मैं मैं बड़ी बलाइ है सके तो निकसी भाजि मीनिंग
मैं मैं बड़ी बलाइ है, सके तो निकसी भाजि।
कब लग राखौं हे सखी, रूई पलेटी आगि॥
Main Main Badi Balaai Hai, Sake To Nikasi Bhaji,
Kab Lag Rakho Hai Sakhi, rui Paleti Aagi.
मैं मैं : अहंकार, अहम्, अभिमान, बला, आफत.
बड़ी बलाइ है : बड़ी बाधा है, कष्टकारी है.
सके तो : यदि कर सकते हो तो.
निकसी भाजि : निकाल कर दूर कर दो, त्याग कर दो.
कब लग : कब तक.
राखौं : रखो.
हे सखी : सखी से संवाद.
रूई पलेटी : रुई (कपास) में लपेट कर.
आगि : आग, अग्नि.
कबीर साहेब को व्यक्ति को सन्देश है की तुम अहम् भाव से सचेत रहो, यह अहम् भाव एक बड़ी बाधा है, एक बिमारी की भाँती से है. यदि तुम इसको त्याग कर सकते हो तो अवश्य ही तुमको इसका त्याग कर देना चाहिए. अहम् भाव विनाशकारी होता है यथा अग्नि को रुई में कब तक लपेट कर रखा जा सकता है. एक रोज तो वह विकराल रूप धारण कर लेगी. अतः अधिक समय के लिए विषाक्त प्रभावों को रोका नहीं जा सकता है. प्रस्तुत साखी में द्रष्टान्त और अनुप्रास अलंकार की व्यंजना हुई है. जैसे रुई में अग्नि को लपेटने से एक रोज वह अपना विकराल रूप धारण कर लेती है.ऐसे ही अहम् भाव भी व्यक्ति के विनाश का कारण बनता है.
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें।
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