शीश के दानी थारा कीर्तन करावां

शीश के दानी थारा कीर्तन करावां

शीश के दानी थारा कीर्तन करावां,
शीश के दानी थारा कीर्तन करावां,
कीर्तन करावां थाने आज बुलावां,
शीश के दानी थारा कीर्तन करावां।

सच्ची श्रद्धा से बाबा थाने बुलावां,
हीरा मोत्या सु बाबा सिंहासन सजावां,
आप पधारो बाबा सिंहासन बिराजो,
शीश के दानी थारा कीर्तन करावां।

केसरिया रंग का थाने बागां पहनावां,
फूल चढ़ावां थाने इत्तर लगावां,
केसर चन्दन का बाबा तिलक लगावां,
शीश के दानी थारा कीर्तन करावां।

थाल सजावां छप्पन भोग लगावां,
देसी घी का बाबा दीपक जलावां,
आरती उतारां बाबा ध्यान लगावां,
शीश के दानी थारा कीर्तन करावां।

ग्यारस का कीर्तन बाबा रात जगावां,
सुख दुःख की बातां बाबा थाने बतावां,
भजना सु थाने बाबा आज रिझावाँ,
शीश के दानी थारा कीर्तन करावां।
 

निमंत्रण | Nimantran | घर में कीर्तन पर बाबा खाटू श्याम को प्यार भरा निमंत्रण | by Surendra Jangid

महाभारत के युद्ध में, बर्बरीक ने युद्ध में भाग लेने के लिए श्री कृष्ण से अनुमति मांगी। श्री कृष्ण ने उन्हें युद्ध में भाग लेने से मना कर दिया, क्योंकि वे एकमात्र योद्धा थे जो सभी पांडवों और कौरवों को एक ही बार में मार सकते थे। बर्बरीक ने श्री कृष्ण के सामने शीश का दान करने की पेशकश की। श्री कृष्ण ने उनकी पेशकश स्वीकार कर ली और बर्बरीक के शीश को युद्धभूमि में एक ऊंचे स्थान पर रख दिया। बर्बरीक के शीश ने युद्ध का पूरा जायजा लिया और पांडवों को जीत दिलाने में मदद की।
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