मन का मैल मिटाले बंदे वरना फिर पछतायेगा लिरिक्स Man Ka Mail Mitale Lyrics
मन का मैल मिटाले बंदे वरना फिर पछतायेगा लिरिक्स Man Ka Mail Mitale Lyrics
मन का मैल मिटाले बंदे,वरना फिर पछतायेगा,
राम नाम का सुमिरन करले,
जन्म सफल हो जाएगा,
मन का मैल मिटाले बंदे,
वरना फिर पछतायेगा।
मंजिल तेरी वही ठिकाना,
फिर क्यों उसको जाने न,
तेरा और न कोई बंदे,
फिर तू क्यों ये माने न,
माटी का पुतला है तू,
माटी में मिल जाएगा,
राम नाम का सुमिरन करले,
जन्म सफल हो जाएगा,
मन का मैल मिटाले बंदे,
वरना फिर पछतायेगा।
दिल में तेरे अंधकार छिपा है,
अब तू इस में ज्योति जगाले,
राम राम के दीपक से,
मनका तू अंधिकार मिटाले,
खाली हाथ आया है तू,
खाली हाथ ही जाएगा,
राम नाम का सुमिरन करले,
जन्म सफल हो जाएगा,
मन का मैल मिटाले बंदे,
वरना फिर पछतायेगा।
चार दिनों का जीवन तेरा,
फिर वापिस ही जाना है,
करना है जो करले बंदे,
वरना तू पछतायेगा,
अभी उगा है सूरज तेरा,
कल को वो ढल जाएगा,
राम नाम का सुमिरन करले,
जन्म सफल हो जाएगा,
मन का मैल मिटाले बंदे,
वरना फिर पछतायेगा।
मन का मैल मिटा ले बंदे वरना फिर पश्तायेगा,राम नाम का सुमिरन कर ले जन्म सफल हो जाएगा#With Lyrics
मन का मेल, काम क्रोध विकार भक्ति में बाधक हैं। भक्ति एक ऐसी साधना है, जिसमें मन को एकत्रित करके ईश्वर में लीन होना होता है। लेकिन जब मन में काम, क्रोध, लोभ, मोह आदि विकार होते हैं, तो वे मन को भटकाते हैं और भक्ति में बाधा उत्पन्न करते हैं।
काम विकार का अर्थ है, सांसारिक भोगों की इच्छा। जब मन में काम विकार होता है, तो व्यक्ति सांसारिक भोगों के पीछे भागता है और ईश्वर की ओर ध्यान नहीं दे पाता है।
क्रोध विकार का अर्थ है, किसी के प्रति द्वेष या घृणा की भावना। जब मन में क्रोध विकार होता है, तो व्यक्ति दूसरों के प्रति क्रोध महसूस करता है और उनसे विवाद करता है। इससे भी भक्ति में बाधा उत्पन्न होती है।
लोभ विकार का अर्थ है, किसी चीज की अधिकता की इच्छा। जब मन में लोभ विकार होता है, तो व्यक्ति किसी चीज को अधिक प्राप्त करने की इच्छा रखता है। इससे भी भक्ति में बाधा उत्पन्न होती है।
मोह विकार का अर्थ है, किसी चीज से आसक्ति या लगाव। जब मन में मोह विकार होता है, तो व्यक्ति किसी चीज से बहुत अधिक लगाव रखता है और उसे छोड़ने के लिए तैयार नहीं होता है। इससे भी भक्ति में बाधा उत्पन्न होती है।
भक्ति में सफल होने के लिए इन विकारों को दूर करना आवश्यक है। इसके लिए, व्यक्ति को अपने मन को नियंत्रित करने के लिए प्रयास करना चाहिए। उसे सद्विचारों का चिंतन करना चाहिए और ईश्वर की भक्ति में ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
काम विकार का अर्थ है, सांसारिक भोगों की इच्छा। जब मन में काम विकार होता है, तो व्यक्ति सांसारिक भोगों के पीछे भागता है और ईश्वर की ओर ध्यान नहीं दे पाता है।
क्रोध विकार का अर्थ है, किसी के प्रति द्वेष या घृणा की भावना। जब मन में क्रोध विकार होता है, तो व्यक्ति दूसरों के प्रति क्रोध महसूस करता है और उनसे विवाद करता है। इससे भी भक्ति में बाधा उत्पन्न होती है।
लोभ विकार का अर्थ है, किसी चीज की अधिकता की इच्छा। जब मन में लोभ विकार होता है, तो व्यक्ति किसी चीज को अधिक प्राप्त करने की इच्छा रखता है। इससे भी भक्ति में बाधा उत्पन्न होती है।
मोह विकार का अर्थ है, किसी चीज से आसक्ति या लगाव। जब मन में मोह विकार होता है, तो व्यक्ति किसी चीज से बहुत अधिक लगाव रखता है और उसे छोड़ने के लिए तैयार नहीं होता है। इससे भी भक्ति में बाधा उत्पन्न होती है।
भक्ति में सफल होने के लिए इन विकारों को दूर करना आवश्यक है। इसके लिए, व्यक्ति को अपने मन को नियंत्रित करने के लिए प्रयास करना चाहिए। उसे सद्विचारों का चिंतन करना चाहिए और ईश्वर की भक्ति में ध्यान केंद्रित करना चाहिए।