कान्हा प्रेम की डोर मोहे खींच

कान्हा प्रेम की डोर मोहे खींच


कान्हा प्रेम की डोर मोहे खींच जोर,
तेरे नैनों ने मुझपे जादू किया।
तुझसे है वादा, हां, बिन तेरे राधा,
ये श्याम है आधा, ओ राधिका।

राधा न होती, वृंदावन न होता,
तो कैसे हम रास रचाते।
राधा की पायल न भजती,
तो बोलो ऊँगली पर किसको नचाते।
कान्हा कैसा ये कमाल है,
हुआ हाल बेहाल तेरे श्रृंगार ने मुझको पागल किया।
तुम पे है वादा, बिन तेरे राधा,
ये श्याम है आधा, ओ राधिका।

राधा न होती तो कुंज-गली भी,
ऐसी निराली न होती।
राधे के नाम से महके है उपवन,
हरियाली ऐसी न होती।
कान्हा तेरी मुस्कान पे प्यारी,
बंसी की तान, 
उसकी बांकी अदाओं ने घ्याल किया।
तुम पे है वादा, बिन तेरे राधा,
ये श्याम है आधा, ओ राधिका।

राधा न होती, ये स्वान न होता,
तो फिर किसको झूला रिझाते।
अमित गगन बैठे चरणों में तेरे,
तो भजनों से किसको रिझाते।
कान्हा घुंघराले बाल, तेरी टेढ़ी-मेढ़ी चाल,
मैंने मोहन को तन-मन ये अर्पण किया।
तुम पे है वादा, बिन तेरे राधा,
ये श्याम है आधा, ओ राधिका।


Krishan Janmashtami Songs : कान्हा प्रेम की डोर | Gagandeep Singh, Urmila Raj | Krishan Bhajan 2018

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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