कबीर केवल राम कहि सुध गरीबी झालि मीनिंग Kabir Kewal Ram Kahi Meaning Kabir Dohe, Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit (Hindi Meaning/Hindi Arth)
कबीर केवल राम कहि, सुध गरीबी झालि।कूड़ बड़ाई बूड़सी, भारी पड़सी काल्हि॥
Kabir Keval Ram Kahi, Sudh Garibi Jhaali,
Kud Badai Budasi, Bhari Padasi Kalhi.
Kabir Keval Ram Kahi, Sudh Garibi Jhaali,
Kud Badai Budasi, Bhari Padasi Kalhi.
कबीर केवल राम कहि : तुम केवल राम कहो (मात्र राम के नाम का सुमिरण करो)
सुध गरीबी : पूर्ण रूप से गरीबी को, दीनता (दीनता में रहो)
झालि : झेलो, सहन करो.
कूड़ : व्यर्थ की, व्यर्थ की.
बड़ाई : बड़ाई, अभिमान.
बूड़सी : डूब जायेगी, नष्ट हो जायेगी.
भारी पड़सी : भारी पड़ेंगे, नुकसान होगा.
काल्हि : कल को, आने वाले समय में.
सुध गरीबी : पूर्ण रूप से गरीबी को, दीनता (दीनता में रहो)
झालि : झेलो, सहन करो.
कूड़ : व्यर्थ की, व्यर्थ की.
बड़ाई : बड़ाई, अभिमान.
बूड़सी : डूब जायेगी, नष्ट हो जायेगी.
भारी पड़सी : भारी पड़ेंगे, नुकसान होगा.
काल्हि : कल को, आने वाले समय में.
कबीर साहेब की वाणी है की तुम व्यर्थ के अभिमान कूड बड़ाई में व्यर्थ में मत पड़ो क्योंकि यह बड़ाई तो अवश्य ही डूबनी है, नष्ट होनी है.
अतः तुम केवल राम के नाम का सुमिरण करो और फकीरी में अपना जीवन यापन करो. यदि तुम राम के नाम का सुमिरण नहीं करते हो तो एक रोज अवश्य ही तुम अपने अभिमान सहित डूब जाओगे.
लोभ और लालच आदि ऐसे हैं जिनके सहारे यदि व्यक्ति लगता है तो अवश्य ही उसे एक रोज डूब ही जाना पड़ेगा. इसे समझो और राम नाम के सहारे रहो अन्यथा आने वाले कल में तुमको अवश्य ही संताप भोगने पड़ेंगे. राम का नाम एक ऐसा है जो जीव को इस भव सागर से मुक्त करता है. मोह माया और सांसारिक क्रियाएं अवश्य ही उसे कष्ट देते हैं. जीवन का उद्देश्य तो हरी के नाम का सुमिरण ही है, यदि व्यक्ति इससे विमुख होता है तो आने वाले समय में उसे पुनः जन्म मरण के चक्र में पड़ना होगा.
अतः तुम केवल राम के नाम का सुमिरण करो और फकीरी में अपना जीवन यापन करो. यदि तुम राम के नाम का सुमिरण नहीं करते हो तो एक रोज अवश्य ही तुम अपने अभिमान सहित डूब जाओगे.
लोभ और लालच आदि ऐसे हैं जिनके सहारे यदि व्यक्ति लगता है तो अवश्य ही उसे एक रोज डूब ही जाना पड़ेगा. इसे समझो और राम नाम के सहारे रहो अन्यथा आने वाले कल में तुमको अवश्य ही संताप भोगने पड़ेंगे. राम का नाम एक ऐसा है जो जीव को इस भव सागर से मुक्त करता है. मोह माया और सांसारिक क्रियाएं अवश्य ही उसे कष्ट देते हैं. जीवन का उद्देश्य तो हरी के नाम का सुमिरण ही है, यदि व्यक्ति इससे विमुख होता है तो आने वाले समय में उसे पुनः जन्म मरण के चक्र में पड़ना होगा.
Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |