मारी मरूँ कुसंग की हिंदी मीनिंग कबीर के दोहे

मारी मरूँ कुसंग की हिंदी मीनिंग Mari Maru Kusang Meaning Kabir Ke Dohe (Saakhi) Hindi Arth/Hindi Meaning Sahit (कबीर दास जी के दोहे सरल हिंदी मीनिंग/अर्थ में )

मारी मरूँ कुसंग की, केला काँठै बेरि।
वो हालै वो चीरिये, साषित संग न बेरि॥
Mari Maru Kusang Ki, Kela Kathe Beri,
Vo Hale Vo Chiriye, Sashit Sang Na Beri.

मारी मरूँ कुसंग की : कुसंगति के कारण मैं मरी ही जा रही हूँ.
केला काँठै बेरि : केले का पौधा बेर के पौधे के साथ कैसे रह सकता है.
वो हालै वो चीरिये : बेर का पादप तो हिलता है लेकिन उसके हिलने मात्र से ही केले का पादप चीरा जाता है, कट फट जाता है.
साषित संग न बेरि : साक्य का संग भी दुखदाई है, जिसे निबेरो निवारण करो.
मारी : नष्ट हो रहा है, समाप्त हो रहा है.
मरूँ : मर रही हूँ. कुसंग की,
केला काँठै बेरि: केले के साथ बैर का पादप.
वो हालै वो चीरिये : एक के हिलने से दूसरा चीरा जाता है.
साषित संग नबेरि : ऐसे ही शाक्य व्यक्ति को दूर करो, शाक्य की संगती का निवारण करो.
मारी मरूँ : साधक का मरना हो रहा है, विपरीत स्थितियां बन चुकी है.
कुसंग की : कुसंगति की, सांसारिक मायाजनित व्यवहार के लोगों से.
केला : केले का पादप.
काँठै बेरि : बेर के संग में.
वो हालै : वो हिलता है (कांटेदार
वो चीरिये : वह चीरा जाता है, केले का पादप.
साषित संग नबेरि : साक्य के संग को निबेरो.

साहेब कबीर की वाणी है की विप्रिईत प्रभाव के व्यक्ति एक साथ नहीं रह सकते हैं.
जीवात्मा कुसंगति में पड़कर मरी जा रही है जैसे की केले का पादप बेर के संग रहने पर बेर के हिलने से केले के पत्ते उसके काँटों से चीर जाते हैं. बेर के कांटे जैसे केले के पादप को चीर जाते हैं वैसे ही शाक्य लोगों की संगती भी दुखदाई होती है. कबीर साहेब ने शाक्य लोगों को भक्ति करने के नाम पर आडम्बरी कहा है. अतः उनकी संगती का निवारण करो. शाक्य लोगों से दूर रहने की सलाह साहेब देते हैं क्योंकि उनकी भक्ति सच्ची भक्ति नहीं होती है.
 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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