श्री कृष्ण के 108 नाम हिंदी अर्थ सहित
श्री कृष्ण जी के 108 नामों का जाप एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण क्रिया है। इन नामों के जाप से भक्तों को भगवान श्री कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है। इन नामों में भगवान श्री कृष्ण के सभी गुण और विशेषताएं निहित हैं। इन नामों का जाप करने से भक्तों का मन शांत होता है, उनमें भक्ति भाव जागता है, और उन्हें मोक्ष प्राप्ति का मार्ग मिलता है। श्री कृष्ण नाम जाप की महत्ता भी बहुत अधिक है। श्री कृष्ण का नाम ही उनके स्वरूप का प्रतिनिधित्व करता है। श्री कृष्ण नाम का जाप करने से भक्तों का मन भगवान श्री कृष्ण के प्रति आकर्षित होता है। वे भगवान श्री कृष्ण के गुणों और विशेषताओं को आत्मसात करने का प्रयास करते हैं। श्री कृष्ण नाम जाप करने से भक्तों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। वे शांति, प्रेम, और आनंद का अनुभव करते हैं। श्री कृष्ण नाम जाप करने के लिए कोई विशेष विधि नहीं है। भक्त किसी भी समय, किसी भी स्थान पर, किसी भी मुद्रा में श्री कृष्ण नाम का जाप कर सकते हैं। हालांकि, सुबह जल्दी उठकर और शुद्ध मन से श्री कृष्ण नाम का जाप करना अधिक फलदायी होता है।
श्री कृष्ण नाम जाप करने से भक्तों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। वे शांति, प्रेम, और आनंद का अनुभव करते हैं। श्री कृष्ण नाम जाप करने से भक्तों को भगवान श्री कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है और वे मोक्ष प्राप्ति के मार्ग पर आगे बढ़ते हैं।
श्री कृष्ण जी के 108 पावन नाम और उनका अर्थ Krishna 108 Naam Hindi Arth Sahit
- अचल : भगवान विष्णु को अचला नाम से भी जाना जाता है। इसका अर्थ है "अचल, स्थिर, अडिग"। भगवान विष्णु को अचल इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे सृष्टि के पालनहार हैं और उनके चरित्र में अडिग निष्ठा, दया और करुणा है।
- अच्युत : भगवान विष्णु को अच्युत नाम से भी जाना जाता है। इसका अर्थ है "अचूक, जो कभी भूल नहीं करता"। भगवान विष्णु को अच्युत इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे सृष्टि के रचयिता हैं और उनके ज्ञान और बुद्धि में कोई कमी नहीं है।
- अद्भुत : भगवान विष्णु को अद्भुत नाम से भी जाना जाता है। इसका अर्थ है "अद्भुत, चमत्कारी"। भगवान विष्णु को अद्भुत इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे अनेक चमत्कार करने में सक्षम हैं, जैसे कि जल में चलना, हवा में उड़ना, और मृत्यु पर विजय प्राप्त करना।
- आदिदेव : भगवान विष्णु को आदिदेव नाम से भी जाना जाता है। इसका अर्थ है "प्रथम देव"। भगवान विष्णु को आदिदेव इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे सृष्टि के आदि देव हैं और सभी देवताओं के स्वामी हैं।
- अदित्या : भगवान विष्णु को अदित्या नाम से भी जाना जाता है। इसका अर्थ है "अदिति के पुत्र"। भगवान विष्णु को अदित्या इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे देवी अदिति के पुत्र हैं, जो सभी देवताओं की माता हैं।
