अविपत्तिकर चूर्ण घर पर बनाने का तरीका How to make Avipattikar Churna at home Hindi
अविपत्तिकर चूर्ण एक आयुर्वेदिक औषधि है जो चूर्ण (पाउडर) रूप में काम में ली जाती है। यह चूर्ण अम्लपित्त, अम्लपित्त से उत्पन्न उदर शूल,अग्निमांद्य, वातनाड़ियों में शूल, अर्श, प्रमेह, मूत्राघात और मूत्राश्मरी आदि विकारों में लाभकारी होता है। अविपत्तिकर चूर्ण एक आयुर्वेदिक दवा है जो पाचन और उत्सर्जन प्रणाली के सामान्य कामकाज को प्रभावित करने वाली स्थितियों के इलाज के लिए उपयोग की जाती है। यह चूर्ण पेट में एसिड के उत्पादन को नियंत्रित करता है, जिससे पेट में जलन और खट्टी डकार की समस्या कम होती है। यह चूर्ण पाचन एंजाइमों के उत्पादन को भी बढ़ाता है, जो भोजन को तोड़ने और पचाने में मदद करते हैं। यह कब्ज को रोकने और स्वस्थ पाचन को बढ़ावा देने में मदद करता है।
अविपत्तिकर चूर्ण को घर पर बनाने का तरीका How to make Avipattikar Churna at home
अविपत्तिकर चूर्ण बनाने के लिए आपको निम्न सामग्री की आवश्यकता होगी, यह सामग्री आपको पंसारी की दूकान से प्राप्त हो जायेगी.
- सोंठ (Ginger) – 10 grams
- पीपल (Long Pepper) – 10 grams
- काली मिर्च (Black Pepper) – 10 grams
- हरड़ (Haritaki), बहेड़ा (Bibhitaki), आंवला (Amalaki) – 10 grams each (Triphala)
- नागर मोथा (Cyperus Rotundus) – 10 grams
- बायविडंग (Vidanga) – 10 grams
- छोटी इलायची के दाने (Green Cardamom Seeds) – 10 grams
- तेजपात (Cinnamon) – 10 grams
- लौंग (Clove) – 100 grams
- निशोथ की जड़ (Operculina Turpethum) – 400 grams
- मिश्री (Crystallized Sugar) – 600 grams
अविपत्तिकर चूर्ण बनाने की विधि
- सब द्रव्यों को ध्यानपूर्वक साफ़ करें।
- इन सभी टुकड़ों को धूप में सुखा लें ताकि इनकी नमी निकल जाए।
- अब यह सभी सुखे द्रव्य कूट पीस कर पाउडर बना लें, आप चाहे तो मिक्सी में इनका महीन पाउडर बना लें.
- यदि आपने हमामदस्ते में इनको कूटकर पाउडर बनाया है तो आप इसे महीन सूती कपडे से कपडछान कर लें.
- अब आपका अविपत्तिकर चूर्ण तैयार है। आप इसे सुखी और हवादार स्थान पर रखें.
इन रोगों को दूर करती है यह चूर्ण This powder cures these diseases
अविपत्तिकर चूर्ण कई पाचन संबंधी समस्याओं के इलाज में प्रभावी है। इसमें शामिल जड़ी-बूटियों में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल, और एंटी-वायरल गुण होते हैं। ये गुण आंतों के संक्रमण, आंतों की सूजन, और आंत के अल्सर जैसी समस्याओं को दूर करने में मदद करते हैं।
अविपत्तिकर चूर्ण पेट में एसिड के उत्पादन को भी नियंत्रित करता है, जिससे पेट में जलन और खट्टी डकार की समस्या कम होती है। यह चूर्ण पाचन एंजाइमों के उत्पादन को भी बढ़ाता है, जो भोजन को तोड़ने और पचाने में मदद करते हैं। यह कब्ज को रोकने और स्वस्थ पाचन को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।
यह चूर्ण निम्नलिखित समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकता है, जो आंतों से संबंधित हैं:
अविपत्तिकर चूर्ण की खुराक आपकी समस्या की गंभीरता और आपकी उम्र के आधार पर निर्धारित की जाती है। आमतौर पर, एक चम्मच चूर्ण को एक गिलास पानी या दूध में मिलाकर दिन में दो बार लिया जाता है।
अविपत्तिकर चूर्ण पेट में एसिड के उत्पादन को भी नियंत्रित करता है, जिससे पेट में जलन और खट्टी डकार की समस्या कम होती है। यह चूर्ण पाचन एंजाइमों के उत्पादन को भी बढ़ाता है, जो भोजन को तोड़ने और पचाने में मदद करते हैं। यह कब्ज को रोकने और स्वस्थ पाचन को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।
यह चूर्ण निम्नलिखित समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकता है, जो आंतों से संबंधित हैं:
- आंत के अल्सर (Intestinal ulcers)
- सीने की जलन (Heartburn)
- पेट में एसिड बनने की समस्या (Stomach acidity)
- पेट फूलना (Abdominal bloating)
- मितली आने की समस्या (Nausea)
- भूख ना लगना (Loss of appetite)
- मल त्याग ठीक से ना होना (Irregular bowel movements)
- गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिजीज इत्यादि (Gastrointestinal disorders, and more).
