11 रामायण रामचन्द्र की गुण गरिमा को, गाती है वसुधा सारी, चौदह वर्ष रहे वन में थे, मात पिता आज्ञाकारी। भ्रातृ प्रेम के सु पुजारी थे, अरु थे पत्नीव्रत धारी, तन से मन से और कर्म से, जो थे सब के हितकारी। रावण को मारा विभीषण को, दे दी लंका सारी, बाली को हत बना दिया, सुग्रीव अनुज को अधिकारी। जाम्बवन्त, अंगद, नल, नील,
बजरंग भक्त थे बलधारी, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघन भी थे, राम भ्रात योद्धा भारी। तो रामायण की महिमा है, गावत विश्व सुजान, है भूमण्डल में भारत देश महान।
12 रामराज्य जात पात और छुआछूत का था, ना यूं मिथ्या अभिमान, जैसा कर्म, वर्ण था वैसा, रहा देश में कर्म प्रधान। नीच कर्म से राक्षस कहलाता था, रावण ब्राह्मण जान, ऊँच कर्म से भील वाल्मिकी,
Desh Bhakti Geet Lyrics in Hindi
कहलाता था ऋषि विद्वान। भिल्नी, निषाध से शूद्रों को, गले लगाये राम सुजान, राम कचहरी में धोबी तक, दे सकता था अभय बयान। चोर, मूर्ख, खल, नास्तिक, वेश्यागण का ना था नामोनिशान, माँस, मीन, मदिरा क्रय विक्रय की, न कोई गन्दी दुकान। राम राज्य में भूखा, नंगा रहा न कोई इन्सान, है भूमण्डल में भारत देश महान।
13 महाभारत जहां कृष्ण ने जरासंध, शिशुपाल,
कंस हत लिया स्वराज, उग्रसेन को गद्दी देकर, प्रधान पद पर गये विराज। विदुर, सुदामा, कुब्जा, उद्धों से दीनन के थे सिर ताज, भरी सभा में सती द्रौपदी की, रख दी थी सतित्व लाज। कौरव, पाण्डव आपस में, जब बजा दिये थे रण के साज, कौरव को निज सेना दे, सारथी बने ले पाण्डव काज। भीष्म, शकुनी, दुर्योधन, और द्रोण, दुशासन, कर्णधिराज, प्राण खो गये सर के मारे, यमपुर गये शरण यमराज। मृत अर्जुन में जान डाल दी, थी गीता की तान, है भूमण्डल में भारत देश महान।