हनुमान चालीसा के फायदे पाठ विधि Hanuman Chalisa Ke Fayde Hindi, इस विधि से करें हनुमान चालीसा का पाठ, जानें क्या है महत्व
हिंदू धर्म में बहुत से देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। उनमें हनुमान जी का भी महत्वपूर्ण स्थान है । हिंदू धर्म में हनुमान जी को संकट मोचन कहते हैं । यह माना जाता है कि हनुमान जी की पूजा करने से सभी संकटों से मुक्ति मिलती है और समस्याओं का हल होता है। सभी प्रकार की आर्थिक, सामाजिक मानसिक और शारीरिक परेशानियां दूर होती है और मन को शांति मिलती है।
चालीसा क्या होता है (About Shri Hanuman Chalisa)
चालीसा 40 पदों का संग्रह होता है । 40 पदों के समूह को ही चालीसा कहा जाता है जैसे- हनुमान चालीसा। हनुमान जी शिव जी के 11 रुद्र अवतार है । हनुमान जी को अमरत्व का वरदान प्राप्त है। इनके चालीसा का पाठ करने से सभी दुख दर्द दूर होते हैं और समृद्धि प्राप्त होती है।
हिंदू धर्म में सभी देवी देवताओं के चालीसा प्राप्त होते हैं । लेकिन हनुमान चालीसा सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं। हनुमान चालीसा आधुनिक समय में भी बहुत प्रचलन में है। इसकी भाषा सरल एवं स्पष्ट है। हनुमान चालीसा में गुढ़ अर्थ छुपे हुए हैं। हनुमान चालीसा गोस्वामी तुलसीदास जी ने अवधी भाषा में लिखा था। हनुमान चालीसा रामचरितमानस का एक महत्वपूर्ण भाग है। अवधी भाषा के अलावा यह संस्कृत, तमिल, तेलुगु एवं गुजराती भाषा में भी लिखा हुआ है ।
हिंदू धर्म में सभी देवी देवताओं के चालीसा प्राप्त होते हैं । लेकिन हनुमान चालीसा सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं। हनुमान चालीसा आधुनिक समय में भी बहुत प्रचलन में है। इसकी भाषा सरल एवं स्पष्ट है। हनुमान चालीसा में गुढ़ अर्थ छुपे हुए हैं। हनुमान चालीसा गोस्वामी तुलसीदास जी ने अवधी भाषा में लिखा था। हनुमान चालीसा रामचरितमानस का एक महत्वपूर्ण भाग है। अवधी भाषा के अलावा यह संस्कृत, तमिल, तेलुगु एवं गुजराती भाषा में भी लिखा हुआ है ।
श्री हनुमान चालीसा का अर्थ जानिये हिंदी और अंग्रेजी में : हनुमान चालीसा हिंदी इंग्लिश मीनिंग Hanuman Chalisa Meaning in English & Hindi
हनुमान चालीसा का पाठ करने से भय, विकार एवंं डर दूर होता है तथा सुख समृद्धि का वास होता है । गोस्वामी तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा में हनुमान जी के चरित्र और गुणों का वर्णन किया है । यह माना जाता है कि शनिदेव की साढ़ेसाती और ढैय्या के समय अगर हनुमान चालीसा का पाठ किया जाए और हनुमान जी की पूजा की जाए तो शनि देव उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। ऐसा इसलिए माना जाता है क्योंकि हनुमानजी ने शनिदेव की रक्षा की थी । तब शनिदेव जी ने प्रसन्न होकर वरदान दिया था कि जो हनुमान जी की पूजा करेगा, भक्ति करेगा उन भक्तों को शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के दुष्प्रभाव से मुक्त कर देंगे।
हनुमान चालीसा का मंगल पाठ करने का विधि विधान, शनिवार और मंगलवार को हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए इस विधि से करें हनुमान चालीसा का पाठ
हनुमान चालीसा का पाठ करने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करें ।हनुमान चालीसा लाभ विधि हिंदी मीनिंग Hanuman Chalisa Benefits Meaning in Hindi English
साफ एवं स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
हनुमान चालीसा का पाठ करते समय अपना मुंह पूर्व दिशा या दक्षिण दिशा में रखें ।
पाठ करते समय लाल आसन पर बैठे।
हनुमान जी का फोटो पूर्व या दक्षिण दिशा में लाल वस्त्र पर विराजमान करें।
हनुमान जी के सामने चालीसा का पाठ शुरू करने से पहले गाय के घी से दिया जलाएं।
एक कलश में पानी भरकर रखें ।
अब हनुमान चालीसा का पाठ करें।
हनुमान चालीसा का पाठ हो जाने पर बूंदी के लड्डू का भोग लगाएं।
हनुमान चालीसा का पाठ करते समय ध्यान रखने योग्य बातें ...