- अजंमा : जिनकी शक्ति असीम और अनंत हो। इस नाम का अर्थ है "अजन्मा, जो कभी पैदा नहीं हुआ"। भगवान विष्णु को अजंमा इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे सृष्टि के आदि हैं और उनका कोई जन्म नहीं है। वे सृष्टि के पालनहार हैं और उनके पास असीम शक्ति और ज्ञान है।
- अजया : जीवन और मृत्यु के विजेता-इस नाम का अर्थ है "अजेय, जिसे हराया नहीं जा सकता"। भगवान विष्णु को अजया इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे जीवन और मृत्यु के विजेता हैं। वे काल के स्वामी हैं और उन्हें मृत्यु नहीं आ सकती है।
- अक्षरा : अविनाशी प्रभु-इस नाम का अर्थ है "अक्षर, जो कभी नष्ट नहीं होता"। भगवान विष्णु को अक्षरा इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे अविनाशी हैं। वे सृष्टि के पालनहार हैं और उनकी शक्ति और ज्ञान कभी समाप्त नहीं होगी।
- अमृत: अमृत जैसा स्वरूप वाले इस नाम का अर्थ है "अमृत, जो अमर है"। भगवान विष्णु को अम्रुत इसलिए कहा जाता है क्योंकि उनका स्वरूप अमृत के समान है। वे सृष्टि के पालनहार हैं और उनका स्वरूप कभी नष्ट नहीं होगा।
- अनादिह : सर्वप्रथम हैं जो। इस नाम का अर्थ है "अनादि, जो सर्वप्रथम हैं"। भगवान विष्णु को अनादि इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे सृष्टि के आदि हैं। वे सृष्टि के पालनहार हैं और उनका कोई जन्म नहीं है।
- आनंद सागर - आनंद के सागर, कृष्ण को आनंद देने वाले देवता के रूप में जाना जाता है।
- अनंता - अंतहीन, कृष्ण को अनंत काल से विद्यमान देवता के रूप में जाना जाता है।
- अनंतजित - हमेशा विजयी होने वाले, कृष्ण को सभी दुष्टों पर विजय प्राप्त करने वाले देवता के रूप में जाना जाता है।
- अनया - जिनका कोई स्वामी न हो, कृष्ण को सर्वोच्च देवता के रूप में जाना जाता है, जिनका कोई स्वामी नहीं है।
- अनिरुद्ध - जिनका अवरोध न किया जा सके, कृष्ण को अजेय देवता के रूप में जाना जाता है, जिन्हें कोई भी रोक नहीं सकता है।
- अपराजीत - जिन्हें हराया न जा सके, कृष्ण को विजेता देवता के रूप में जाना जाता है, जिन्हें कोई भी नहीं हरा सकता है।
- अव्युक्ता - स्पष्ट, कृष्ण को स्पष्टवादी और स्पष्टवादी देवता के रूप में जाना जाता है।
- बालगोपाल - भगवान कृष्ण का बाल रूप, कृष्ण को उनके बचपन के रूप में जाना जाता है, जब वे गोकुल में गायों के साथ खेलते थे।
- बलि - सर्व शक्तिमान, कृष्ण को सर्वशक्तिमान देवता के रूप में जाना जाता है, जिन्हें कोई भी पराजित नहीं कर सकता।
- चतुर्भुज - चार भुजाओं वाले प्रभु, कृष्ण को चार भुजाओं वाले देवता के रूप में जाना जाता है, जो उनके चार गुणों को दर्शाते हैं: ज्ञान, शक्ति, कर्म और भक्ति।
- दानवेंद्रो - वरदान देने वाले, कृष्ण को वरदान देने वाले देवता के रूप में जाना जाता है, जो भक्तों को उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं।
- दयालु - करुणा के भंडार, कृष्ण को करुणा के भंडार देवता के रूप में जाना जाता है, जो हमेशा अपने भक्तों के साथ दया करते हैं।
- दयानिधि - सब पर दया करने वाले, कृष्ण को सब पर दया करने वाले देवता के रूप में जाना जाता है, जो सभी प्राणियों के कल्याण के लिए काम करते हैं।
- देवाधिदेव - देवों के देव, कृष्ण को देवों के देवता के रूप में जाना जाता है, जो सभी देवताओं के गुरु हैं।
- देवकीनंदन - देवकी के लाल (पुत्र), कृष्ण को देवकी के पुत्र के रूप में जाना जाता है, जो उनके द्वारा भगवान विष्णु का अवतार होने के लिए चुने गए थे।
- देवेश - ईश्वरों के भी ईश्वर, कृष्ण को ईश्वरों के भी ईश्वर के रूप में जाना जाता है, जो सभी देवताओं और प्राणियों के स्वामी हैं।
- धर्माध्यक्ष - धर्म के स्वामी, कृष्ण को धर्म के स्वामी के रूप में जाना जाता है, जो धर्म की रक्षा करते हैं।
- द्वारकाधीश - द्वारका के अधिपति, कृष्ण को द्वारका के अधिपति के रूप में जाना जाता है, जो द्वारका नगरी के राजा थे।
- गोपाल - ग्वालों के साथ खेलने वाले, कृष्ण को ग्वालों के साथ खेलने वाले देवता के रूप में जाना जाता है, जो गोकुल में गायों के साथ खेलते थे।
- गोपालप्रिया - ग्वालों के प्रिय, कृष्ण को ग्वालों के प्रिय के रूप में जाना जाता है, जो ग्वालों के सबसे प्रिय थे।
- गोविंदा - गाय, प्रकृति, भूमि को चाहने वाले, कृष्ण को गाय, प्रकृति और भूमि के प्रेमी के रूप में जाना जाता है।
- ज्ञानेश्वर - ज्ञान के भगवान, कृष्ण को ज्ञान के भगवान के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया।
- हरि - प्रकृति के देवता, कृष्ण को प्रकृति के देवता के रूप में जाना जाता है, जो प्रकृति के संतुलन को बनाए रखते हैं।
- हिरंयगर्भा - सबसे शक्तिशाली प्रजापति, कृष्ण को सबसे शक्तिशाली प्रजापति के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने ब्रह्मांड की रचना की।
- ऋषिकेश - सभी इंद्रियों के दाता, कृष्ण को सभी इंद्रियों के दाता के रूप में जाना जाता है, जो भक्तों को ज्ञान और शक्ति प्रदान करते हैं।
- जगद्गुरु - ब्रह्मांड के गुरु, कृष्ण को ब्रह्मांड के गुरु के रूप में जाना जाता है, जो सभी भक्तों को ज्ञान और मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
- जगदिशा - सभी के रक्षक, कृष्ण को सभी के रक्षक के रूप में जाना जाता है, जो सभी भक्तों को बुराई से बचाते हैं।
- जगन्नाथ - ब्रह्मांड के ईश्वर, कृष्ण को ब्रह्मांड के ईश्वर के रूप में जाना जाता है, जो सभी प्राणियों के स्वामी हैं।
- जनार्धना - सभी को वरदान देने वाले, कृष्ण को सभी को वरदान देने वाले के रूप में जाना जाता है, जो भक्तों के सभी प्रार्थनाओं को पूरा करते हैं।
- जयंतह - सभी दुश्मनों को पराजित करने वाले, कृष्ण को सभी दुश्मनों को पराजित करने वाले के रूप में जाना जाता है, जो हमेशा अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।
- ज्योतिरादित्या - जिनमें सूर्य की चमक है, कृष्ण को सूर्य की चमक के समान प्रकाशमान होने के कारण यह नाम दिया गया है।
- कमलनाथ - देवी लक्ष्मी की प्रभु, कृष्ण को देवी लक्ष्मी के पति के रूप में जाना जाता है।
- कमलनयन - जिनके कमल के समान नेत्र हैं, कृष्ण के नेत्र कमल के समान सुंदर और चमकदार हैं।
- कामसांतक - कंस का वध करने वाले, कृष्ण ने कंस का वध करके राक्षसों का वध किया और धर्म की स्थापना की।
