कबीर निरभै राम जपि मीनिंग Kabir Nirbhay Raam Japi Hindi Meaning

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कबीर निरभै राम जपि, जब लग दीवै बाति।
तेल घट्या बाती बुझी, (तब) सोवैगा दिन राति।
Kabeer Nirbhe Raam Japi, Jab Lag Dive Baati.
Tel Ghatya Baati Bujhee, (Tab) Sovega Din Raati.
Kabir Nirbhe Ram Japi, Jab Lag Dive Bati,
Tel Ghtya Baati Bujhi, Sovega Din Raati.
 
कबीर निरभै राम जपि मीनिंग Kabir Nirbhay Raam Japi Hindi Meaning

कबीर दोहा हिंदी शब्दार्थ Kabir Doha Word Meaning

निरभै-निर्भय होकर.
राम जपि-राम के नाम का सुमिरण.
जब लग-जब तक.
दीवै बाति-दीपक में बाती.
तेल घट्या-तेल के समाप्त होने पर.
बाती-जीवात्मा.
सोवैगा-सोयेगा.
दिन राति-दिन और रात.

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग

कबीर साहेब जीवात्मा को सम्बोधित करते हुए कहते हैं की जब तक तुम्हारे शरीर रूपी दीपक में प्राण रूपी वर्तिका (प्राण) है, तुम हरी के नाम का सुमिरण करो। जैसे दीपक में तेल के समाप्त हो जाने पर वर्तिका बुझ जाती है वैसे ही यह प्राण एक रोज इस शरीर को छोड़ जाएंगे। अतः जब तक प्राण हैं हरी के नाम का सुमिरण करो। उस अवस्था में चीर निंद्रा में सोना ही है। 
 
उल्लेखनीय है की कबीर साहेब ने अनेकों स्थान पर यह स्पष्ट किया है की यह मानव रूपी तन बड़े ही जतन के उपरान्त प्राप्त होता है। इसके माया के भ्रम में पड़कर जीवात्मा व्यर्थ में खराब कर देती है। इस जीवन का उद्देश्य माया जोड़ना नहीं अपितु ईश्वर के नाम का सुमिरण करना है। किसी भी प्रकार के लोकाचार, तीर्थ, कर्मकांड और शास्त्र सम्मत पूजा पाठ से कोई लाभ नहीं होने वाला है। सत्य की राह पर चलकर मानवता रूपी आभूषण को धारण करके जीवात्मा हरी का सुमिरण करे तो सभी कार्य स्वतः ही पूर्ण हो जाते हैं। किसी बाह्य कार्य की कोई आवश्यकता नहीं है।  इसलिए अज्ञानता की निंद्रा का त्याग करके हरी का सुमिरण करना श्रेष्ठ माध्यम है। 

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