राती रूनी विरहिनी ज्यूँ बंची कू कुंज हिंदी अर्थ Rati Runi Virahani Meaning
राती रूनी विरहिनी , ज्यूँ बंची कू कुंज ।
कबीर अंतर प्रजलया , प्रगटया विरह पुंज।
or
रात्यूँ रूँनी बिरहनीं, ज्यूँ बंचौ कूँ कुंज।
कबीर अंतर प्रजल्या, प्रगट्या बिरहा पुंज॥
Ratyu Runi Birahani, Jyu Bacho Ku Kunj,
kabir Antar Prajalyaa, Pragatya Biraha Punj.
कबीर अंतर प्रजलया , प्रगटया विरह पुंज।
or
रात्यूँ रूँनी बिरहनीं, ज्यूँ बंचौ कूँ कुंज।
कबीर अंतर प्रजल्या, प्रगट्या बिरहा पुंज॥
Ratyu Runi Birahani, Jyu Bacho Ku Kunj,
kabir Antar Prajalyaa, Pragatya Biraha Punj.
शब्दार्थ (Word Meaning)
- रात्यूँ (रात में): During the night.
- रूँनी (रोती है): Cries, weeps.
- बिरहनीं (बिरह की अग्नि में जलती): The soul that burns in the fire of separation.
- ज्यूँ (जैसे): Just like.
- बंचौ (वंचित): Deprived, separated.
- कुंज (क्रौंच): The heron (a bird).
- अंतर (अंतर्मन/हृदय): Heart, inner self.
- प्रजल्या (प्रज्जवलित): Burning, blazing.
- प्रगट्या (प्रकाशित, उद्घाटित): Revealed, manifested.
- पुंज (समूह, गुच्छा): Group, flock.
दोहे का हिंदी अर्थ :
कबीर साहेब जीवात्मा की उपमा विरहनी से करते हैं। विरहनी जीवात्मा परमात्मा से बिछड़ने से के बाद रात भर रोती है जैसे की क्रौंच पक्षी अपने प्रिय से बिछड़ने के बाद रोती है। कबीर विरह रूपी अग्नि उनके अन्दर प्रकट हो रही है और विरह का पुंज उनके भीतर उमड़ चुकी है। ईश्वर से बिछड़ चुकी आत्मा, जिसे पूर्ण परम ब्रह्म कहा जाता है, अपने मालिक से मिलने की अत्यंत विलक्षण तृष्णा महसूस करती है।
Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |