कबीर चित्त चमंकिया मीनिंग

कबीर चित्त चमंकिया मीनिंग कबीर दोहे

कबीर चित्त चमंकिया, चहुँ दिस लागी लाइ।
हरि सुमिरण हाथूं घड़ा, बेगे लेहु बुझाइ।

 Kabir Chitt Chamakiya, Chahu Dis Laagi Laai,
Hari Sumirn Haath Ghada, Bege Lehu Bujhaai.
 
कबीर चित्त चमंकिया हिंदी मीनिंग Kabir Chitt Chamakiya Hindi Meaning

कबीर दोहा शब्दार्थ 

चित्त - हृदय/आत्मा।
चमंकिया-प्रकाशित हुआ।
चहुँ दिस - चारों तरफ।
लागी - लगी।
लाइ-अग्नि, विशाल स्तर पर आग का लग जाना।
हरि सुमिरण- ईश्वर नाम सुमिरण।
हाथूं घड़ा,- हाथ में घड़ा थाम कर।
बेगे - शीघ्र।
लेहु बुझाइ- बुझा लो। 

कबीर दोहा हिंदी मीनिंग

संसार में चारों तरफ विषय विकारों की अग्नि लगी है। संसार विषय वासना (काम, क्रोध, मद, मोह माया, मात्सर्य ) की अग्नि में जल रहा है। हरी सुमिरण रूपी घड़े (घड़े के जल ) से तुरंत इसे बुझा लेना चाहिए। 
 
कबीर साहेब की इस साखी का मूल भाव है की समस्त संसार विषय वासना रूपी संताप से पीड़ित है जिसे केवल हरी के नाम के सुमिरण से ही दूर किया जा सकता है। हरी नाम के नाम से मन चमत्कृत हो गया है। चमत्कृत से आशय है की वह चौकन्ना हो गया है। प्रस्तुत साखी में सांगरूपक अलंकार की व्यंजना हुई है। 

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