जब मैं था तब हरि नहीं अब हरि हैं मैं नाँहिं मीनिंग Jab Main Tha Tab Hari Nahi Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahti
जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाँहिं।
सब अँधियारा मिटि गया, जब दीपक देख्या माँहि॥
सब अँधियारा मिटि गया, जब दीपक देख्या माँहि॥
Jab Main Tha Tab hari Nahi, Aub Hari Hai Main Nahi,
Sab Andhiyara Miti Gaya, Jab Deepak Dekhya Mahi.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
भावार्थ/व्याख्या : जब तक हृदय में अहंकार होता है तब तक इश्वर को पाना संभव नहीं होता है। अहंकार के होने पर इश्वर से किसी प्रकार का कोई परिचय संभव नहीं होता है। जब अहम् और घमंड मिट जाता है तो स्वतः ही इश्वर का साक्षात्कार हो जाता है। आशय है की इश्वर को प्राप्त करने के लिए अहम् को समाप्त होना संभव नहीं है। इसलिए स्वंय को इश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण करके हरी भक्ति करने से ही हम इश्वर को प्राप्त कर सकते हैं। कबीरदास जी के दोहे "जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाँहिं। सब अँधियारा मिटि गया, जब दीपक देख्या माँहि॥" में उन्होंने आत्मा और ईश्वर के संबंध को व्यक्त किया है। इस दोहे में, कबीरदास जी कहते हैं कि जब तक वे अहंकार में थे, तब तक उन्हें ईश्वर का अनुभव नहीं हो पाता है। अहंकार या आत्मा और ईश्वर के भेदभाव का अनुभव ही अज्ञान ही है। जब वे अहंकार से मुक्त हो गए, तब उन्हें ईश्वर का प्रत्यक्ष साक्षात्कार हो जाता है.
Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |