नान्हाँ काती चित दे महँगे मोलि मीनिंग

नान्हाँ काती चित दे महँगे मोलि बिकाइ मीनिंग

नान्हाँ काती चित दे, महँगे मोलि बिकाइ।
गाहक राजा राम है और न नेड़ा आइ॥
Nanha Kati Chit De, Mahange Moli Bikai,
Gahak Raja Raam Hai Aur Na Neda Aai.

नान्हाँ : महीन, बारीक.
काती : काटना, सूती वस्त्र के महीन धागे से आशय.
चित दे : मन को लगा, ध्यान लगा कर करो,
महँगे मोलि बिकाइ : यह महंगे मोल बिकेगा.
गाहक : ग्राहक, क्रय करने वाला.
राजा राम है : इश्वर है, राम के समान है.
और न नेड़ा आइ : अन्य कोई नजदीक नहीं आएगा.
नेड़ा : नजदीक, समीप, हिमायती.

कबीर साहेब साधक को सन्देश देते हैं की जैसे महीन सूत के धागे का वस्त्र महंगे भाव से बिकता है ऐसे ही तुम महीन पर ध्यान दो. महीन भक्ति है, ऐसी भक्ति जो हृदय से, आत्मिक रूप से की जाती है. दिखावे के लिए की जाने वाली भक्ति बाह्य है. तुम्हारे लिए तो ग्राहक राजा राम के तुल्य है, अन्य कोई भी व्यक्ति तुम्हारे समीप नहीं आता है. प्रस्तुत साखी में अन्योक्ति एंव रुप्कतिश्योक्ति अलंकार की सफल व्यंजना हुई है. इस अमूल्य मानव जीवन का मूल उद्देश्य यही है की राम रूपी रस का पान करो.
 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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