हनुमान चालीसा का पाठ करते समय ध्यान रखें आसपास का वातावरण स्वच्छ हो।
स्नानादि से निवृत्त होकर लाल वस्त्र धारण करके हनुमान चालीसा का पाठ करें।
शारीरिक स्वच्छता के साथ-साथ मानसिक स्वच्छता भी आवश्यक होती है।
अपने शांत मन से हनुमान चालीसा का पाठ करें ।
मनोकामना के पूर्ण होने की प्रार्थना करें।
ऐसा करने से मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं।
हनुमान चालीसा का पाठ कितनी बार करें ....
हनुमान चालीसा का पाठ अपनी श्रद्धा अनुसार 5, 7, 11, 21, 40, 100, और 108 बार किया जा सकता है। अपनी श्रद्धा अनुसार आप पाठ करें और अपनी मनोकामना पूर्ण करें । हनुमान जी बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। हिंदू धर्म में ऐसा माना जाता है कि हनुमान चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति भवसागर से मुक्त हो जाता है। हनुमान जी के भक्तों को स्वर्ग में श्री राम जी के चरणों में स्थान मिलता है ।
हनुमान चालीसा का पाठ करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- साधक के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और जातक को जीवन के सामान्य कष्ट विचलित नहीं करते हैं।
- श्री हनुमान चालीसा के पाठ का फायदा है की साधक की आर्थिक समस्याओं का निराकरण होता है, चूँकि श्री हनुमान जी अष्ट सिद्धि और नव निधि के दाता हैं।
- श्री हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को अज्ञात भय और डर से मुक्ति मिलती हैं
- शारीरिक एवं मानसिक परेशानियां दूर होती हैं, और असाध्य रोग दूर होते हैं।
- हनुमान चालीसा का पाठ हमें बुरी संगत से दूर करता है और अच्छी संगत की ओर प्रेरित करता है।
- हनुमान चालीसा का पाठ करने से शिक्षा में मन लगता है ।
- विद्यार्थी में एकाग्रता का विकास होता है।
- डर, भय, संकट और विपत्ति आने पर हनुमान चालीसा का पाठ करने से सारे कष्ट दूर होते हैं।
- हनुमान चालीसा का पाठ करने से अटका हुआ कार्य पूर्ण हो जाता है।
- जब मन व्याकुल हो तब हनुमान चालीसा का पाठ करने से मन की व्याकुलता दूर होती है।
- जब व्यक्ति नकारात्मक विचारों से ग्रस्त हो तब हनुमान चालीसा का पाठ करने से उसमें नकारात्मकता दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa ) का पाठ करने से नई ऊर्जा का संचार होता है।
- कठिनाई एवं समस्याएं होने पर हनुमान चालीसा का पाठ करने से लाभ मिलता है।
- हनुमान चालीसा का पाठ करने से मन को शांति मिलती है।
- हनुमान चालीसा का पाठ करने से आर्थिक, सामाजिक, मानसिक और शारीरिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
- हनुमान चालीसा का पाठ करने से जीवन सुखी और समृद्ध बनता है।
- भगवान श्री हनुमान चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति स्वस्थ होता है और रोग दोष से मुक्ति प्राप्त करता है।
- स्वस्थ मन और स्वच्छ शरीर से चालीसा का पाठ करने से सुख समृद्धि में वृद्धि होती है।
- घर में संपन्नता बढ़ती है।
- हनुमान चालीसा का पाठ करने से साहस में वृद्धि होती है ।
- भक्त पराक्रमी बनता है।
- हनुमान चालीसा का पाठ करने से सभी मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं।
Shri Hanuman Chalisa Path Lyrics
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर जय कपीस तिहुँ लोक उजागर
राम दूत अतुलित बल धामा अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ॥१॥
महाबीर विक्रम बजरंगी कुमति निवार सुमति के संगी
कंचन बरन बिराज सुबेसा कानन कुंडल कुँचित केसा ॥२॥
हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजे काँधे मूँज जनेऊ साजे
