पाँहण टाँकि न तौलिए हाडि न कीजै मीनिंग

पाँहण टाँकि न तौलिए हाडि न कीजै वेह मीनिंग

पाँहण टाँकि न तौलिए, हाडि न कीजै वेह।
माया राता मानवी, तिन सूँ किसा सनेह॥
Pahan Tanki Na Touliye, Hadi Na Keeje Veh,
Maya Rata Manavi, Tin Su Kisa Saneh.

पाँहण टाँकि न तौलिए : पत्थर को टाका लगाकर नहीं तोलना चाहिए.
हाडि न कीजै वेह : हड्डियों में छेद नहीं किया जाता है.
माया राता मानवी : माया में रत व्यक्ति.
तिन सूँ किसा सनेह : उससे कैसा स्नेह, प्रेम.
पाँहण : पत्थर.
टाँकि न : टाँके से.
तौलिए : तौला जाता है.
हाडि : हड्डी में.
न कीजै : नहीं किया जाता है.
बेह : छेद
कबीर साहेब की वाणी है की जैसे पत्थर को टांका लगाकर नहीं तौला जाता है, हड्डियों में छेद करके परिक्षण नहीं किया जाता है, ऐसे ही माया में अनुरक्त लोगों से प्रेम नहीं किया करना चाहिए. माया जनित व्यवहार करने वाले भक्ति की बातों को समझ नहीं सकते हैं.
प्रस्तुत साखी में दृष्टांत और अतिश्योक्ति अलंकार की व्यंजना हुई है. भाव है की माया के अंदर पड़ा हुआ व्यक्ति कभी भी ईश्वरीय भक्ति को समझ नहीं सकता है.
 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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