मंदिर में रहते हो भगवन कभी बाहर

मंदिर में रहते हो भगवन कभी बाहर भी आया जाया करो

मंदिर में रहते हो भगवन, 
कभी बाहर भी आया जाया करो,
मैं रोज तेरे दर आता हूँ, 
कभी तुम भी मेरे घर आया करो।।

मैं दीन हूँ, दीननाथ हो तुम,
दुख-सुख में सबके साथ हो तुम,
फिर क्यों न सुनो मेरे दिल की,
इतना न ज़ुल्म करवाया करो,
मैं रोज तेरे दर आता हूँ, 
कभी तुम भी मेरे घर आया करो।।

बेहाल तेरे दर आते हैं,
तुमको दुख-दर्द सुनाते हैं,
सुनते हो सभी का हाल मगर,
अपना भी हाल सुनाया करो,
मैं रोज तेरे दर आता हूँ, 
कभी तुम भी मेरे घर आया करो।।

जग के दाता कहलाते हो,
ना पीते हो, ना खाते हो,
अब गए परसाद तेरा गुण भी,
कुछ पीया करो, कुछ खाया करो,
मैं रोज तेरे दर आता हूँ, 
कभी तुम भी मेरे घर आया करो।।


मंदिर में रहते हो - Mandir Mein Rehte Ho | बेस्ट साई नाथ भजन | रंजीत राजा स्पेशल साई भजन #Jmd Bhakti

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About Bhajan -

यह भाव एक भक्त के दिल की सच्ची पुकार है, जिसमें वह भगवान से कहता है कि जैसे वह हर दिन मंदिर में आकर उनकी पूजा करता है, वैसे ही भगवान भी कभी उसके घर, उसके जीवन में आएँ और उसकी सुध लें। भक्त खुद को दीन-हीन मानता है और चाहता है कि भगवान उसके सुख-दुख में सच्चे साथी बनें, उसकी फरियाद सुनें और कभी-कभी उसके हालात का भी अनुभव करें। वह देखता है कि मंदिर में आने वाले सभी दुखी लोग अपने दुख भगवान को सुनाते हैं, लेकिन भगवान से भी चाहता है कि वे कभी उसकी व्यथा को समझें, उसकी भावनाओं को महसूस करें। भक्त यह भी कहता है कि भगवान सबका दाता है, लेकिन प्रसाद के रूप में जो कुछ भी अर्पित किया जाता है, उसे भी प्रेम से स्वीकार करें, ताकि भक्त और भगवान के बीच आत्मीयता और निकटता बनी रहे। यह भाव सच्चे प्रेम, समर्पण और ईश्वर से गहरे संबंध की कामना का प्रतीक है।
 
➤Song Name: मंदिर में रहते हो
➤Singer Name: Ranjeet Raja
➤Album : Jashan-E-Sai

Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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