अविपत्तिकर चूर्ण खाने की विधि method of eating avipattikar churna
अविपत्तिकर चूर्ण को खाना खाने के बाद हल्के गुनगुने पानी के साथ सेवन किया जाता है। हालांकि, इसे लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करना उचित है। आपकी समस्या के आधार पर, आपको खाने में कुछ चीजों का सेवन कम करना या बंद करना पड़ सकता है। उदाहरण के लिए, यदि आपको पेट में जलन की समस्या है, तो आपको मसालेदार या तैलीय भोजन से बचना चाहिए। यदि आपको कब्ज की समस्या है, तो आपको फाइबर से भरपूर भोजन करना चाहिए।
अविपत्तिकर चूर्ण की खुराक आपकी समस्या की गंभीरता और आपकी उम्र के आधार पर निर्धारित की जाती है। आमतौर पर, एक चम्मच चूर्ण को एक गिलास पानी या दूध में मिलाकर दिन में दो बार लिया जाता है।
अविपत्तिकर चूर्ण के फायदे (Avipattikar Churna Benefits)
अविपत्तिकर चूर्ण एक आयुर्वेदिक दवा है जो पाचन और उत्सर्जन प्रणाली के सामान्य कामकाज को प्रभावित करने वाली स्थितियों के इलाज के लिए उपयोग की जाती है। यह चूर्ण पेट में एसिड के उत्पादन को नियंत्रित करता है, जिससे पेट में जलन और खट्टी डकार की समस्या कम होती है। यह चूर्ण पाचन एंजाइमों के उत्पादन को भी बढ़ाता है, जो भोजन को तोड़ने और पचाने में मदद करते हैं। यह कब्ज को रोकने और स्वस्थ पाचन को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।
एसिडिटी दूर करे remove acidity
अविपत्तिकर चूर्ण एसिडिटी को दूर करने में मदद कर सकता है। इसमें शामिल जड़ी-बूटियों में एंटासिड गुण होते हैं, जो पेट में एसिड के स्तर को कम करने में मदद करते हैं। यह खट्टी डकारें, सीने में जलन, और पेट फूलने जैसी समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। अविपत्तिकर चूर्ण को लेने के लिए, एक चम्मच चूर्ण को एक गिलास पानी या दूध में मिलाकर दिन में दो बार लें। इसे लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करना उचित है।
कब्ज की समस्या दूर करे अविपत्तिकर चूर्ण Avipattikar Churna removes the problem of constipation
अविपत्तिकर चूर्ण कब्ज की समस्या को दूर करने में मदद कर सकता है। इसमें शामिल जड़ी-बूटियों में फाइबर, रेचक, और पाचन एंजाइम होते हैं, जो मल त्याग को आसान बनाने में मदद करते हैं। अविपत्तिकर चूर्ण को लेने के लिए, एक चम्मच चूर्ण को एक गिलास पानी या दूध में मिलाकर दिन में दो बार लें। इसे लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करना उचित है।
टॉक्सिंस बाहर निकाले flush out toxins
अविपत्तिकर चूर्ण शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद कर सकता है। इसमें शामिल जड़ी-बूटियों में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, और डिटॉक्सिफाइंग गुण होते हैं। ये गुण शरीर में विषाक्त पदार्थों को बनने से रोकते हैं और शरीर से बाहर निकालने में मदद करते हैं।
भूख बढ़ाए increase appetite
अविपत्तिकर चूर्ण भूख बढ़ाने में मदद कर सकता है। इसमें शामिल जड़ी-बूटियों में पाचन एंजाइम और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। ये गुण पाचन क्रिया को बेहतर बनाने और सूजन को कम करने में मदद करते हैं। इससे भूख बढ़ सकती है।
आयुर्वेदिक उपाय हैं एसिडिटी में कारगर Ayurvedic remedies are effective in acidity