- कंजलोचन - जिनके कमल के समान नेत्र हैं, कमलनयन और कंजलोचन कृष्ण के नेत्रों के सौंदर्य का वर्णन करते हैं।
- केशव - केशों वाले, कृष्ण के बालों का रंग काला है और वे बहुत लंबे हैं।
- कृष्ण - सांवले रंग वाले, कृष्ण का रंग सांवला है और वे बहुत सुंदर हैं।
- लक्ष्मीकांत - देवी लक्ष्मी की प्रभु, कृष्ण को देवी लक्ष्मी के पति के रूप में जाना जाता है।
- लोकाध्यक्ष - तीनों लोक के स्वामी, कृष्ण को तीनों लोकों के स्वामी के रूप में जाना जाता है।
- मदन - प्रेम के प्रतीक, कृष्ण को प्रेम के प्रतीक के रूप में जाना जाता है।
- माधव - ज्ञान के भंडार, कृष्ण को ज्ञान के भंडार के रूप में जाना जाता है।
- मधुसूदन - मधु- दानवों का वध करने वाले, कृष्ण ने मधु और कैटभ नामक दो दानवों का वध किया था।
- महेंद्र - इन्द्र के स्वामी, कृष्ण को इन्द्र के स्वामी के रूप में जाना जाता है।
- मनमोहन - सबका मन मोह लेने वाले, कृष्ण अपने सुंदर रूप और प्रेम के कारण सभी का मन मोह लेते हैं।
- मनोहर - बहुत ही सुंदर रूप रंग वाले प्रभु, कृष्ण बहुत ही सुंदर रूप और रंग वाले प्रभु हैं।
- मयूर: श्री कृष्ण जी ने अपने मुकुट पर मोर-पंख धारण किए हुए हैं। मोर को सुंदरता और आकर्षण का प्रतीक माना जाता है। इसलिए, श्री कृष्ण जी को "मयूर" कहा जाता है।
- मोहन: श्री कृष्ण जी अपनी सुंदरता, वाणी और प्रेम से सभी को मोहित कर लेते हैं। वे बाल्यकाल से ही अपनी लीलाओं से सभी को आकर्षित करते थे। इसलिए, उन्हें "मोहन" कहा जाता है।
- मुरली: श्री कृष्ण जी बांसुरी बजाने में माहिर थे। वे अपनी बांसुरी की मधुर ध्वनि से सभी को मोहित कर लेते थे। वे अपनी बांसुरी की ध्वनि से राक्षसों को भगाते थे और गोपियों को अपने प्रेम में पागल कर देते थे। इसलिए, उन्हें "मुरली" कहा जाता है।
- मुरलीधर: श्री कृष्ण जी ने अपने हाथ में मुरली धारण की हुई है। इसलिए, उन्हें "मुरलीधर" कहा जाता है।
- मुरलीमनोहर: श्री कृष्ण जी की बांसुरी की मधुर ध्वनि से सभी मोहित हो जाते हैं। वे अपनी बांसुरी की ध्वनि से सभी के मन को मोहित कर लेते हैं। इसलिए, उन्हें "मुरलीमनोहर" कहा जाता है।
- नंद्गोपाल: श्री कृष्ण जी ने अपने पालक पिता नंद बाबा के यहाँ जन्म लिया था। इसलिए, उन्हें "नंद्गोपाल" कहा जाता है। श्री कृष्ण जी ने नंद बाबा के यहाँ बचपन में कई लीलाएँ की थीं।
- नारायण: श्री कृष्ण जी विष्णु के अवतार हैं। विष्णु को सभी प्राणियों का पालनहार माना जाता है। इसलिए, श्री कृष्ण जी को "नारायण" कहा जाता है। श्री कृष्ण जी ने अपने अवतार में सभी को कल्याण का मार्ग दिखाया था।
- निरंजन: श्री कृष्ण जी सर्वोत्तम हैं। वे किसी भी प्रकार के दोष से रहित हैं। वे परम सत्य हैं। इसलिए, उन्हें "निरंजन" कहा जाता है।
- निर्गुण: श्री कृष्ण जी में कोई भी अवगुण नहीं है। वे सर्वगुणसम्पन्न हैं। वे सर्वव्यापी हैं। इसलिए, उन्हें "निर्गुण" कहा जाता है।
- पद्महस्ता: श्री कृष्ण जी के हाथ कमल के समान सुंदर हैं। इसलिए, उन्हें "पद्महस्ता" कहा जाता है।
- पद्मनाभ: श्री कृष्ण जी की नाभि कमल के समान सुंदर है। इसलिए, उन्हें "पद्मनाभ" कहा जाता है।
