गुरु को ना पहचान सका तो जग जाना तो जाना
गुरु को ना पहचान सका तो जग जाना तो जाना
गुरु को ना पहचान सका तो,
जग जाना तो जाना क्या,
धन दौलत तू पा भी लिया गर,
चैन नहीं पाया तो क्या,
गुरु को ना पहचान सका तो,
जग जाना तो जाना क्या।।
बाहर आडंबर कुछ है,
भीतर रूप ना निखारा है,
गुरु गुरु में, शिष्य गुरु में,
गुरु बनने का झगड़ा है,
ऐसे गुरु भला बोलो क्या,
शिष्य को राह दिखाएगा,
गुरु को ना पहचान सका तो,
जग जाना तो जाना क्या।।
कहलाने को भक्त बहुत हैं,
लेकिन खोटा धंधा है,
माया ऐसे घेर लिया है,
रहते आँख भी अंधा है,
ऐसे भक्तों को प्रभु का दर्शन,
कहो कैसे हो पाएगा,
गुरु को ना पहचान सका तो,
जग जाना तो जाना क्या।।
डाल पकड़ कर झूल रहा है,
दुख का कहाँ निवारण है,
जगत गुरु को भूल ही जाना,
सभी दुखों का कारण है,
सोच समझ कर गुरु करो तुम,
नहीं तो धोखा खाएगा,
गुरु को ना पहचान सका तो,
जग जाना तो जाना क्या।।
जो करना वो खुद ही करना,
ना कहना नाइंसाफी है,
भजन में शब्द नहीं हैं काफी,
भाव का होना काफी है,
गाया नहीं गुरु की महिमा,
राग रसीला गाया क्या,
गुरु को ना पहचान सका तो,
जग जाना तो जाना क्या।।
गुरु को ना पहचान सका तो,
जग जाना तो जाना क्या,
धन दौलत तू पा भी लिया गर,
चैन नहीं पाया तो क्या,
गुरु को ना पहचान सका तो,
जग जाना तो जाना क्या।।
जग जाना तो जाना क्या,
धन दौलत तू पा भी लिया गर,
चैन नहीं पाया तो क्या,
गुरु को ना पहचान सका तो,
जग जाना तो जाना क्या।।
बाहर आडंबर कुछ है,
भीतर रूप ना निखारा है,
गुरु गुरु में, शिष्य गुरु में,
गुरु बनने का झगड़ा है,
ऐसे गुरु भला बोलो क्या,
शिष्य को राह दिखाएगा,
गुरु को ना पहचान सका तो,
जग जाना तो जाना क्या।।
कहलाने को भक्त बहुत हैं,
लेकिन खोटा धंधा है,
माया ऐसे घेर लिया है,
रहते आँख भी अंधा है,
ऐसे भक्तों को प्रभु का दर्शन,
कहो कैसे हो पाएगा,
गुरु को ना पहचान सका तो,
जग जाना तो जाना क्या।।
डाल पकड़ कर झूल रहा है,
दुख का कहाँ निवारण है,
जगत गुरु को भूल ही जाना,
सभी दुखों का कारण है,
सोच समझ कर गुरु करो तुम,
नहीं तो धोखा खाएगा,
गुरु को ना पहचान सका तो,
जग जाना तो जाना क्या।।
जो करना वो खुद ही करना,
ना कहना नाइंसाफी है,
भजन में शब्द नहीं हैं काफी,
भाव का होना काफी है,
गाया नहीं गुरु की महिमा,
राग रसीला गाया क्या,
गुरु को ना पहचान सका तो,
जग जाना तो जाना क्या।।
गुरु को ना पहचान सका तो,
जग जाना तो जाना क्या,
धन दौलत तू पा भी लिया गर,
चैन नहीं पाया तो क्या,
गुरु को ना पहचान सका तो,
जग जाना तो जाना क्या।।
गुरु को ना पहचान सका तो, जग जाना तो जाना क्या...Guru bhajan by Dhiraj kant. 8010788843.
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Author - Saroj Jangir
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