अविपत्तिकर चूर्ण एक आयुर्वेदिक दवा है जो अम्लपित्त के इलाज में मदद कर सकती है। यह चूर्ण आंवला, हरड़, पिप्पली, त्रिफला, अदरक, तेज पत्ता, त्रिकटु, और अन्य जड़ी-बूटियों से बना है। इन जड़ी-बूटियों में पाचन एंजाइम, एंटी-इंफ्लेमेटरी, और डिटॉक्सिफाइंग गुण होते हैं। ये गुण पाचन क्रिया को बेहतर बनाने, सूजन को कम करने, और शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करते हैं।
अविपत्तिकर चूर्ण पाचन स्वास्थ्य में सुधार करने, क्रॉनिक गैस्ट्राइटिस को कम करने, गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स बीमारी को रोकने, पेशाब को पास करने में कठिनाई की समस्या में मदद करने, गुर्दे की पथरी को निकालने, और नेफ्राइटिस और नेफ्रोटिक सिंड्रोम के इलाज के लिए प्रभावी है। यह चूर्ण आंवला, हरड़, पिप्पली, त्रिफला, अदरक, तेज पत्ता, त्रिकटु, और अन्य जड़ी-बूटियों से बना है। इन जड़ी-बूटियों में पाचन एंजाइम, एंटी-इंफ्लेमेटरी, और डिटॉक्सिफाइंग गुण होते हैं। ये गुण पाचन क्रिया को बेहतर बनाने, सूजन को कम करने, और शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करते हैं।
अविपत्तिकर चूर्ण के अन्य लाभ
- पाचन स्वास्थ्य में सुधार: अविपत्तिकर चूर्ण पाचन एंजाइम के उत्पादन को बढ़ाता है, जो भोजन को तोड़ने और पचाने में मदद करते हैं। यह कब्ज को रोकने और स्वस्थ पाचन को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।
- क्रॉनिक गैस्ट्राइटिस को कम करता है: अविपत्तिकर चूर्ण पेट की परत की सूजन को कम करने में मदद करता है। यह क्रॉनिक गैस्ट्राइटिस के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है, जैसे कि पेट में जलन, खट्टी डकारें, और पेट में दर्द।
- गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स बीमारी को रोकता है: अविपत्तिकर चूर्ण पेट में एसिड के उत्पादन को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स बीमारी (जीईआरडी) के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है, जैसे कि सीने में जलन और खट्टी डकारें।
- पेशाब को पास करने में कठिनाई की समस्या में मदद करता है: अविपत्तिकर चूर्ण पेशाब की मात्रा को बढ़ाने में मदद करता है। यह पेशाब को पास करने में कठिनाई की समस्या में मदद कर सकता है, जिसे डिसुरिया कहा जाता है।
- गुर्दे की पथरी को निकालता है: अविपत्तिकर चूर्ण गुर्दे की पथरी को तोड़ने और निकालने में मदद करता है। यह गुर्दे की पथरी के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है, जैसे कि दर्द, सूजन, और रक्त।
- नेफ्राइटिस और नेफ्रोटिक सिंड्रोम के इलाज के लिए प्रभावी है: अविपत्तिकर चूर्ण गुर्दे की सूजन और सूजन को कम करने में मदद करता है। यह नेफ्राइटिस और नेफ्रोटिक सिंड्रोम के इलाज के लिए प्रभावी है।
पाचन तंत्र को दुरुस्त करने के उपाय ways to improve digestion
संतुलित आहार लें
यह सुनिश्चित करने के लिए कि आपको सभी आवश्यक पोषक तत्व मिल रहे हैं, एक संतुलित आहार खाएं। इसमें फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थ, जैसे कि सब्जियां, फल, और साबुत अनाज शामिल होने चाहिए। प्रोटीन और स्वस्थ वसा भी महत्वपूर्ण हैं।