शंकर सुवन केसरी नंदन तेज प्रताप महा जगवंदन ॥३॥
विद्यावान गुनी अति चातुर राम काज करिबे को आतुर
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया राम लखन सीता मनबसिया ॥४॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा बिकट रूप धरि लंक जरावा
भीम रूप धरि असुर सँहारे रामचंद्र के काज सवाँरे ॥५॥
लाय सजीवन लखन जियाए श्री रघुबीर हरषि उर लाए
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई तुम मम प्रिय भरत-हि सम भाई ॥६॥
सहस बदन तुम्हरो जस गावै अस कहि श्रीपति कंठ लगावै
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा नारद सारद सहित अहीसा ॥७॥
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते कवि कोविद कहि सके कहाँ ते
तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा राम मिलाय राज पद दीन्हा ॥८॥
तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना लंकेश्वर भये सब जग जाना
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू लील्यो ताहि मधुर फ़ल जानू ॥९॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही जलधि लाँघि गए अचरज नाही
दुर्गम काज जगत के जेते सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥१०॥
राम दुआरे तुम रखवारे होत न आज्ञा बिनु पैसारे
सब सुख लहै तुम्हारी सरना तुम रक्षक काहू को डरना ॥११॥
आपन तेज सम्हारो आपै तीनों लोक हाँक ते काँपै
भूत पिशाच निकट नहि आवै महाबीर जब नाम सुनावै ॥१२॥
नासै रोग हरे सब पीरा जपत निरंतर हनुमत बीरा
संकट ते हनुमान छुडावै मन क्रम वचन ध्यान जो लावै ॥१३॥
सब पर राम तपस्वी राजा तिनके काज सकल तुम साजा
और मनोरथ जो कोई लावै सोइ अमित जीवन फल पावै ॥१४॥
चारों जुग परताप तुम्हारा है परसिद्ध जगत उजियारा
साधु संत के तुम रखवारे असुर निकंदन राम दुलारे ॥१५॥
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता अस बर दीन जानकी माता
राम रसायन तुम्हरे पासा सदा रहो रघुपति के दासा ॥१६॥
तुम्हरे भजन राम को पावै जनम जनम के दुख बिसरावै
अंतकाल रघुवरपुर जाई जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥१७॥
और देवता चित्त ना धरई हनुमत सेई सर्व सुख करई
संकट कटै मिटै सब पीरा जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥१८॥
जै जै जै हनुमान गुसाईँ कृपा करहु गुरु देव की नाई
जो सत बार पाठ कर कोई छूटहि बंदि महा सुख होई ॥१९॥
जो यह पढ़े हनुमान चालीसा होय सिद्धि साखी गौरीसा
तुलसीदास सदा हरि चेरा कीजै नाथ हृदय मँह डेरा ॥२०॥
दोहा
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥
राम दूत अतुलित बल धामा अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ॥१॥
महाबीर विक्रम बजरंगी कुमति निवार सुमति के संगी
कंचन बरन बिराज सुबेसा कानन कुंडल कुँचित केसा ॥२॥
हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजे काँधे मूँज जनेऊ साजे
शंकर सुवन केसरी नंदन तेज प्रताप महा जगवंदन ॥३॥
विद्यावान गुनी अति चातुर राम काज करिबे को आतुर
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया राम लखन सीता मनबसिया ॥४॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा बिकट रूप धरि लंक जरावा
भीम रूप धरि असुर सँहारे रामचंद्र के काज सवाँरे ॥५॥
लाय सजीवन लखन जियाए श्री रघुबीर हरषि उर लाए
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई तुम मम प्रिय भरत-हि सम भाई ॥६॥
सहस बदन तुम्हरो जस गावै अस कहि श्रीपति कंठ लगावै
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा नारद सारद सहित अहीसा ॥७॥
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते कवि कोविद कहि सके कहाँ ते
तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा राम मिलाय राज पद दीन्हा ॥८॥
तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना लंकेश्वर भये सब जग जाना
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू लील्यो ताहि मधुर फ़ल जानू ॥९॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही जलधि लाँघि गए अचरज नाही
दुर्गम काज जगत के जेते सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥१०॥
राम दुआरे तुम रखवारे होत न आज्ञा बिनु पैसारे
सब सुख लहै तुम्हारी सरना तुम रक्षक काहू को डरना ॥११॥
आपन तेज सम्हारो आपै तीनों लोक हाँक ते काँपै
भूत पिशाच निकट नहि आवै महाबीर जब नाम सुनावै ॥१२॥
नासै रोग हरे सब पीरा जपत निरंतर हनुमत बीरा
संकट ते हनुमान छुडावै मन क्रम वचन ध्यान जो लावै ॥१३॥
सब पर राम तपस्वी राजा तिनके काज सकल तुम साजा
और मनोरथ जो कोई लावै सोइ अमित जीवन फल पावै ॥१४॥
चारों जुग परताप तुम्हारा है परसिद्ध जगत उजियारा
साधु संत के तुम रखवारे असुर निकंदन राम दुलारे ॥१५॥
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता अस बर दीन जानकी माता
राम रसायन तुम्हरे पासा सदा रहो रघुपति के दासा ॥१६॥
तुम्हरे भजन राम को पावै जनम जनम के दुख बिसरावै
अंतकाल रघुवरपुर जाई जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥१७॥
और देवता चित्त ना धरई हनुमत सेई सर्व सुख करई
संकट कटै मिटै सब पीरा जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥१८॥
जै जै जै हनुमान गुसाईँ कृपा करहु गुरु देव की नाई
जो सत बार पाठ कर कोई छूटहि बंदि महा सुख होई ॥१९॥
जो यह पढ़े हनुमान चालीसा होय सिद्धि साखी गौरीसा
तुलसीदास सदा हरि चेरा कीजै नाथ हृदय मँह डेरा ॥२०॥
दोहा
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥
भजन श्रेणी : हनुमान भजन (Hanuman Bhajan)
हनुमान चालीसा का पाठ कब करना चाहिए.
हनुमान चालीसा का
पाठ सूर्योदय और सूर्यास्त के समय करना चाहिए। हनुमान चालीसा का पाठ
मंगलवार और शनिवार से शुरू करना चाहिए। ब्रह्म मुहूर्त में हनुमान चालीसा
का पाठ करने से भी शुभ फल की प्राप्ति होती है। हनुमान चालीसा का पाठ करते
समय लाल आसन पर बैठना चाहिए।
हनुमान हनुमान चालीसा का पाठ कितनी बार करना चाहिए .
हनुमान
चालीसा का पाठ अपनी श्रद्धा अनुसार 7,11, 21,40,100 और 108 बार कर सकते
हैं । हनुमान चालीसा का पाठ मंगलवार से शुरू करना बेहद शुभ होता है।
हनुमान चालीसा का पाठ कैसे करें.
हनुमान चालीसा का पाठ करने से पहले हनुमान जी की तस्वीर को लाल कपड़े पर विराजमान करें ।
इसके पश्चात गाय के घी से दीपक जलाएं।
हनुमान चालीसा का पाठ करते समय लाल आसन पर बैठें।
साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें।
स्वस्थ वातावरण और शांत मन से हनुमान चालीसा का पाठ करें।
हनुमान चालीसा का पाठ पूर्ण होने पर बूंदी या बूंदी के लड्डू का भोग लगाएं।
हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करने से होने वाले लाभ.
हनुमान
चालीसा का नियमित पाठ करने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
नकारात्मकता दूर होकर सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है । नई ऊर्जा का
संचार होता है। भय, विकार और डर दूर होते हैं। एकाग्रता बढ़ती है। साहस और
बल की वृद्धि होती है। आर्थिक, सामाजिक, शारीरिक और मानसिक जैसी सभी
परेशानियों का नाश होता है । सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। घर में
संपन्नता आती है और मुख पर सदैव तेज रहता है।
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