत के दर्शन हो पाए हैं. इस साखी में यमक अलंकार का उपयोग हुआ है.

राम नाम के पटतरे, देबे कौ कुछ नाहिं।
क्या ले गुर सन्तोषिए, हौंस रही मन माहिं॥
Raam Naam Ke Patre, Debe Ka Kuchh Naahin.
Kya Le Gur Santoshee, Hauns Man Hee Man.
 
कबीर की साखी/दोहे का हिंदी मीनिंग Hindi Meaning of Kabir Sakhi/Doha
गुरु ने अपने साधक को/ शिष्य को एक मन्त्र दिया है, यह मन्त्र राम का मन्त्र है. राम के इस मन्त्र के बदले में शिष्य के पास देने के लिए कुछ भी नहीं है. गुरु को बदले में देने की इच्छा मन की मन में ही रह गई क्योंकि गुरु ने जो कुछ भी दिया है उसे बदले में देने के लिए कुछ भी नहीं है. गुरु के एहसान के बदले में शिष्य के पास देने के लिए कुछ भी नहीं है, इसमें गुरु की महानता और शिष्य की विनम्रता का बोध होता है.

सतगुरु के सदकै करूँ, दिल अपणी का साँच ।
कलयुग हम स्यूं लड़ि पड़या मुहकम मेरा बाछ।।
Sataguru Ke Sadakai Karoon, Dil Apanee Ka Saanch .
Kalayug Ham Syoon Ladi Padaya Muhakam Mera Baachh
सतगुरु के सदकै करूँ शब्दार्थ: सदके = न्यौछावर होना, समर्पित होना, , साँच-साक्षी, सच्चा, स्यूं - से, मोहकम- दृढ़, बाछ-शक्ति  ।
कबीर की साखी/दोहे का हिंदी मीनिंग Hindi Meaning of Kabir Sakhi/Doha
साधक सतगुरु देव ने जो ज्ञान दिया है उसके लिए अपने सच्चे हृदय से गुरु को न्यौछावर है। गुरु के प्रति साधक की इस अनन्य आस्था और समर्पण को देखकर कलयुग/ माया साधक को उसके मार्ग से विचलित करने के लिए उससे संघर्ष/लड़ रहे हैं। ऐसे में गुरु ही अपने शिष्य को इस बाधा से बचाता है और गुरु ही साधक की हिफाजत करता है.

सतगुर लई कमाँण करि, बाँहण लागा तीर।
एक जु बाह्यां प्रीति सूँ, भीतरि रह्या सरीर॥
Satagur Laee Kamaann Kari, Baanhan Laaga Teer.
Ek Ju Baahyan Preeti Soon, Bheetar Rahya Sareer.

कबीर की साखी/दोहे का हिंदी मीनिंग Hindi Meaning of Kabir Sakhi/Doha
सतगुरु ने अपने ज्ञान रूपी धनुष से शब्दों के तीर चलाने शुरू कर दिए हैं। वे शिष्य पर ज्ञान के बाण चलाते हैं। जब सतगुरु ने एक बाण प्रेम से भरा हुआ मारा तो वह आत्मा में ही रह गया। वह बाण शरीर को भेद कर शिष्य के अन्दर तक चोट कर गया। भाव है की साधक को सत्य का ज्ञान हो गया। 

सतगुर साँवा सूरिवाँ, सबद जू बाह्या एक।
लागत ही में मिलि गया, पढ़ा कलेजै छेक॥
Satagur Saanva Soorivaan, Sabad Joo Malya Ek.
Laagat Hee Mein Milia, Padha Kalejai Chhek.
कबीर के दोहे का हिंदी अर्थ :  सतगुरु ही सच्चा सूरमा है जो अपने वचनों से पीछे नहीं हटता है और गुरु ने शब्द का एक बाण चलाया जिससे वह जब शरीर में प्रवेश किया तो अहम् शांत हो गया। प्रेम (ज्ञान) का यह शब्द रूपी बाण कलेजे को चीर गया। भाव है की इसने अहंकार को समाप्त कर दिया। 

सतगुर मार्‌या बाण भरि, धरि करि सूधी मूठि।
अंगि उघाड़ै लागिया, गई दवा सूँ फूंटि॥
Satagur Maryaada Baan Bhari, Dhari Kari Soodhee Moothi.
Angee Ughaadaijiya, Gaee Dava Soon Phoonti.
सतगुरु ने अपने ज्ञान रूपी बाण से सीधे निशाना साध कर शिष्य पर प्रहार किया। इस ज्ञान रूपी बाण से शिष्य का अंग अंग उधड गया है और उसके अन्दर की विषय वासना जंगल की अग्नि की भाँती जल कर समाप्त होने लगी हैं. 

हँसै न बोलै उनमनी, चंचल मेल्ह्या मारि।
कहै कबीर भीतरि भिद्या, सतगुर कै हथियार॥
Hansai Na Bolai Unamanee, Chanchal Melhya Maari.
Kahai Kabeer Bheetar Bhidya, Satagur Kai Hathiyaa.
सतगुरु केशब्द रूपी ज्ञान के बाण ने शिष्य की चंचलता को पूर्ण रूप से समाप्त कर दिया है और वह अब शांत हो गया है. सतगुरु के इस बाण ने साधक को भीतर तक घायल कर दिया है। 

गूँगा हूवा बावला, बहरा हुआ कान।
पाऊँ थै पंगुल भया, सतगुर मार्‌या बाण॥
Gel Hoova Baavala, Bahara Hua Kaan.
Paan Thai Pangul Bhaya, Satagur Maarya Baan.
कबीर के दोहे का हिंदी अर्थ : सतगुरु ने अपने शिष्य को ज्ञान दिया है। सतगुरु के ज्ञान रूपी प्रेम के बाण के कारण साधक गूंगा हो गया है। उसके पास बोलने के लिए कुछ भी शेष नहीं बचा है। अब वह सांसारिक बातों को भी सुनने के लिए सक्षम नहीं है। पावों से वह अपंग हो चूका है। भाव है की गुरु के ज्ञान के कारण शिष्य अब सांसारिक मोह माया से ऊपर उठा चूका है और ऐसी स्थिति में पहुँच चूका है जहाँ उसके लिए बोलना कोई मायने नहीं रखता है। बावला हो जाने से आशय है की उसकी सोच और मानसिकता सांसारिक कार्यों से मेल नहीं खाती है। 

पीछे लागा जाइ था, लोक वेद के साथि।
आगै थैं सतगुर मिल्या, दीपक दीया हाथि॥
Peechhe Laaga Jaee Tha, Lok Ved Ke Saathi.
Aagai Thain Satagur Milya, Deepak Deeya Haathi.
कबीर के दोहे का हिंदी अर्थ :  गुरु के ज्ञान के अभाव में साधक लोगों की देखा देखी करने में व्यस्त था। उसे वास्तविक ज्ञान का परिचय नहीं था। वह संसार की भाँती ही वेद और किताबी ज्ञान का ही अनुसरण करने में लगा रहता था। आगे चलकर उसे सतगुरु मिले जिन्होंने उसे वास्तविक ज्ञान से परिचय करवाया। गुरु ने साधक के हाथों में ज्ञान का दीपक दिया जिससे उसे सत्य का परिचय प्राप्त हुआ।

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1 Comments
  • Unknown
    Unknown 5/23/2021

    Ayuyftuygi07yoiriu5dhlff

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