पाचन तंत्र को मजबूत बनाने के लिए संतुलित आहार लेना बहुत जरूरी है। संतुलित आहार में सभी आवश्यक पोषक तत्व शामिल होते हैं, जो पाचन क्रिया के लिए आवश्यक हैं। इन पोषक तत्वों में प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, और खनिज शामिल हैं। प्रोटीन पाचन क्रिया के लिए आवश्यक है क्योंकि यह पाचक एंजाइमों का उत्पादन करने में मदद करता है। वसा भी पाचन क्रिया के लिए आवश्यक है क्योंकि यह भोजन को अवशोषित करने में मदद करता है। कार्बोहाइड्रेट शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं, जो पाचन क्रिया को चलाने के लिए आवश्यक है। विटामिन और खनिज शरीर के विभिन्न कार्यों के लिए आवश्यक होते हैं, जिनमें पाचन क्रिया भी शामिल है। संतुलित आहार के लिए, आपको अपने आहार में विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ शामिल करने चाहिए। इनमें शामिल हैं:
- फल और सब्जियां: फल और सब्जियां फाइबर का एक अच्छा स्रोत हैं, जो पाचन क्रिया को बेहतर बनाने में मदद करता है। वे विटामिन और खनिजों का भी एक अच्छा स्रोत हैं।
- साबुत अनाज: साबुत अनाज फाइबर का एक अच्छा स्रोत हैं, जो पाचन क्रिया को बेहतर बनाने में मदद करता है। वे विटामिन और खनिजों का भी एक अच्छा स्रोत हैं।
- स्वस्थ वसा: स्वस्थ वसा, जैसे कि जैतून का तेल, पाचन क्रिया को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।
- प्रोटीन: प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत, जैसे कि मांस, मछली, अंडे, और डेयरी उत्पाद।
- फाइबर लें : फल और सब्जियों में फाइबर, विटामिन, और खनिज भरपूर होते हैं। फाइबर पाचन क्रिया को बेहतर बनाने में मदद करता है, और विटामिन और खनिज पाचन तंत्र के लिए स्वस्थ हैं।साबुत अनाज में फाइबर, विटामिन, और खनिज भी भरपूर होते हैं। फाइबर पाचन क्रिया को बेहतर बनाने में मदद करता है, और विटामिन और खनिज पाचन तंत्र के लिए स्वस्थ हैं। स्वस्थ वसा, जैसे कि जैतून का तेल, पाचन क्रिया को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।
पर्याप्त पानी पिएं
पानी पिने से पाचन क्रिया में सुधार होता है और विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने में मदद मिलती है। दिन भर में कम से कम आठ गिलास पानी पीने का लक्ष्य रखना चाहिए। पानी भोजन को पचाने और अवशोषित करने में मदद करता है। यह भोजन को मल के माध्यम से गुजरने में भी मदद करता है, जिससे कब्ज को रोकने में मदद मिलती है।
पानी विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने में भी मदद करता है। ये विषाक्त पदार्थ पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचा सकते हैं। पानी पिने के कई और भी लाभ हैं, जैसे कि शरीर को हाइड्रेटेड रखना, चयापचय को बढ़ावा देना, और त्वचा को स्वस्थ रखना।
पर्याप्त पानी पीने के लिए, आपको दिन भर में पानी पीने की आदत डालनी चाहिए। आप पानी के बजाय अन्य तरल पदार्थों का उपयोग कर सकते हैं, जैसे कि जूस, सूप, और चाय। यदि आपको पानी पीने में परेशानी हो रही है, तो आप अपने पानी में कुछ मिला लें जैसे कि नींबू, संतरे, या अदरक।
नियमित रूप से व्यायाम करें
नियमित रूप से व्यायाम करने से पाचन क्रिया में सुधार होता है और तनाव कम होता है। सप्ताह में कम से कम 150 मिनट मध्यम-तीव्रता वाले एरोबिक व्यायाम या 75 मिनट उच्च-तीव्रता वाले एरोबिक व्यायाम करने का लक्ष्य रखना चाहिए। व्यायाम करने से पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है। यह पाचन एंजाइमों के उत्पादन को बढ़ावा देता है, जो भोजन को तोड़ने और पचाने में मदद करते हैं। व्यायाम करने से भोजन को मल के माध्यम से गुजरने में भी मदद मिलती है, जिससे कब्ज को रोकने में मदद मिलती है।
व्यायाम करने से तनाव कम होता है, जो पाचन क्रिया को भी प्रभावित कर सकता है। तनाव से जठराग्नि कम हो सकती है, जिससे पाचन क्रिया में समस्या हो सकती है। व्यायाम के कई और भी लाभ हैं, जैसे कि वजन कम करना, हृदय स्वास्थ्य में सुधार करना, और मूड में सुधार करना। नियमित रूप से व्यायाम करने के लिए, आपको एक ऐसी गतिविधि खोजने की ज़रूरत है जिसका आप आनंद लें और जिसे आप लगातार कर सकते हैं। आप दौड़ना, तैरना, साइकिल चलाना, या नृत्य जैसे किसी भी प्रकार के एरोबिक व्यायाम का चयन कर सकते हैं।
तनाव से बचें
तनाव से जठराग्नि कम हो सकती है, जिससे पाचन क्रिया में समस्या हो सकती है। योग या ध्यान जैसे तनाव-कम करने की तकनीकों का अभ्यास करना तनाव को कम करने और पाचन क्रिया को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। तनाव से जठराग्नि कम हो सकती है, जो भोजन को पचाने के लिए आवश्यक है। यह पाचन एंजाइमों के उत्पादन को भी कम कर सकता है, जो भोजन को तोड़ने और पचाने में मदद करते हैं। तनाव से कब्ज और अन्य पाचन समस्याएं भी हो सकती हैं। योग और ध्यान तनाव को कम करने में मदद कर सकते हैं। योग शरीर और दिमाग को शांत करने के लिए विभिन्न आसन और श्वास तकनीकों का उपयोग करता है। ध्यान ध्यान केंद्रित करने और चिंताओं से दूर होने के लिए एक अभ्यास है।
धूम्रपान और शराब से बचें
धूम्रपान से पेट में जलन हो सकती है, जिससे अपच और अन्य पाचन समस्याएं हो सकती हैं। धूम्रपान से पाचन एंजाइमों के उत्पादन को भी कम किया जा सकता है, जो भोजन को तोड़ने और पचाने में मदद करते हैं।
शराब से पेट में जलन, अपच, और कब्ज हो सकती है। शराब से पाचन एंजाइमों के उत्पादन को भी कम किया जा सकता है, और यह पेट की दीवारों को नुकसान पहुंचा सकती है। यदि आप धूम्रपान और शराब से बचते हैं, तो आप अपने पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं और पाचन समस्याओं को रोक सकते हैं।
खाना जल्दी-जल्दी न खाएं
जब आप अपने भोजन को अच्छी तरह चबाते हैं, तो आप अपने पाचन एंजाइमों को भोजन के साथ मिलाते हैं। इससे भोजन को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ने में मदद मिलती है, जिससे इसे पचाना आसान हो जाता है। जब आप जल्दी-जल्दी खाते हैं, तो आप अपने पाचन एंजाइमों को भोजन के साथ मिलाने का समय नहीं देते हैं। इससे भोजन को पचाने में मुश्किल हो सकती है, जिससे अपच, कब्ज, और अन्य पाचन समस्याएं हो सकती हैं।
ज्यादा खाएं नहीं
जब आप एक बार में बहुत अधिक खाते हैं, तो आपके पाचन तंत्र को भोजन को पचाने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है। इससे अपच, कब्ज, और अन्य पाचन समस्याएं हो सकती हैं।
यदि आप एक बार में बहुत अधिक खा रहे हैं, तो आप अपने भोजन के आकार को नियंत्रित करने के तरीके को बदलने की कोशिश कर सकते हैं। आप अपने भोजन को छोटे-छोटे हिस्सों में काट सकते हैं, या आप अपने भोजन के बीच में पानी या अन्य तरल पदार्थ पी सकते हैं। आप अपने भोजन के साथ बातचीत करने या अन्य गतिविधियों में शामिल होने से भी बच सकते हैं, जो आपको अधिक खाने के लिए प्रेरित कर सकती हैं।
मसालेदार, तैलीय, और तले हुए खाद्य पदार्थों से बचें
मसालेदार, तैलीय, और तले हुए खाद्य पदार्थों से बचना आपके पाचन स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। ये खाद्य पदार्थ पाचन तंत्र को परेशान कर सकते हैं और अपच, कब्ज, और अन्य पाचन समस्याओं का कारण बन सकते हैं।