- परब्रह्मन: श्री कृष्ण जी परम सत्य हैं। वे सभी प्राणियों के मूल हैं। वे अजन्मा हैं। इसलिए, उन्हें "परब्रह्मन" कहा जाता है।
- परमात्मा: श्री कृष्ण जी सभी प्राणियों के प्रभु हैं। वे सर्वव्यापी हैं। वे सर्वशक्तिमान हैं। इसलिए, उन्हें "परमात्मा" कहा जाता है।
- परमपुरुष: श्री कृष्ण जी श्रेष्ठ व्यक्तित्व वाले हैं। वे ज्ञान और शक्ति के सागर हैं। वे सभी के मार्गदर्शक हैं। इसलिए, उन्हें "परमपुरुष" कहा जाता है।
- पार्थसार्थी: अर्जुन ने श्री कृष्ण जी को अपना सारथी चुना था। इसलिए, उन्हें "पार्थसार्थी" कहा जाता है। श्री कृष्ण जी ने अर्जुन को महाभारत में जीत दिलाई थी।
- प्रजापति: यह नाम उन्हें सभी प्राणियों के नाथ का रूप देता है, जो अपनी सृजनात्मक शक्तियों के द्वारा सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की सृष्टि करते हैं।
- पुंण्य: यह नाम उनके निर्मल व्यक्तित्व को दर्शाता है, जिन्हें धर्मपरायणता, पवित्रता और उच्च मूल्यों का पालन करने की प्रेरणा मिलती है।
- पुरुषोत्तम: यह नाम श्रेष्ठ पुरुष का अर्थ देता है, जो आत्मा का उद्धारण करने वाले और विश्व के सभी प्राणियों के परम मित्र होते हैं।
- रविलोचन: इस नाम के माध्यम से बताया जाता है कि वे सूर्य के समान प्रकाशमान होते हैं, उनके आदर्श और दिव्य दर्शन के द्वारा हमारे जीवन को प्रकाशित करते हैं।
- सहस्राकाश: यह नाम उनकी हजार आंखों वाले स्वरूप को दर्शाता है, जो हर दिशा में उपस्थित होने के कारण सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की देखभाल करते हैं।
- सहस्रजित: यह नाम उनकी हजारों को जीतने की क्षमता को प्रकट करता है, जो उन्हें सभी बुराईयों और दुखों को दूर करने के लिए समर्थ बनाती है।
- सहस्रपात: इस नाम के द्वारा उनके हजारों पैरों का सूचना दी जाती है, जिनसे व्यक्त होता है कि वे सभी दिशाओं में सक्रिय रूप से कार्य करते हैं।
- साक्षी: यह नाम उन्हें समस्त देवों के गवाह के रूप में प्रकट करता है, जो सभी हमारे कर्मों की निगरानी करते हैं।
- सनातन: यह नाम उनके असीम और अनन्त अस्तित्व को दर्शाता है, जिसका कोई अंत नहीं होता।
- सर्वजन: यह नाम उन्हें सभी ज्ञाति और अज्ञाति को जानने की क्षमता देता है, जो सभी की प्रकृति को अच्छे से समझते हैं।
- सर्वपालक: इस नाम के माध्यम से व्यक्त होता है कि वे सभी का पालन करने के लिए आत्मर्पित और सक्षम होते हैं।
- सर्वेश्वर: यह नाम उन्हें समस्त देवताओं के ऊपर उच्च स्थिति के रूप में प्रकट करता है, जिन्होंने समस्त जगत् का निर्माण किया है।
- सत्यवचन: यह नाम उन्हें सत्य कहने की श्रेष्ठता के रूप में प्रकट करता है, जो हमें सत्य की प्रेरणा देते हैं।
- सत्यवत्: इस नाम के द्वारा उनके उच्च व्यक्तित्व की प्रशंसा की जाती है, जिन्हें हमारे जीवन के दिशानिर्देशक बनाने की शक्ति होती है।
- शान्तह: यह नाम उन्हें शांति और ताजगी के साथ दर्शाता है, जिन्हें हमें शांति के मार्ग में प्रेरित करते हैं।
- श्रेष्ठ: महान। श्री कृष्ण जी अपने गुणों और कर्मों से महान हैं। वे सभी प्राणियों के लिए आदर्श हैं। इसलिए, उन्हें "श्रेष्ठ" कहा जाता है।
