दर्दे दिल मेरे बाबा साई की दवा दीजिये
दर्दे दिल मेरे बाबा साई की दवा दीजिये
हाय मेरा दिल, मेरा दिल, दिल दिल,
साईं मेरा दिल, मेरा दिल, दिल दिल।
दर्द-ए-दिल मेरे बाबा, साईं की दवा दीजिए,
कम से कम मेरे साईं, मुस्कुरा दीजिए।।
मेरा दिल आपका घर हुआ मेरे बाबा जी,
इसमें आते-जाते रहा कीजिए।।
ज़ख़्म दुनिया ने मुझको दिए मेरे बाबा,
आप मरहम लगा दीजिए।।
क्या सही, क्या गलत, क्या पता मैं क्या जानूं,
आप ही मेरे साईं, फ़ैसला कीजिए।।
अंधियों में जो न बुझे मेरे बाबा,
ऐसा दीपक जला दीजिए।।
एक समंदर ये कहने लगा बाबा से,
मुझको मीठा बना दीजिए।।
आपके नाम से नाम हो बाबा जी,
ऐसी शोहरत हम रसार को अता कीजिए।।
साईं मेरा दिल, मेरा दिल, दिल दिल।
दर्द-ए-दिल मेरे बाबा, साईं की दवा दीजिए,
कम से कम मेरे साईं, मुस्कुरा दीजिए।।
मेरा दिल आपका घर हुआ मेरे बाबा जी,
इसमें आते-जाते रहा कीजिए।।
ज़ख़्म दुनिया ने मुझको दिए मेरे बाबा,
आप मरहम लगा दीजिए।।
क्या सही, क्या गलत, क्या पता मैं क्या जानूं,
आप ही मेरे साईं, फ़ैसला कीजिए।।
अंधियों में जो न बुझे मेरे बाबा,
ऐसा दीपक जला दीजिए।।
एक समंदर ये कहने लगा बाबा से,
मुझको मीठा बना दीजिए।।
आपके नाम से नाम हो बाबा जी,
ऐसी शोहरत हम रसार को अता कीजिए।।
Darde Dil Ki Dava Dijiye [Full Song] I Sai Ki Jogniya
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Bhajan: Darde Dil Ki Dava Dijiye
Album: Sai Ki Jogniya
Singer: Humsar Hayat Nizam, Atahar Hayat
Music Director: Humsar Hayat Nizam
Lyricist: M.D. Hayat
Music Label: T-Series
Album: Sai Ki Jogniya
Singer: Humsar Hayat Nizam, Atahar Hayat
Music Director: Humsar Hayat Nizam
Lyricist: M.D. Hayat
Music Label: T-Series
इस भावपूर्ण रचना में एक सच्चे भक्त का संपूर्ण समर्पण, दर्द और उम्मीद झलकती है। जब जीवन में दुख, उलझन और दुनिया के ज़ख़्म गहरे हो जाते हैं, तब मनुष्य अपने साईं बाबा से बस एक ही प्रार्थना करता है—“मेरे दिल के दर्द की दवा दीजिए, कम से कम मुस्कुरा दीजिए।” यह मुस्कान, यह कृपा की झलक ही उसके लिए सबसे बड़ा संबल बन जाती है।
भक्त का दिल साईं बाबा का घर बन गया है। वह चाहता है कि बाबा उसके हृदय में सदा आते-जाते रहें, उसकी हर सांस, हर भावना में बस जाएं। दुनिया के दिए ज़ख्मों पर केवल बाबा का ही मरहम सच्चा सुकून देता है, और वही घावों को भर सकता है।
जीवन के रास्तों पर सही-गलत का भेद समझना कठिन हो जाता है, तब भक्त अपने साईं बाबा से ही निर्णय की प्रार्थना करता है—“आप ही फैसला कीजिए, मैं तो अज्ञानी हूँ।” यह समर्पण और भरोसा ही सच्चे भक्त की पहचान है।
अंधेरों से घिरे जीवन में, जब उम्मीद की कोई किरण नहीं दिखती, तब बाबा से यही प्रार्थना होती है कि ऐसा दीपक जला दें, जो कभी न बुझे, जो हर अंधकार को मिटा दे। यह दीपक विश्वास, प्रेम और भक्ति का है।
भक्त का दिल साईं बाबा का घर बन गया है। वह चाहता है कि बाबा उसके हृदय में सदा आते-जाते रहें, उसकी हर सांस, हर भावना में बस जाएं। दुनिया के दिए ज़ख्मों पर केवल बाबा का ही मरहम सच्चा सुकून देता है, और वही घावों को भर सकता है।
जीवन के रास्तों पर सही-गलत का भेद समझना कठिन हो जाता है, तब भक्त अपने साईं बाबा से ही निर्णय की प्रार्थना करता है—“आप ही फैसला कीजिए, मैं तो अज्ञानी हूँ।” यह समर्पण और भरोसा ही सच्चे भक्त की पहचान है।
अंधेरों से घिरे जीवन में, जब उम्मीद की कोई किरण नहीं दिखती, तब बाबा से यही प्रार्थना होती है कि ऐसा दीपक जला दें, जो कभी न बुझे, जो हर अंधकार को मिटा दे। यह दीपक विश्वास, प्रेम और भक्ति का है।
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Author - Saroj Jangir
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