मसालेदार खाद्य पदार्थ आपके पाचन तंत्र को उत्तेजित कर सकते हैं और जलन का कारण बन सकते हैं। तैलीय खाद्य पदार्थ आपके पाचन तंत्र में अवरोध पैदा कर सकते हैं और कब्ज का कारण बन सकते हैं। तले हुए खाद्य पदार्थ पचने में मुश्किल होते हैं और पेट में जलन का कारण बन सकते हैं।
फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थ खाएं
हाँ, फाइबर पाचन क्रिया को बेहतर बनाने में मदद करता है। फाइबर एक प्रकार का कार्बोहाइड्रेट है जो पचता नहीं है। यह मल को नरम करने में मदद करता है और कब्ज को रोकता है। फाइबर पाचन एंजाइमों को भी उत्तेजित करता है, जो भोजन को तोड़ने और पचाने में मदद करते हैं।
प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थ खाएं
प्रोटीन पाचन क्रिया के लिए आवश्यक है। प्रोटीन से बने एंजाइम भोजन को तोड़ने और पचाने में मदद करते हैं। प्रोटीन ऊतकों की मरम्मत और निर्माण में भी मदद करता है, जो पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थों में शामिल हैं:
- मांस: चिकन, मछली, बीफ, और भेड़ का बच्चा
- मछली: टूना, सैल्मन, और हेरिंग
- अंडे: पूरे अंडे, सफेद अंडे, और अंडे की जर्दी
- डेयरी उत्पाद: दूध, दही, और पनीर
- बीन्स और फलियां: छोले, राजमा, और बीन्स
- नट्स और बीज: बादाम, अखरोट, और बीज
प्रोटीन से भरपूर आहार खाने से आप अपने पाचन स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं और पाचन संबंधी समस्याओं के जोखिम को कम कर सकते हैं।
स्वस्थ वसा से भरपूर खाद्य पदार्थ खाएं
स्वस्थ वसा पाचन क्रिया को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं। स्वस्थ वसा पाचन एंजाइमों के उत्पादन को बढ़ावा दे सकते हैं, जो भोजन को तोड़ने और पचाने में मदद करते हैं। स्वस्थ वसा पेट के अल्सर से रक्षा करने में भी मदद कर सकते हैं, जो पाचन को स्वस्थ रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
अपने भोजन को अच्छी तरह चबाएं
अपने भोजन को अच्छी तरह चबाने से भोजन को पचाने में आसानी होगी। जब हम भोजन को चबाते हैं, तो हम इसे छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ देते हैं। इससे हमारे पाचन एंजाइमों को भोजन को तोड़ने और पचाने में आसानी होती है। अच्छी तरह से चबाने से हम भोजन को बेहतर तरीके से ग्रहण कर पाते हैं और इससे हमें अधिक संतृप्त महसूस होता है। यह हमें अधिक खाने से भी रोक सकता है, जो वजन बढ़ने से बचा सकता है।
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नियमित अंतराल पर भोजन करें
दिन में कम से कम तीन बार और दो बार स्नैक्स खाएं। इससे आपका पाचन तंत्र लगातार काम करेगा और भोजन को पचाने में आसानी होगी।
इन सुझावों का पालन करने से आप अपने पाचन क्रिया को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं और पाचन संबंधी समस्याओं को दूर कर सकते हैं।
The author of this blog, Saroj Jangir (Admin),
is a distinguished expert in the field of Ayurvedic Granths. She has a
diploma in Naturopathy and Yogic Sciences. This blog post, penned by me,
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Samhita, Bhav Prakash Nighantu, and Ras Tantra Sar Samhita. Drawing from
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