- श्रीकांत: अद्भुत सौंदर्य के स्वामी। श्री कृष्ण जी की सुंदरता अद्वितीय है। वे अपने सौंदर्य से सभी को मोहित कर लेते हैं। इसलिए, उन्हें "श्रीकांत" कहा जाता है।
- श्याम: जिनका रंग सांवला हो। श्री कृष्ण जी का रंग सांवला है। लेकिन उनका सांवला रंग भी बहुत सुंदर लगता है। इसलिए, उन्हें "श्याम" कहा जाता है।
- श्यामसुंदर: सांवले रंग में भी सुंदर दिखने वाले। श्री कृष्ण जी के सांवले रंग में भी एक अद्भुत सौंदर्य है। वे अपने सांवले रंग में भी बहुत सुंदर दिखते हैं। इसलिए, उन्हें "श्यामसुंदर" कहा जाता है।
- सुदर्शन: रूपवान। श्री कृष्ण जी का रूप बहुत सुंदर है। वे अपने रूप से सभी को मोहित कर लेते हैं। इसलिए, उन्हें "सुदर्शन" कहा जाता है।
- सुमेध: सर्वज्ञानी। श्री कृष्ण जी सर्वज्ञ हैं। वे सभी ज्ञान को जानते हैं। इसलिए, उन्हें "सुमेध" कहा जाता है।
- सुरेशम: सभी जीव- जंतुओं के देव। श्री कृष्ण जी सभी जीव- जंतुओं के देव हैं। वे सभी जीवों की रक्षा करते हैं। इसलिए, उन्हें "सुरेशम" कहा जाता है।
- स्वर्गपति: स्वर्ग के राजा। श्री कृष्ण जी स्वर्ग के राजा हैं। वे स्वर्ग में निवास करते हैं। इसलिए, उन्हें "स्वर्गपति" कहा जाता है।
- त्रिविक्रमा: तीनों लोकों के विजेता। श्री कृष्ण जी तीनों लोकों के विजेता हैं। वे स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल लोक के शासक हैं। इसलिए, उन्हें "त्रिविक्रमा" कहा जाता है।
- उपेंद्र: इन्द्र के भाई। श्री कृष्ण जी इन्द्र के भाई हैं। वे इन्द्र के समान ही शक्तिशाली और गुणवान हैं। इसलिए, उन्हें "उपेंद्र" कहा जाता है।
- वैकुंठनाथ: स्वर्ग के रहने वाले। श्री कृष्ण जी स्वर्ग में निवास करते हैं। इसलिए, उन्हें "वैकुंठनाथ" कहा जाता है।
- वर्धमानह: जिनका कोई आकार न हो। श्री कृष्ण जी अनादि और अनंत हैं। उनका कोई आकार नहीं है। इसलिए, उन्हें "वर्धमानह" कहा जाता है।
- वासुदेव: सभी जगह विद्यमान रहने वाले। श्री कृष्ण जी सभी जगह विद्यमान हैं। वे सभी प्राणियों के हृदय में निवास करते हैं। इसलिए, उन्हें "वासुदेव" कहा जाता है।
- विष्णु: भगवान विष्णु के स्वरूप। श्री कृष्ण जी विष्णु के अवतार हैं। इसलिए, उन्हें "विष्णु" कहा जाता है। विष्णु को सभी प्राणियों का पालनहार माना जाता है।
- विश्वदक्षिणह: निपुण और कुशल। श्री कृष्ण जी सभी प्रकार के कर्मों में निपुण और कुशल हैं। वे अपने कार्यों में पूरी तरह से निष्ठावान हैं। इसलिए, उन्हें "विश्वदक्षिणह" कहा जाता है।
- विश्वकर्मा: ब्रह्मांड के निर्माता। श्री कृष्ण जी ने ब्रह्मांड की रचना की है। वे सभी प्राणियों की रचना के लिए जिम्मेदार हैं। इसलिए, उन्हें "विश्वकर्मा" कहा जाता है।
- विश्वमूर्ति: पूरे ब्रह्मांड का रूप। श्री कृष्ण जी पूरे ब्रह्मांड का रूप हैं। वे सभी प्राणियों में मौजूद हैं। इसलिए, उन्हें "विश्वमूर्ति" कहा जाता है।
- विश्वरुपा: ब्रह्मांड- हित के लिए रूप धारण करने वाले। श्री कृष्ण जी ने कई रूप धारण किए हैं, जो ब्रह्मांड के हित के लिए हैं। उन्होंने राक्षसों का वध किया और सभी प्राणियों को कल्याण का मार्ग दिखाया। इसलिए, उन्हें "विश्वरुपा" कहा जाता है।
