लेहंगा भी पहना, ओढ़ी सर पे तो साड़ी रे, अंगिया में लागी वाके, जरी की किनारी रे, शीश पे शीशफूल पहना, लगाए लियो काजर दोउ नैना, पहन लियो नख शिख सो गहना, नख शिख सो गहना पहनकर, सर सोलह श्रृंगार, बलिहारी नन्द नन्द के, बन गए नर से नार, बन गए नर से नार, के झोली कंधे पे धारी, धरी कन्धा झोली गठरी रे, गैल बरसाने की पकड़ी रे,
महल वृषभानु चले आए, नहीं पहचान कोई पाए, महल श्री वृषभानु के, दी आवाज़ लगाए, नन्द गाँव लिलिहार मैं, कोई लीला लेयो गुदाय, लीला लेयो गुदाय, अरी मैं हूँ गोदनहारी।
राधिका सुन लिलिहारिन बैन, लगी ललिता से ऐसे कहन, बुलाओ लिलिहारिन को जाए, मैं वाते लीला लेउँ गुदाय, विशाखा लाइ तुरत बुलाए, लिलिहारिन को रूप लखि, श्री वृषभानु कुमार, हसी हसी के कहने लगी, और लई पास बैठाए, लीला मो तन गोद, सुघड़ कैसी गोदनहारी।
Krishna Bhajan Lyrics Hindi
शीश पे लिख दे, मेरे श्री गिरधारी जी, मस्तक पे लिखदे, मेरे मदन मुरारी जी, दृगन पै लिख दे दीनदयाल, नासिका पै लिख दे नन्दलाल, कपोलन पै लिखो कृष्ण गोपाल, श्रवनन पै लिख सांवरो, अधरन आनंदकंद, ठोड़ी पै ठाकुर लिखो, मेरे गल में गोकुलचन्द, छाती पै लिखो छैल, दोउ बाँहन पै बनवारी।
हाथन पै लिखदे मेरे, हलधर को भैया जी, उंगरिन पे लिख दे, मेरे आनंद करैया जी, पेट पै लिख दो परमानन्द, नाभि पै लिख दो श्री नन्दनन्द, घुटुअन में घनश्याम लिखो,
मेरी पिंडरिन में प्रतिपाल, चरनन में चितचोर लिखो, और नख पे नन्द को लाल, रोम रोम में लिखो, रमापति राधे बनवारी।
लीला गोद प्रेम रास छायो जी, तन मन को सब होश गवायो जी, खबर झोली डंडा की नाए, धरण पे चरण नहीं ठहराए, सखी सब देखत ही रह जाए, सखी देखत सब रह गयी, प्रेम के इस फंद को, बिसे बिस कोई और नहीं ये, छलिया है ढोटा नन्द को, अंगिया में बंसी छिप रही, श्री राधे लइ निहार के, प्यारी से प्यारो मिले, मिल भेटें भुजा पसार के, घासीराम जुगल जोड़ी, पे जाऊं बलिहारी।
अति सुन्दर लीला | बन गए नन्दलाल लिलिहार | Nikunj Kamra Bhajan | Lyrical Video | Bhav Pravah
कृष्णा ने एक बार मनिहारी का वेश बनाया और राधा के यहाँ चूड़ी बेचने गए। उन्होंने राधा को बहुत सुंदर चूड़ियाँ दिखाईं, और राधा उन्हें बहुत पसंद आईं। कृष्णा ने राधा को चूड़ियाँ बेच दीं, और राधा बहुत खुश हुईं। इस घटना के बाद, कृष्णा और राधा के बीच प्रेम और आकर्षण और भी बढ़ गया। वे अक्सर एक-दूसरे के साथ खेलते-कूदते और मस्ती करते थे। कृष्णा राधा के लिए हमेशा कुछ न कुछ नया करते थे, और राधा हमेशा कृष्णा के साथ रहना चाहती थीं। यह कृष्ण लीला हिंदू धर्म में बहुत लोकप्रिय है। यह प्यार, आकर्षण और मस्ती का एक प्रतीक है। यह हमें यह भी सिखाता है कि प्यार करने के लिए हमें हमेशा कुछ न कुछ नया करने की कोशिश करनी चाहिए।