- विश्वात्मा: ब्रह्मांड की आत्मा। श्री कृष्ण जी ब्रह्मांड की आत्मा हैं। वे सभी प्राणियों में मौजूद हैं और उन्हें प्रेरित करते हैं। इसलिए, उन्हें "विश्वात्मा" कहा जाता है।
- वृषपर्व: धर्म के भगवान। श्री कृष्ण जी धर्म के भगवान हैं। वे धर्म की रक्षा करते हैं और सभी प्राणियों को धर्म का पालन करने के लिए प्रेरित करते हैं। इसलिए, उन्हें "वृषपर्व" कहा जाता है।
- यदवेंद्रा: यादव वंश के मुखिया। श्री कृष्ण जी यादव वंश के मुखिया हैं। वे यादव वंश की रक्षा करते हैं और उन्हें समृद्धि प्रदान करते हैं। इसलिए, उन्हें "यदवेंद्रा" कहा जाता है।
- योगि: प्रमुख गुरु। श्री कृष्ण जी योग के प्रमुख गुरु हैं। वे सभी लोगों को योग के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। इसलिए, उन्हें "योगि" कहा जाता है।
- योगिनाम्पति: योगियों के स्वामी। श्री कृष्ण जी योगियों के स्वामी हैं। वे सभी योगियों को आशीर्वाद देते हैं और उन्हें मोक्ष प्राप्ति का मार्ग दिखाते हैं। इसलिए, उन्हें "योगिनाम्पति" कहा जाता है।
श्री कृष्ण जी की नामावली Shri Krishna Namawali
- ऊँ श्री अनन्ताय नम: - हे अनन्त, अपार, अनंतकोटि ब्रह्मांडों के उत्तरवाले, तुमको नमस्कार।
- ऊँ श्री आत्मवते नम: - हे स्वयंप्रकाश, अपने आपसे प्रकाशित होने वाले, तुमको नमस्कार।
- ऊँ श्री अद्भुताय नम: - हे आश्चर्यमय, अद्वितीय, अद्भुत रूपधारी, तुमको नमस्कार।
- ऊँ श्री अव्यक्ताय नम: - हे अव्यक्त, अप्रकट, अनुभव-रहित, तुमको नमस्कार।
- ऊँ श्री अनिरुद्ध पितामहाय नम: - हे अनिरुद्ध, पितामहों के पिता, तुमको नमस्कार।
- ऊँ श्री आत्मज्ञान निधये नम: - हे आत्मज्ञान के सागर, ज्ञान के स्रोत, तुमको नमस्कार।
- ऊँ श्री आद्यपते नम: - हे सबका आदि प्रभु, जगत के उत्पत्तिकर्ता, तुमको नमस्कार।
- ऊँ श्री कालिन्दी पतये नम: - हे यमुना के पति, तुमको नमस्कार।
- ऊँ श्री कंसारये नम: - हे कंस के सबसे बड़े प्रहारी, तुमको नमस्कार।
- ऊँ श्री कुब्जावकृत्य निमेवित्रे नम: - हे कुब्जा के रूप बदलने वाले, उसे निमेश में उत्कृष्ट करने वाले, तुमको नमस्कार।
- ऊँ श्री कालिय मर्दनाय नम: - हे कालिय नाग को मरदने वाले, तुमको नमस्कार।
- ऊँ श्री कृष्णाय नम: - हे भगवान श्रीकृष्ण, तुमको नमस्कार।
- ऊँ श्री क्रियामूर्तये नम: - हे समस्त क्रियाओं के रूप, तुमको नमस्कार।
- ऊँ श्री कालरूपाय नम: - हे कालरूप, जो समय के रूप में प्रकट होते हैं, तुमको नमस्कार।
- ऊँ श्री किरीटिने नम: - हे जिनके सिर पर किरीट है, तुमको नमस्कार।
- ऊँ श्री गोपालाय नम: - हे गोपाल, गौवत्स के पालन करने वाले, तुमको नमस्कार।
- ऊँ श्री गोप गोपी मुद्रावहाय नम: - हे गोप और गोपियों की प्रेम भावनाओं को धारण करने वाले, तुमको नमस्कार।
- ऊँ श्री गोपी गीत गुणोदयाय नम: - हे गोपियों द्वारा गाए गए गीतों के गुणों के उदय के रूप, तुमको नमस्कार।
- ऊँ श्री श्यामाय नम: - हे श्याम, तुमको नमस्कार।
- ऊँ श्री गोपी सौभाग्य सम्भवाय नम: - हे गोपियों के शौभाग्य को उत्तपन्न करने वाले, तुमको नमस्कार।
Author - Saroj Jangir
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